देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति- द्रौपदी मुर्मू
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली- कुंडली और कर्मों का योग अगर ठीक बैठ जाए तो इंसान जमीन से उठ कर आसमान तक पहुंच सकता है जन्म दिन के अगले ही दिन ये तोहफा मिला ,कभी टीचर से आज देश की पहली आदिवासी महिला भारत की प्रेजिडेंट बनने जा रही है, द्रौपदी मुर्मू । जिंदगी के सभी दुख दर्दों के साथ भगवान ने आज समाज के लिए उनकी मेहनत और काम को देखते हुए सब से सर्वोच्चम पद उन्हें दिया है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। जिंदगी में औलाद और पति के जाने के बाद एक नारी की जिंदगी में कुछ बच नहीं जाता है। पर आज द्रौपदी मुर्मू ने साबित कर दिया की हर गम के बाद ख़ुशी है।
शिक्षा से राजनीतिक सफ़र
भारतीय जनता पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे करके विपक्षी दलों की राजनीति को साधने का प्रयास किया है। द्रौपदी मुर्मू एक ऐसी नेता हैं, जिन्होंने काफी निचले स्तर से राजनीति की शुरुआत की। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली हैं। शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली द्रौपदी मुर्मू ने बाद में राजनीति में आने का फैसला लिया। वे आदिवासी समाज को राजनीतिक रूप से मजबूत करने की कोशिश करती रही हैं। वे वर्ष 1997 में पहली बार पार्षद बनीं। इसके बाद भाजपा ने उन्हें रायरंगपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वे दो बार विधायक बनीं। 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वे वाणिज्य परिवहन विभाग में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रही थीं। 6 अगस्त 2002 को उन्हें मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री बनाया गया। इस पद पर वे 16 मई 2004 तक रहीं। 20 जून 1958 में जन्मीं मुर्मू की पढ़ाई-लिखाई भुवनेश्वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई है। वह स्नातक हैं। उनके पति श्याम चरण मुर्मू इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी एक बेटी है। उसका नाम इतिश्री मुर्मू है। इतिश्री का विवाह हो चुका है।
पहली आदिवासी महिला राज्यपाल - झारखंड
राजनीती में आने के साथ ही हमेशा से भारतीय जनता पार्टी से जुडी द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2006 से 2009 तक ओडिशा प्रदेश भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की अध्यक्ष रहीं। वर्ष 2007 में उन्हें ओडिशा के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए "नीलकंठ अवार्ड " से सम्मानित किया गया। द्रौपदी मुर्मू को 18 मई 2015 को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। झारखंड के गठन के 15 साल बाद पहली आदिवासी महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने कार्यभार संभाला। अब उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है तो भाजपा इनके माध्यम से एक बड़े वर्ग को संदेश देने की कोशिश में है। पार्टी की ओर से पहले एक दलित और फिर आदिवासी महिला नेता को राष्ट्रपति बनाए जाने के फैसले से निश्चित तौर पर एक बड़ा संदेश दिया है । आदिवासी और दलित समाज को सम्मान देने के रूप में इस पूरे मामले को एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
बसपा और सपा दोनों की मजबूरी ?
भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2017 में जब रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था, तो सपा और बसपा की मजबूरी बन गई थी , क्योंकी रामनाथ कोविंद खुद उत्तर प्रदेश से थे, इसका कारण तब बताया गया था कि रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के रहने वाले दलित समुदाय से आते हैं। भले ही उस समय वे बिहार के राज्यपाल थे, लेकिन कानपुर कनेक्शन के कारण समाजवादी पार्टी ने उन्हें समर्थन दिया। वहीं, बहुजन समाज की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थन की घोषणा कर खुद को इस वर्ग से जोड़े रखने की कोशिश करती दिखी थीं। मायावती ने तब कहा भी था कि वे भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन दलित समाज के उम्मीदवार को समर्थन देंगे। सपा और बसपा के समर्थन की घोषणा के बाद भाजपा उम्मीदवार के आराम से जीतने की संभावना प्रबल हो गई थी। अब एक बार फिर इन दोनों दलों पर हर किसी की निगाह है।
उड़ीसा के नवीन पटनायक का मिला साथ
एनडीए कैंडिडेट घोषित होते ही द्रौपदी मुर्मू ने उड़ीशा के चीफ मिनिस्टर नवीन पटनायक से समर्थन मांगा। इसके तुरंत बाद नवीन पटनायक ने संकेत साफ कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर द्रौपदी को एनडीए गठबंधन की राष्ट्रपति प्रत्याशी बनने पर बधाई दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के राष्ट्रपति कैंडिडेट बनने पर बधाई। मुझे बेहद खुशी हुई थी जब पीएम नरेंद्र मोदी ने मुझसे इस बारे में चर्चा की थी। यह ओडिशा की जनता के लिए गर्व का क्षण है। मुझे उम्मीद है कि द्रौपदी महिला सशक्तिकरण का देश में आदर्श उदाहरण बनेंगी।
