नवजोत सिंह सिद्धू ने नहीं खाया खाना, जानें कैसी बीती जेल में उनकी पहली रात
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली - वक़्त कब राजा बना दे और कब रंक बना दे ये किसी को भी नहीं पता होता। सुख के सो साल और दुख का एक साल बराबर होता है ऐसा मानना है। वक़्त के आखरी पड़ाव में अगर जिंदगी ऐसा मोड़ लेकर आप को सलाखों के पीछे पंहुचा दे तो इसे कुंडली का योग ही कहेगे। नवजोत सिंह
सिद्धू ने शुक्रवार को यह कहते हुए रात का खाना छोड़ दिया कि उन्होंने पहले ही अपना खाना खा लिया है। लेकिन उन्होंने कुछ दवा ली।
जेल मैन्युअल के अनुसार जेल में उनके लिए कोई विशेष भोजन की व्यवस्था नहीं है। यदि कोई डॉक्टर किसी विशेष भोजन की सलाह देते हैं, तो वह जेल की कैंटीन से खरीद सकते हैं या खुद बना सकते हैं। चूंकि सिद्धू को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है, इसलिए उन्हें जेल नियमावली के अनुसार काम करना होगा। हालांकि पहले तीन महीनों के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। जेल नियमावली के अनुसार, एक अकुशल कैदी को प्रतिदिन 40 और एक कुशल कैदी को 60 प्रति दिन मिलते हैं।
अपने समय के एक अच्छे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिंद्धू को रोड रेज मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई गई है। दरअसल मामला 34 साल पुराना है। 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में एक विवाद हुआ था। यह विवाद पार्किंग को लेकर था। जब पीड़ित और दो अन्य बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे, सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा। यहीं बहसबाजी शुरू हो गई। पुलिस का आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए। पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।
सब से बड़ा एक ही सवाल है कि जिस परिवार ने 34 साल इन्साफ के लिए लड़ाई लड़ी और वो इतने ताक़तवर इंसान के सामने नहीं झुके उनको डिजायर न्यूज़ सलाम करता है जिसका इंसान किसी की गलती से चला जाये वो परिवार पूरी जिंदगी उस गम को भुला नहीं पता है। और ये लड़ाई तो 65 साल के बुजुर्ग के परिवार ने लड़ी है आज एक आम नागरिक सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने की सोच भी नहीं सकता। इन्साफ बहुत मॅहगा हो गया है। लेकिन अगर कोई हीमत दिखता है तो इन्साफ मिलता जरूर है।
पीड़ित के परिवार की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला बदलकर उन्हें एक साल की सजा सुनाई है। क्रिकेट से संन्यास के बाद सिद्धू राजनीति में सक्रिय हो गए। वह 2004 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था। उन्हें 2009 में भी जीत मिली। जनवरी 2017 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। सिद्धू अपनी कुशल वाणी के चलते कई साल कपिल शर्मा शो का हिस्सा भी रहे , कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस का दामन पकड़ कर सत्ता में रहे।
20 अक्टूबर 1963 पंजाब के पटियाला में सिद्धू का जन्म हुआ। 1983 से 1999 तक वे क्रिकेट के मँजे हुए खिलाड़ी रहे भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी एवं अमृतसर लोक सभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद रहे हैं। खेल से संन्यास लेने के बाद पहले उन्होंने दूरदर्शन पर क्रिकेट के लिये कमेंट्री करना आरम्भ किया उसके बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। राजनीति के अलावा उन्होंने टेलीविजन के छोटे पर्दे पर टी.वी. कलाकार के रूप में भी अपनी पहचान बनायी है। टी.वी. सीरियल बिग बॉस के कारण भी वे चर्चित रहे। टी.वी. चैनल पर एक अन्य हास्य कार्यक्रम "द ग्रेट इन्डियन लाफ्टर चैलेन्ज" में जज की भूमिका उन्होंने बखूबी निभायी। इसके अतिरिक्त "पंजाबी चक दे" सीरियल में भी उन्हें काम मिला। हाल ही में उन्हें बिग बॉस के छठे एपिसोड में लिया गया जहाँ कुछ समय तक सफलतापूर्वक काम किया
राजनीतिक लोगो को पहले कहा सजा मिलती थी , अपनी ताक़त के बल पर वो किसी को कोर्ट तक पहुंचने ही नहीं देते थे , लेकिन अब समय बदल रहा है , पूर्व सांसद सज्जन कुमार , हरियाणा के चीफ मिनिस्टर ओम प्रकाश चौटाला , बिहार के चीफ मिनिस्टर लालू यादव जैसे कितने ही बड़े बड़े नेता अब जेल की हवा खा रहे है कुछ बहार भी आ गए है लेकिन समय में बहुत बदलाव आया है।
ड्रग्स के मामले में जेल में बंद बिक्रम मजीठिया ने फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव में अमृतसर पूर्व से सिद्धू के खिलाफ चुनाव लड़ा था। दोनों नेता आप की जीवनजोत कौर से चुनाव हार गए।हो सकता है कभी राजनीतिक दुश्मन रहे बिक्रम मजीठिया और सिद्धू दोनों जेल के अंदर दोस्त बन जाये , वक़्त ने दोनों को एक ही जेल में बंद किया है सिद्धू जेल नंबर 10 में है बिक्रम मजीठिया की उनसे दुरी 300 से 500 मीटर के बीच की है।
डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के अनुसार अगर सिद्धू का आचरण अगर जेल में अच्छा रहता है तो 4 महीने के बाद उन्हे पेरोल पर कुछ समय के लिए छोड़ा जा सकता है। सिद्धू की पत्नी एक डॉक्टर के साथ एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के साथ साथ एक अच्छी राज नेता भी है एक बेटा और एक बेटी भी है उनके। सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आते ही 24 घंटे में सिद्धू ने सरेंडर कर दिया , वहाँ से उन्हे मेडिकल करवा कर सीधा पटियाला जेल भेज दिया गया।