कौन सी शाहदत अंतिम होगी हमारे सैनिकों की ?- डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – देश के लिए शहादत देना हमारी सेना के लिए कोई नई बात नहीं है , अभी तक हज़ारो सैनिक पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का शिकार हो चुके है , लेकिन पाकिस्तान अपनी इन हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। आज से सब से बड़ा मुद्दा है की आखिर कब तक हमारे जवान यू ही शाहदत देते रहेंगे ? एक जवान को तैयार करने में , उसके अंदर जज़्बा पैदा करने में महीनों लग जाते है. और फिर एक दिन बूढ़े माता पिता और छोटे बच्चो के पास तिरंगे में लिपटा हमारा जवान वापस घर आता है। सेना जैसा शौर्य देश की किसी भी संस्था में नहीं है।
अनंतनाग के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी है। जानकारी के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकी फंसे हुए हैं। कमांडर उजैर खान भी इसमें शामिल है। आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया हुआ है। उन्हें ढूंढने के लिए सुरक्षाबल ड्रोन और खोजी कुत्तों की भी मदद ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग स्थानों पर बीते दो दिनों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई है। राजौरी में हुई मुठभेड़ में दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। तो वहीं, अनंतनाग के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच कल दोपहर से मुठभेड़ जारी है।
अनंतनाग में हुई मुठभेड़ में कर्नल, मेजर और डीएसपी शहीद हो गए हैं, लेकिन जंगल में छिपे हुए आतंकी ज्यादा देर तक बच नहीं सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, कोकेरनाग इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकी फंसे हुए हैं। लश्कर के दोनों आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया हुआ है। जंगल में चप्पे-चप्पे पर जाकर जवान उन्हें ढूंढ रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर उजैर खान भी फंसा हुआ है। आतंकियों के खिलाफ जारी अभियान में सेना के पैरा कमांडो भी भाग ले रहे हैं। आतंकियों की सही स्थिति का पता लगाने के लिए सुरक्षाबल ड्रोन और खोजी कुत्तों की भी मदद ले रहे हैं। इस बीच, बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह और बलिदानी मेजर आशीष धौंचक का पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ आज उनके परिजनों के पास भेजे जाएंगे।
हर शहीद की कहानी रुला देती है
बहन और भाई से कर्नल मनप्रीत की कुछ दिन पहले ही बात हुई थी पिता बीमार है के चलते भी ड्यूटी को अहम् समझा। परिवार का रो रो कर बुरा हॉल है पूरे इलाके में गम का माहौल है। भाई का कहना है की वो कितना भी बिजी हो फ़ोन जरूर उठाते थे , कल नहीं उठाया और ये कह कर रोने लगे। अनंतनाग में शहीद हुए सेना का कर्नल मनप्रीत सिंह पंचकूला के रहने वाले थे. परिवार में बीवी, 6 साल का बेटा और ढाई साल की बेटी है. कर्नल मनप्रीत सिंह की शहादत से देश स्तब्ध है. आतंकवादी इतनी बड़ी रैंक के अफसर को शहीद कर सकते हैं, ये उम्मीद से परे है. राजोरी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया। इस एनकाउंटर के दौरान सेना के जवान रवि कुमार ने शहादत को प्राप्त किया। वह किश्तवाड़ जिले के रहने वाले थे। बुधवार को खराब मौसम के चलते उनका पार्थिव शरीर उनके गांव नहीं पहुंच पाया। ऐसे में आज उनका पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचेगा और उन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।22 फरवरी 1997 को जन्मे रवि कुमार 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। पिता सुभाष चंद्र ने बताया कि रवि छुट्टी काटकर 28 अगस्त को राजोरी ड्यूटी पर लौटा था। 29 अगस्त को ज्वॉनिंग डाली थी। किसे पता था कि बेटा आखिरी बार छुट्टी पर आया था।
पूर्व आईजीपी गुलाम हस्सान भट के बेटे थे डीएसपी हुमायूं भट
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में कोकरनाग में आतंकवादियों के साथ लोहा लेते हुए जम्मू कश्मीर के शहीद डीएसपी हुमायूं भट को नम आंखों से सुपुर्द ए खाक किया गया। हुमायूं भट को बडगाम में सुपुर्द ए खाक किया गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इससे पहले, श्रीनगर के जिला पुलिस लाइन में पूरे सम्मान के साथ आखरी विदाई दी गई। इस दुखद अवसर पर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे और उन्होंने भी शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीद के प्रति सम्मान पेश किया। शहीद डीएसपी को पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान पूर्व आईजीपी गुलाम हस्सान भट ने भी अपने शहीद बेटे डीएसपी हुमायूं भट के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उसे श्रद्धांजलि अर्पित की। बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा कितना दर्दनाक होता है ये सिर्फ एक बाप ही जानता है।
खोजी लैब्राडोर ने भी जान गवाई
आतंकवादी इंसान ही नहीं होते , ये जानवरो से भी बदतर होते है। मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी बलिदान हुआ है। जबकि सेना की मादा लैब्राडोर केंट ने भी सर्वोच्च बलिदान दिया। बलिदारराइफल मैन रवि कुमार को स्थानीय सैन्य मुख्यालय में बुधवार को श्रद्धांजलि दी गई। वह किश्तवाड़ के रहने वाले थे। इसके साथ ही मादा लैब्राडोर केंट को भी श्रद्धांजलि दी गई। देश में आंतकवादीओ के साथ साथ विस्फोटक सामग्री को खोजने में हमारे खोजी कुत्तो का भी बहुत बड़ा हाथ होता है।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