महाराष्ट्र का महासंग्राम - क्या होगा सरकार का ?
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली - सत्ता कभी किसी की नहीं रही, आज किसी के हाथ है तो कल किसी और का राजयोग शुरू हो जाएगा। सत्ता के नशे में चूर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का झंडा खड़ा हो चूका है। बगावत का झंडा उठाने वाले एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के ठाणे इलाके से आते हैं, शिंदे लगातार बाल ठाकरे के साथ-साथ आनंद दिघे का नाम लेते हैं, आनंद दिघे शिवसेना के वही नेता थे, जिनकी उंगली पकड़कर एकनाथ शिंदे सियासत में आगे बढ़े हैं. उन्हें ठाणे का बाल ठाकरे कहा जाता था.
एकनाथ शिंदे शिवशेना को भी बांटनें में कामयाब
एकनाथ शिंदे न सिर्फ उद्दव ठाकरे सरकार को गिराने में बल्कि शिवशेना को भी बांटनें में कामयाब दिख रहे हैं, क्योंकि शिवशेना का 37वां विधायक भी उनके पास पहुंच चुका है, दीपक केसरकर वो 37वें विधायक हैं जो सीधा एकनाथ शिंदे के पास गुवाहाटी पहुंचे, सवाल ये है कि और कितने विधायक एकनाथ शिंदे के पास जाने वाले हैं, दरअसल विधायकों की संख्या 37 पहुंचते ही अब उन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। बताया जा रहा है कि जल्दी ही सदन को चिट्ठी लिखकर एकनाथ शिंदे खुदको शिवशेना का नेता घोषित करेंगे, और ऐसे में बड़ी समस्या सामने आई कि शिवशेना के कुछ विधायक बीजेपी के संपर्क में भी हैं।
गुवाहाटी में शिंदे के साथ कुल 42 विधायक होने की खबर आ रही है, इसमें से शिवसेना के 34, और 8 निर्दलीय विधायक हैं, जबकि शिंदे के समर्थन वाले 3 विधायक मुंबई में ही हैं, इसका मतलब ये है कि शिंदे कैंप ने 37 का आंकड़ा जरूर छू लिया है वहीं, शिवसेना के बागी विधायकों ने अपना व्हिप नियुक्त कर लिया है और डिप्टी स्पीकर और गवर्नर को खत भी लिख दिया है।
चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे से नाराज़गी
सभी विधायकों की नाराज़गी का एक ही कारण नज़र आ रहा है कुछ ने तो सीधे आरोप भी लगाए है कि अपनी ही सरकार में वो उद्धव ठाकरे से मिल भी नहीं पाते काम के लिए भी उन्हे संजय राऊत के पास भेज दिया जाता है ,धीरे धीरे ये आग अब आकर चिंगारी बनी हैं इंतज़ार था किसी एक को सामने आने का और उसका सेहरा एकनाथ शिंदे के सिर पर आ गया।
महाराष्ट्र गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी हुए कोरोना पॉजिटिव
महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं, उन्हें फ़िलहाल एच एन रिलायंस हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। किसी भी नयी सरकार के गठन या उसे कार्य मुक्त करना एक गवर्नर के हाँथ में होता है। कोश्यारी का कोरोना पॉजिटिव होना महाराष्ट्र सरकार के लिए एक मुश्किल समय है। उद्धव सरकार ने अपने बांकी विधायकों को होटल में पहुंचा दिया है, क्योंकि एकनाथ शिंदे के दावे लगातार बढ़ते ही जा रहे है। अगर गवर्नर चाहे तो अपने विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए फ्लोर टेस्ट या फिर विधानसभा भंग करने का भी फैसला कर सकते है. ऐसा तभी होगा जब उन्हे लगेगा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है।
एनसीपी सुप्रीमो पवार ने आगे के संघर्ष के लिए तैयार रहने का सन्देश दिया।
गुरुवार को एनसीपी की खास बैठक आयोजित हुई। इस दौरान प्रमुख शरद पवार ने भी कहा है कि सत्ता जाने के बाद आगे के संघर्ष के लिए तैयार रहें। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का साथ दने की बात कही है। सुप्रीमो पवार के आवास पर हुई इस चर्चा में उप मुख्यमंत्री अजित पवार, राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल, मंत्री जयंत पाटील, जितेंद्र अव्हाड, नेता सुनील ततकारे मौजूद रहे। शरद पवार को भी अब लगने लगा है कि सरकार का बचना अब मुशिकल है।
सीएम उद्दव ठाकरे ने छोड़ा आवास
