डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली - 5 मई, 1956 को नई दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार म्यूजिक की दुनिया के बेताज़ बादशाह का आज जन्मदिन है। टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोषी रऊफ मर्चेंट की सजा को बरकरार रखा है। जस्टिस जाधव और बोरकर की बेंच ने इस केस का फैसला सुनाया। गुलशन कुमार की 12 अगस्त 1997 को मुंबई में एक मंदिर के बाहर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वह पूजा कर मंदिर से बाहर आ रहे थे। तभी अचानक बाइक सवारों ने उनपर ताबड़तोड़ 16 गोलियां दाग दीं। मौके पर ही गुलशन कुमार की मौत हो गई थी। उनकी हत्या की खबर फैलते ही पूरे बॉलीवुड में सनसनी फैल गई थी।
गुलशन कुमार दुआ जूस विक्रेता चंद्रभान कुमार दुआ के बेटे थे, जो दिल्ली के दरियागंज इलाके में रहते थे। 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हिंदू विरोधी दंगों के बाद उनका परिवार पश्चिमी पंजाब के झांग प्रांत से शरणार्थी के रूप में आया था। दुआ ने कम उम्र से ही अपने पिता के साथ काम करना शुरू कर दिया था। गुलशन कुमार शिव और विशेष रूप से वैष्णो देवी के एक समर्पित उपासक थे। उन्होंने हिंदू धर्म में लगभग सभी प्रमुख देवताओं के पक्ष में कई धार्मिक और पारंपरिक गीत गाए। वैष्णो देवी के प्रति पारंपरिक आस्था, प्रेम और सम्मान के कारण, उन्होंने एक मुफ्त भोजन सहायता सेवा चलाई जिसमें वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को 'प्रसाद' के रूप में मुफ्त भोजन दिया जाता है। यह पहली बार 1983 में बाण गंगा स्थान पर शुरू किया गया था जो वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थ यात्रा के बीच में स्थित है। 1997 में उनके दुखद निधन के बाद भी, सेवा आज भी जारी है और पूरे भारत में व्यापक रूप से सम्मानित है। उनके बेटे भूषण कुमार अब सेवा का प्रबंधन करते हैं।
दुआ ने करियर के रास्ते बदल दिए जब उनके परिवार ने रिकॉर्ड और सस्ते ऑडियो कैसेट बेचने वाली एक दुकान का अधिग्रहण किया, जिसने एक विशाल संगीत साम्राज्य की शुरुआत को दर्शाया।
म्यूजिक की दुनिया के बेताज बादशाह कहे जाने वाले गुलशन कुमार ने जितनी तेजी से अपने करियर में सफलता हासिल की उतनी ही जल्दी उन्होंने दुनिया को अलविदा भी कह दिया. गुलशन कुमार ने काफी कम उम्र में जिंदगी में सफलता का मंत्र जान लिया था. उन्हें पता था कि अगर मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाए तो उसका फल मीठा ही मिलेगा.
सिर्फ 23 साल की उम्र में जमा लिया था बिजनेस
गुलशन कुमार का जन्म एक मिडिल क्लास पंजाबी परिवार में हुआ था. उनके पिता दिल्ली के दरियागंज इलाके में एक जूस की दुकान चलाते थे, जहां वह उनकी मदद किया करते थे. इसी दौरान उन्होंने बिजनेस के दांव-पेंच सीखे. इसके बाद सिर्फ 23 साल की उम्र में गुलशन कुमार ने अपनी सस्ते ऑडियो कैसेट्स की दुकान खोल ली. यहीं से ही वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगे और देखते-देखते ही गुलशन कुमार वो नाम बन गया, जिसके चर्चे पूरे देश में होने लगे.
