क्या डिप्रेशन ही आत्महत्या करवाता है - वसंत विहार
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली - मानसिक रोग कई दफ़ा बड़ा भयंकर रूप ले लेता है इस की कई मिसाल है लेकिन अभी हॉल ही में दिल्ली के वसंत विहार इलाके में अपने घर पर मृत मिलीं मां और दो बेटियों के केस में नए खुलासे हुए हैं लेकिन शुरू में ये सुसाइड केस के साथ साथ मानसिक संतुलन का केस ज्यादा लग रहा हैं . पुलिस ने आशंका जताई है कि परिवार ने कुछ महीने पहले से ही सुसाइड की प्लानिंग शुरू कर दी थी. डिजायर न्यूज़ की मीडिया टीम की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूट्यूब के जरिए उन्होंने खुदकुशी का तरीका सीखा था।
पुलिस जब घर के अंदर दाखिल हुई तो एक नोट मिला, जिसमें लिखा था- "Too Much Deadly Gas, दरवाजा खोलने के बाद माचिस या लाइटर न जलाएं, घर में काफी खतरनाक जहरीली गैस भरी हुई है.दरअसल ये नोट इसलिए लिखा गया था ताकि मौत के बाद जब पुलिस अंदर दाखिल हो तब कोई हादसा न हो. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिवार कितना सामाजिक और भगवान से डरने वाला रहा होगा। अपनी जिंदगी ख़तम करने से पहले भी औरो की चिंता थी। बाद में सभी कह देते है कि हमे पता था वो सब डिप्रेशन में थे , क्या कभी किसी ने उनके डिप्रेशन को ख़तम करने की कोशिश की ?
जब पिता के कंधे पर बेटे या बेटी की अंतिम यात्रा निकलती है। उस मंजर को देखकर कलेजा कांप उठता है, इंसान का दिमाग काम करना बंद करता है और आंखों से आंसू बंद नहीं होते। ऐसी पीड़ा से गुजरने के बाद भला कोई अपना जीवन कैसे गुजारता होगा? लेकिन जीवन तो जीना पड़ता है, ऐसा होता आया है। लोग चले जाते हैं और घरवाले उनकी यादों के सहारे बाकी बची जिंदगी काटते हैं। लेकिन सोचिए अगर वो दर्द, तकलीफ, बिछड़ने का गम हावी हो जाए तो क्या होगा? यहाँ तो पिता का शव दोनों जवान बेटियों के सामने से गुजरा है। क्या बीती होगी उस परिवार पर।
हैरानी और सबसे ज्यादा दुख की बात तो यह है कि उमेश के पांच भाई और एक बहन थी लेकिन उनके जाने के बाद किसी ने भी बीवी-बच्चों के बारे में नहीं सोचा। वह चौथे नंबर के थे। सबसे बड़ा भाई हरदोई, दूसरे वाले मैनपुरी, तीसरे नंबर के इंदौर और सबसे छोटे भाई कानपुर में रहते हैं। हो सकता है जमीन या पैसे के लिए कुछ मनमुटाव, विवाद रहा हो लेकिन भाई की मौत के बाद परिवार के बारे में तो सोचा ही जा सकता था। इंसान के पास तो दिल होता है, भाइयों ने बड़ा दिल दिखाया होता तो उमेश की पत्नी और बेटियों को इस दर्द से उबारा जा सकता था।
डिप्रेशन के शिकार हो चुके थे. मां काफी बीमार थी और अंशिका की बड़ी बहन भी बीमार रहती थी. अंशिका ने सुसाइड नोट लिखा है, ऐसा माना जा रहा है. सुसाइड नोट हिंदी और इंग्लिश दोनों में ही लिखा हुआ है. जिसमें ये भी लिखा गया है कि (इनके घर में काम करने वाली महिला) कमला दीदी दुकान वाले जैन अंकल को कह देना कि उनके पैसे मिल जाएंगे. साथ ही इन लोगों ने सुसाइड नोट में अपने किसी चाचा से भी माफी मांगी और ये भी लिखा है कि ये लोग उनके सामने अपने हालात नहीं रख पाए. हमें माफ कर देना. घर का सामान कमला दीदी को दे देना नहीं ले तो गरीबो को दे देना ऐसा लिखा है नोट में।
पुलिस ने बताया कि मौके का मुआयना करने के बाद ये पाया गया है कि दो कमरे के इस घर को अंदर से अच्छी तरह से सील पैक कर दिया गया था. वेंटिलेशन के हर पॉइंट को फॉयल, टेप और फाइबर नुमा पॉलिथीन से पैक कर दिया गया था. कोई एक ऐसा छेद बाकी नहीं छोड़ा था जिससे हवा आर पार जा सके. घर के अंदर से 3 छोटी अंगीठी भी मिली है. अभी तक की जांच में सामने आया है कि टेप, फॉयल, पॉलिथीन और छोटी अंगीठियां सभी चीजें ऑनलाइन शॉपिंग से खरीदी गई थी.
