जोशीमठ पर सभी संगठन चुप क्यों -डिजायर न्यूज, नई दिल्ली

जोशीमठ पर सभी संगठन चुप क्यों

डिजायर न्यूज, नई दिल्ली – जहाँ जहाँ इंसान ने प्रकृति से छेड़छाड़ की है वहीं पर किसी ना किसी रूप में इंसान को ही आपदा का सामना करना पड़ा है। जितना लोगों को पहाड़ और उसकी सुंदरता को देखने का शौक रहता है उतना ही वहाँ पर सुविधाओं के नाम पर खिलवाड़ शुरू हो जाता है। गरीबी सब से बड़ा अभिशाप है, जोशीमठ में रहने वाले हजारों परिवार जो सालों से वहाँ रह रहे थे आज उनके सर से छत ही छीन गई। लोगों का घर छोड़ कर जाना आज उनकी जिंदगी में एक तूफान ले आया है।

जोशीमठ में जमीन धंसने के बाद भारतीय सेना की कई इमारतों में मामूली दरारें देखने में आई हैं। इसके चलते सैनिकों को अस्थायी रूप से दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को यह बात कही। वार्षिक सेना दिवस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जनरल पांडे ने कहा, ‘‘25 से 28 सेना की इमारतों में मामूली दरारें आई हैं और सैनिकों को अस्थायी तौर पर स्थानांतरित किया जा रहा है। जरूरत हुई तो उन्हें स्थायी तौर पर औली में शिफ्ट किया जाएगा।‘‘
जोशीमठ में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 45 भवन और चिन्हित किए गए। इस तरह से अब तक कुल 723 भवन चिन्हित किए जा चुके हैं। इनमें से 86 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही इन भवनों को ढहाने की कार्रवाई शुरू होगी। इंसान ने कभी नहीं सोचा था कि जिन पहाड़ों का सीना चीर कर वो होटल धर्मशाला दुकानें बना रहा है एक दिन वही पहाड़ उसे घर से बेघर कर देंगे। जिस तरह से आज पहाड़ो के साथ प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है, एक दिन तो ऐसा आना ही था। आखिर वो नाजुक से पहाड़ कब तक आप की महत्वकांक्षा का बोझ उठा सकते हैं।

विरोध के चलते असुरक्षित भवनों का ध्वस्तीकरण चालू किया


भू-धंसाव की चपेट में आए जोशीमठ में शासन के आदेश के बावजूद मंगलवार को भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। जिला प्रशासन की टीम लाव-लश्कर के साथ भवन तोड़ने पहुंची तो प्रभावित लोग विरोध में उतर आए। ऐसे में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बुधवार तक के लिए टाल दी गई। इस से दिन भर अफरा तफरी का माहौल रहा। 20 मकानों के बिजली कनेक्शन काटे गए। बाद में प्रशासन के कहने पर बड़े होटल को तोड़ने के कार्यवाही शुरू की, पर मौसम खराब होने के कारण बीच बीच में काम रोकना पड़ रहा है। समय पर अगर ये बड़े होटल नहीं गिराए गए तो बड़ा हादसा भी हो सकता है। भू-धंसाव से असुरक्षित क्षेत्र में प्रशासन की ओर से ऊर्जा निगम को बिजली लाइनें हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत मंगलवार को 20 असुरक्षित भवनों के कनेक्शन काट दिए गए।

462 परिवारों को विस्थापित किया गया और प्रशासन ने मोर्चा संभाला
जिला प्रशासन की ओर से अब तक 462 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है। मंगलवार को 381 लोगों को उनके घरों से सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया गया। जबकि इससे पहले 81 परिवारों को शिफ्ट किया गया था। प्रशासन की ओर से अब तक विभिन्न संस्थाओं-भवनों में कुल 344 कमरों का अधिग्रहण किया गया है। इनमें 1500 के करीब लोगों को ठहरने की व्यवस्था की गई है। मंगलवार को गृह मंत्रालय की टीम सचिव सीमा प्रबंधन की अध्यक्षता में जोशीमठ पहुंची और स्थिति का आंकलन किया। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियां एनजीआरआई, एनआईएच, सीबीआरआई, एनआईडीएम की टीम पहले से ही जोशीमठ में डेरा जमाए हुए हैं। आईआईटी रुड़की की टीम को भी मौके पर भेजा रहा है। ताकि वो इस आपदा के कारण पता करने में मदद करें। आपदा अधिनियम के तहत जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए होटलों को तत्काल ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आसपास के आवासीय भवनों और हाईवे को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही बिजली और पेयजल की लाइनों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