सीएम हेमंत सोरेन के सामने बड़ा सवाल
कई दफ़ा एक अनूठा संयोग भी बन जाता है, कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति के लिए जिन दो हस्तियों द्रौपदी मुर्मू NDA और यूपीए के यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला होगा, उनका झारखंड की धरती से गहरा ताल्लुक रहा है। एनडीए की ओर से प्रत्याशी घोषित की गई द्रौपदी मुर्मू 6 साल तक झारखंड की राज्यपाल रहीं हैं, वहीं यशवंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे। हालांकि, बीजेपी ने जिस तरह से एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे बढ़ाया उसके बाद झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर वो किसके साथ जाएं ? क्या हेमंत सोरेन भी नीतीश कुमार की राह पर चलेंगे ? जिस तरह 2017 में नीतीश कुमार ने यूपीए में रहते हुए NDA के कैंडिडेट रामनाथ कोविंद के लिए गठबंधन से अलग एनडीए का समर्थन करना पड़ा था, क्योंकि कोविंद उस समय बिहार के गवर्नर थे। उसी तरह क्या द्रौपदी मुर्मू के लिए हेमंत सोरेन भी चौंकाने वाला फैसला लेंगे ? या नीतीश कुमार की तरह द्रौपदी मुर्मू का साथ देंगे।
द्रौपदी मुर्मू ने 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी। वह इस पद पर 6 साल 1 महीने और 18 दिन तक रहीं। वह पिछले साल यानी 2021 का जुलाई का महीना ही था, जब राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद वह अपने पैतृक शहर रायरंगपुर के लिए रवाना हुई थीं। अब ठीक एक साल बाद जुलाई के महीने में ही देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए सत्ताधारी गठबंधन ने उनका नाम आगे किया है। झारखंड का राज्यपाल रहने के दौरान द्रौपदी मुर्मू के साथ हेमंत सोरेन के अच्छे समीकरण भी नजर आए थे।
ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य विभाग और पशुपालन विभाग की मंत्री रही।
भारतीय जनता पार्टी से द्रौपदी मुर्मू का पुराना नाता रहा है सन 2013 से 2015 तक मुर्मू बीजेपी की एस.टी. मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहीं। 2010 में उन्होंने मयूरभंज (पश्चिम) से बीजेपी की जिला अध्यक्ष की कमान संभाली। उन्हें सन 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए 'नीलकंठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। सन 2006-2009 के बीच वह बीजेपी की एस.टी. मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रहीं है । सन 2004-2009 के बीच द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधानसभा सदस्य थीं। सन 2002-2009 के बीच मुर्मू ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर एस.टी. मोर्चा की जिम्मेदारी संभाली। सन 2000-2004 के बीच वह ओडिशा सरकार में परिवहन और वाणिज्य विभाग की मंत्री रही हैं। 2002-2004 के बीच उन्होंने ओडिशा सरकर के पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी संभाली। अनेको पदों पर रहने के बाद भी अपनी ईमानदार और स्वच्छ छवि के लिए उन्हे जाना जाता है।
भारतीय जनता पार्टी के चौकाने वाले नाम
भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति के लिए हमेशा सब को चौकाने वाले नाम सामने लाकर एक कीर्तिमान बनाया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक मुस्लिम समुदाय के एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति भवन भेजा था, और अब नरेंद्र मोदी ने पहले एक दलित रामनाथ कोविंद और फिर अनुसूचित जनजाति आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू को कार्यपालिका के सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित कर रहे हैं। अभी तक विपक्ष के पास कोई ऐसा चेहरा सामने नहीं आया है जिसको सर्वसम्मिति से सभी दल मिलकर चुन सके। पिछली दफ़ा भी यूपीए ने मीरा कुमार को उतारा था पर उन्हे कामयाबी नहीं मिली।
जेड प्लस सुरक्षा
राष्ट्रपति की उम्मीदवार घोषित होते ही द्रौपदी मुर्मू की सुरक्षा जेड प्लस कर दी गई है। डिजायर न्यूज़ द्रौपदी मुर्मू को देश की सब से बड़ी जिमेदारी के लिए अभी से बधाई देता है। खुद द्रौपदी मुर्मू को विश्वास नहीं हो रहा की उनके नाम की घोषणा हो जायगी। प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह जे पी नढ़ा ने मिलकर द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मोहर लगाई है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नढा ने द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की। खुद द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री और सभी का धन्यवाद किया है।