महाराष्ट्र में सियासत का हाईवोल्टेज ड्रामा आज भी जारी है, कई और विधायक शिंदे गुट से जुड़ गये हैं, इससे ठाकरे और कमजोर हो गए हैं। इससे पहले कल सीएम उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री आवास छोड़कर मातोश्री (अपने घर) पहुंच गए थे, ठाकरे ने फिलहाल सीएम पद नहीं छोड़ा है लेकिन उन्होंने इशारा दिया कि बागी अगर सामने आकर बात करें तो वह इसके लिए भी तैयार हैं, इसके साथ ही शिंदे गुट की शक्ति बढ़ती जा रही है, ताजा अपडेट के मुताबिक, होटल में एकनाथ शिंद के साथ महाराष्ट्र के कुल 42 विधायक मौजूद हैं, इसमें शिवसेना के 34, 8 निर्दलीय विधायक शामिल हैं
कांग्रेस की मुशिकल भी कम नहीं हो रही है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने ट्वीट किया, 'महाविकास अघाड़ी में मुख्यमंत्री पद के संबंध में जो फैसला उद्धव ठाकरे लेंगे, उसमें कांग्रेस उनका साथ देगी।' मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस और राकंपा के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पटोले ने आरोप लगाए हैं कि उप मुख्यमंत्री अजित पवार की तरफ से कांग्रेस को परेशान किया जाता है। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। महाराष्ट्र में सियासत का हाईवोल्टेज ड्रामा आज भी जारी है। कई और विधायक, शिंदे गुट से जुड़ गये हैं, इससे ठाकरे और कमजोर हुए हैं, इससे पहले कल सीएम उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री आवास छोड़कर मातोश्री (अपने घर) पहुंच गए थे। ठाकरे ने फिलहाल सीएम पद नहीं छोड़ा है लेकिन उन्होंने इशारा दिया कि बागी अगर सामने आकर बात करें तो वह इसके लिए भी तैयार हैं, इसके साथ ही शिंदे गुट की शक्ति बढ़ती जा रही है।
नवनीत कौर राणा सांसद को जेल भेजना
अब देखना ये है कि क्या महाराष्ट्र में सियासत का ये हाईवोल्टेज ड्रामा कब तक चलता है, क्या उद्धव ठाकरे अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के नए चीफ मिनिस्टर ? दुसरी सब से बड़ी विपक्ष बीजेपी अभी सिर्फ इस हाईवोल्टेज ड्रामा पर अपनी नज़र गड़ाए बैठी है। उद्दव सरकार शुरू से ही निशाने पर रही है क्योंकी कहने को तो वो हिंदुत्व के नाम से जीत कर आये हैं लेकिन उन्होंने नवनीत कौर राणा सांसद अमरावती से और उनके पति जो की इंडिपेंडेंट विधायक को भी जेल भिजवा दिया था, वो मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करके उद्धव सरकार को दिखाना चाहते थे कि जिस हिंदुत्व और बालासाहब के नाम से जीत कर आये हैं उन्हें ही सरकार भूल गई है।
एकनाथ शिंदे ने किया ट्वीट
इस बीच एकनाथ शिंदे ने सफाई दी है कि हम बाला साहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं। बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है, हम सत्ता के लिए कभी भी धोका नहीं देंगे। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद साहेब ने हमें धोखा देना नहीं सिखाया है। इस बीच एकनाथ शिंदे पर शिवसेना का एक्शन भी शुरू हो गया है, शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता थे, इस पद से अब उनको हटा दिया गया है, उनकी जगह अब अजय चौधरी को नेता बनाया गया है।
विधायक चाहते हैं तो शिवसेना एमवीए से बाहर निकलने को तैयार है ये कहना है शिव सेना के कदावर नेता संजय राउत का, साथ ही संजय राउत का कहना है कि विधायकों को अगर कोई प्रॉब्लम है तो वो गोहाटी से नहीं, बल्कि यहाँ आकर अपनी सीधी बात चीफ मिनिस्टर से करें, अभी भी 10 -12 विधायक उनके टच में है।क्या चाहते हैं एकनाथ शिंदे?
वहीं आज जब मुख्यमंत्री ने बैठक की तो इस बैठक में मात्र 13 विधायक ही पहुंचे. शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं. दरअसल, एकनाथ शिंदे का साफ-साफ कहना है कि शिवसेना...कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन तोड़ ले और बीजेपी के साथ सरकार बनाए. शिवसेना के बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में मौजूद शिंदे ने ट्वीट किया, शिवसेना और शिवसैनिकों के हित में यह आवश्यक है कि इस अप्राकृतिक गठबंधन से बाहर निकला जाए. राज्य के हित में फैसला लेना आवश्यक है