प्रभावितों से मिले पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड खंड के चीफ मिनिस्टर पुष्कर सिंह धामी, पूर्व चीफ मिनिस्टर त्रिवेंद्र सिंह रावत और सांसद उमा भारती ने  मंगलवार को जोशीमठ पहुंचे और उन्होंने भू-धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। आपदा से प्रभावित लोगों से मुलाकात करते हुए उन्होंने लोगों से धैर्य रखने को कहा। उमा भारती ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभावितों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि सरकार लोगों के साथ खड़ी है। उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। चीफ मिनिस्टर पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत सहायता की भी घोषणा की है।

प्रशासन ने चार वार्डों को खाली कराने के दिए आदेश
जिला मजिस्ट्रेट चमोली हिमांशु खुराना ने नगर के चार वार्डों को खाली कराने का आदेश जारी किया है। इन वार्डों के अधिकांश मकानों में दरारें आ गई हैं और बड़ी संख्या में मकान असुरक्षित घोषित किए गए हैं। प्रशासन ने नगर के गांधी नगर वार्ड, सिंहधार वार्ड, मनोहर बाग वार्ड और सुनील वार्ड को असुरक्षित घोषित किया है। इन वार्डों में सबसे अधिक मकानों में दरारें आई हैं। जगह चिन्हित करने में जुटा प्रशासन ,प्रशासन लोगों को अस्थायी तौर पर शिफ्ट करने के लिए जगह चिन्हित करने में जुटा है। जोशीमठ के आसपास के क्षेत्रों को चिन्हित करने के बाद प्रशासन ने पीपलकोटी के होटल, लॉज भी चिन्हित किए हैं, जहां जरूरत पड़ने पर लोगों को शिफ्ट किया जाएगा। प्रशासन ने मंगलवार को पीपलकोटी के सेमलडाला मैदान में नगर पंचायत के कर्मचारियों को लगाकर इसकी सफाई की और गड्ढों को भरा। हालांकि वहां पर पहुंचे तहसीलदार धीरज राणा ने इसे हेलीपैड के लिए सफाई की बात कही लेकिन बताया जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर इस मैदान में टेंट लगाकर लोगों को अस्थायी तौर पर शिफ्ट किया जा सकता है।

सामाजिक संस्थाएं क्यों चुप है?
जोशीमठ में आई इस आपदा में उत्तराखंड के आलावा देश की और सामाजिक संस्थाएं आगे नहीं आ रही है। सिर्फ वहाँ घूमने जाना, प्रकृति का आनंद लेना, हम यही तक सीमित रह गए हैं। कितने ही परिवारों पर आज जो मुसीबत आई है, उसमें देश की सामाजिक संस्थाओं को आगे आना चाहिए। प्रयटन जोशीमठ और ओली जैसी जगह के लिए वहाँ के लोगों का रोजगार है और इस आपदा के चलते सब खाली पड़ा है। आज धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं जो वातावरण का झंडा लेकर चलती हैं, जोशीमठ पर वो आराम से चैन की नींद सो रही हैं। विदशों में कोई आपदा आ जाए तो ये संस्थाएं सब से आगे खड़ी मिलेगी, पर यहाँ खामोष है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह नजर बनाए हुए हैं
जोशीमठ की इस आपदा में लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय और होम मिनिस्ट्री पल पल की जानकारी के साथ सहायता भी भिजवा रहे हैं। उत्तराखंड के चीफ मिनिस्टर पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस आपदा से अवगत कराया है। प्रशासन को आदेश दिए गए है कि हर नागरिक के जान माल की पूरी सुरक्षा की जाए। लोगों का विरोध भी है पर आखरी उम्मीद भी सरकार से ही है। अगर सरकार ने पहाड़ो पर बन रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट और बड़ी बड़ी इमारतें होटल आदि पर अपना रुख सख्त नहीं किया तो कोई बड़ी बात नहीं है कि जोशीमठ जैसी आपदा बार बार आए। इंसान ही


प्रकृति का सब से बड़ा दुश्मन ? 
डिजायर न्यूज अपने सभी दर्शकों और रीडरों के माध्यम से यही ध्यान आकर्षित करना चाहता है कि हमें अपने पहाड़ों को और वहाँ रह रहे लोगों को बचाना है और साथ ही प्रकृति अगर बचेगी तो ही हम सब जिन्दा और सुरक्षित रह पाएंगे।  सरकार को इस पर गहनता से विचार करने का समय आ गया है। फिर कोई जोशीमठ जैसे हादसे फिर ना हों।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
13-01-2023 04:52 PM
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