वैष्णो देवी के भक्त थे गुलशन कुमार
एक वक्त ऐसा आया था कि लोगों की जुबां पर सिर्फ गुलशन कुमार नाम रहता. उनकी कैसेट्स की मांग हर दिन बढ़ती जा रही थी. गुलशन कुमार मां वैष्णो देवी के बहुत बड़े भक्त थे. भक्ति में लीन गुलशन वैष्णो देवी जाने वाले भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी कराते थे। गुलशन कुमार जहां एक ओर अपनी दरियदिली और सिंगिंग टैलेंट से देशभर के लोगों का दिल जीत रहे थे, वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हें उनकी यह कामयाबी बहुत खटने लगी थी. कहा जाता है कि गुलशन कुमार का बिजनेस बढ़ता देख अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने हर महीने उनसे मोटी रकम देने के लिए कहा था. हालांकि, वह इसके लिए कभी राजी नहीं हुए, बल्कि उन्होंने जवाब दिया कि इतने पैसों से वह मां वैष्णो देवी का भंडारा करवाएंगे. उनकी यही जिद्द उन्हें बहुत भारी पड़ गई, या कहें कि इसी वजह से उन्हें बेहरही से मौत के घाट उतार दिया गया. लेकिन आज भी उनके बेटे भूषण कुमार का भंडारा वैष्णो देवी पर लाखो लोगो को प्रशाद देते है।
मंदिर के बाहर दागी गई थीं 16 गोलियां
12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार हर रोज की तरह उस दिन भी जीतेश्वर महादेव के मंदिर गए थे. जैसे ही वह पूजा करके मंदिर से बाहर निकले तो सुबह करीब 10:30 बजे मंदिर के बाहर खड़े एक शख्स ने उन पर पिस्तौल तान दी. कहते हैं गुलशन कुमार बचने के लिए इधर-उधर भागे, लेकिन उन पर एक के बाद एक 16 गोलियां दाग दी गईं. इस दौरान उनके साथ मौजूद ड्राइवर ने उन्हें बचाने के लिए हत्यारों पर पूजा का कलश भी फेंका, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने ड्राइवर के पैर पर भी एक गोली मार दी. गुलशन की हत्या की घटना से पूरी मुंबई कांप उठी थी.
गुलशन कुमार के साथ रहता था गनमैन
गुलशन कुमार की सुरक्षा के लिए उन्हें एक गनमैन भी दिया गया था, जिसे हमेशा उनके साथ रहना होता था. रिपोर्ट्स की माने तो जिस दिन गुलशन कुमार पर गोलियां दागी गईं उस दिन उनका गनमैन उनके साथ नहीं था. दरअसल, कहा जाता है कि उस दिन गनमैन की तबीयत खराब थी और वह गुलशन के साथ मौजूद था.
अगर गन मैन होता तो शायद टल जाता अटैक
कहते हैं कि अगर गनमैन उनके साथ होता तो शायद गुलशन कुमार को बचा लिया जाता. शायद वो गनमैन उनके दुश्मनों का सामना कर पाता. या हो सकता है कि उसके होने पर ये अटैक गुलशन कुमार पर किया ही नहीं जाता. खैर, आज गुलशन हमारे बीच न होकर भी हमारे दिलों में जिंदा हैं. टी -सीरिज के फाउंडर गुलशन कुमार हत्या मामले से जुड़ी एक याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया। इसमें मर्डर के दोषी अब्दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट की सजा को बरकरार रखा गया है। अब्दुल रऊफ अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का साथी है। उसे सेशन कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अब्दुल रऊफ किसी भी तरह की दया का हकदार नहीं है क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था। वहीं, रऊफ के भाई राशिद मर्चेंट को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बता दें कि 12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी इलाके में गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के अनुसार , कैसेट किंग' के नाम से मशहूर गुलशान कुमार की अगस्त 1997 में अंधेरी मुंबई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसके प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए बदमाश अबू सलेम को पैसे दिए थे। सत्र अदालत ने 29 अप्रैल 2021 को 19 में से 18 आरोपियों को बरी कर दिया था। निचली अदालत ने अब्दुल रऊफ मर्चेंट को धारा 302, 307, 120(बी), 392 तथा 397 और भारतीय शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत के दोषी ठहराया था। रऊफ ने दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जबकि राज्य सरकार ने तौरानी को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी।
आज ही के दिन 5 मई, 1956 को नई दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार म्यूजिक की दुनिया के बेताज़ बादशाह रहे , आज उनके बेटे भूषण कुमार इस इंडस्ट्रीज को चला रहे है। डिजायर न्यूज़ गुलशन कुमार को उनके जन्मदिन पर नमन करता है।