आत्महत्या करने से पहले मां और उसकी दोनों बेटियों ने फ्लैट नंबर 207 को गैस चैंबर बना डाला था. घर के अंदर के सारे रोशनदानों को पॉलीथिन से पैक किया था. असल में, आत्महत्या के लिए मां और दो बेटियों ने खौफनाक प्लान बनाया और घर को प्लांड तरीके से गैस चैंबर बना दिया, इसके बाद सुसाइड किया. फिर नोट छोड़ा, जिसमें लिखा, ‘घर के अंदर जहरीली गैस मौजूद है, दरवाजा खोलते ही लाइटर माचिस न जलाएं. कैसे घर के बाहर एग्जास्ट फैंन के लिए बने होल को पॉलीथिन से कवर किया गया था, फिर खिड़की को भी पॉलीथिन से पैक किया गया. जी हां, दिल्ली के पाश इलाके वसंत विहार के वंसत अपार्टमेंट के इस फ्लैट नंबर 207 को पूरी तरह से पैक किया गया, खिड़की को पॉलीथिन से ढंक दिया गया, घर के बाहर के रोशनदान, वेंटिलेशन वाली खिड़की को पैक कर दिया गया और घर में अंगीठी जलाई गई, घर का गैस सिलेंडर खोल दिया गया और इस तरह मां और दोनों ने खुद को दर्दनाक मौत देते हुए सुसाइड कर लिया.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस परिवार के मुखिया उमेश चन्द्र श्रीवास्तव पेशे सेअकाउंटेंट का काम करते थे , घर मे उनकी बीमार पत्नी और दो बेटियां थी, लेकिन करीब एक साल पहले 2021 में जब पूरे परिवार को कोरोना हुआ तब कोरोना से पति की मौत हो गयी और उसके बाद से पत्नी और दोनो बेटियां डिप्रेशन में चल रही थीं. पुलिस टीम ने पाया कि घर का गेट और सभी खिड़की अंदर से बंद थी. पुलिस ने गेट तोड़े और अंदर प्रवेश किया. जहां घर के अंदर तीन अंगीठी जली हुई थी और गैस सिलेंडर खुला हुआ था.
डिजायर न्यूज़ सिर्फ इतना ही कहना चाहता है कि बिना कॅस्ट के कोई जिंदगी नहीं होती , दुख ओर सुख हर इंसान की जिंदगी में आते है , आत्महत्या इसका हल नहीं है अगर जब कोई इंसान डिप्रेशन में हो और उस समय कोई सहारा मिल जाये तो इंसान डिप्रेशन से बहार भी आ सकते है। हमे जागरुकता की कमी है आज हम अपने आसपास का भी ध्यान नहीं रखते। इंसान जब अकेला पड़ जाता है तब सब से अधिक डिप्रेशन की तरफ़ चला जाता है। एक साल में ही एक भरे परिवार को ख़तम कर दिया। हर प्रॉब्लम का कोई ना कोई हल है। वसंत विहार की यह घटना समाज के लिए भी कुछ अनसुलझे सवाल खड़े करती है। आज हम सिर्फ अपने परिवार को ही देखते है पड़ोसी हो या रिश्तेदार हो हमे कोई मतलब नहीं रखते।