तेजस्वनी ने किया बिहार का वज़न कम – डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली

तेजस्वनी ने किया बिहार का वज़न कम

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने बिहार के पूर्व डिप्टी चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव को वजन करने की सलहा क्या दी , तेजस्वी यादव ने बीजेपी का ही वजन कम कर दिया। बिहार की राजनीत में नितीश कुमार आठवीं बार फिर से बिहार का चीफ मिनिस्टर बनने जा रहे है। जनता किस को वोट दे यहाँ तक का अधिकार है बस उस के पास , फिर चुनने के बाद नेता किस पार्टी में जायेगा ये अधिकार नेता का है। जनता आपस में लड़ती रहती है लेकिन नेता आपस में एक है , नितीश कुमार कभी बीजेपी के नाम पर जीत कर आते है तो कभी लालू से दोस्ती करके सरकार बनाते है, तो कभी लालू को लात मार कर फिर बीजेपी में आ जाते है और अब बीजेपी को छोड़ कर तेजस्वी यादव के साथ मिलकर सरकार बना रहे है।

बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट गया है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंप दिया है। शपथ ग्रहण के लिए अभी राज्यपाल की ओर से समय नहीं दिया गया है। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार की जनता और बीजेपी को धोखा दिया है। जीतन राम मांझी के आवास पर हम विधायक दल की बैठक हुई। पार्टी ने नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला लिया गया। नीतीश कुमार ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी ने हमें खत्म करने की साजिश रची। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हमेशा अपमानित किया है।

राजभवन के बाहर नीतीश कुमार ने कहा कि जेडीयू के विधायक, विधान पार्षद, सांसदों की बैठक में सबकी सहमति बनी कि बीजेपी से संबंध तोड़ लेना चाहिए इसलिए वो एनडीए सरकार का इस्तीफा देने राजभवन आए थे। पत्रकारों ने उनसे पूछा कि बीजेपी से क्या दिक्कत हुई तो नीतीश ने ये इशारा तो कर दिया कि बहुत दिक्कत है लेकिन उन्होंने कहा कि उनके लोग बता देंगे कि क्या बात हुई।

माना जा रहा है कि नीतीश और जेडीयू कई कारणों से बीजेपी से पहले नाराज, फिर खफा और आखिरी में गुस्सा हो गए। शुरुआत सुशील मोदी को बिहार से हटाने से हुई थी जो आगे बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय की जुगलबंदी से और बढ़ गई। बीच-बीच में बीजेपी के नेता ऐसा बयान देते रहे जिससे नीतीश चिढ़ रहे थे। फिर बिहार विधानसभा में स्पीकर विजय सिन्हा से खुली बहस हो गई जिसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से स्पीकर को बदलने कहा जिसे अनसुना कर दिया गया। फिर आरसीपी सिंह का प्रकरण हो गया जिनको मान लिया गया कि वो बीजेपी की तरफ से खेल रहे थे। चाहे केंद्र में मंत्री बनने का सवाल हो या बहुत सारे मुद्दों पर जेडीयू के खिलाफ बीजेपी के सुर में सुर मिलाने का। आखिरी खेल हुआ बिहार की 240 विधानसभा सीटों पर बीजेपी नेताओं के प्रवास से और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के यह कहने से कि बस बीजेपी बचेगी, बाकी सारी पार्टियां खत्म हो जाएंगी।

बिहार में एक बार फिर सियासी उलटफेर हो गया है और 20 साल से अधिक समय तक एक-दूसरे के विरोधी रहे नीतीश कुमार की जदयू और लालू प्रसाद यादव की राजद सात साल के भीतर दूसरी बार एक साथ सरकार चलाने जा रही है. सियासी घमासान के बीच जदयू और भाजपा का गठबंधन टूट गया है और अब नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में जुट गए हैं. सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच गठबंधन पर मुहर लग चुकी है और महागठबंधन की सरकार बनने का खाका भी तैयार हो चुका है. महागठंबधन सरकार में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री रहेंगे.

बता दें कि 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा थे और वे मुख्यमंत्री थे. तेजस्वी यादव इस सरकार में डिप्टी सीएम थे. तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के मुद्दे को लेकर एक दिन नीतीश कुमार ने अचानक राजभवन जाकर इस्तीफा सौंप दिया था. इसके साथ ही मंत्रिमंडल स्वत: भंग हो गया. नीतीश कुमार का यह फैसला चौंकाने वाला था. दो साल के भीतर ही महागठबंधन की सरकार गिर गई थी.

नीतीश कुमार सत्ता के लोभी, बिहार की जनता को धोखा दिया: नित्यानंद राय -केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व बीजेपी नेता नित्यानंद राय ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सत्ता के लोभी हैं और बिहार की जनता को नीतीश कुमार ने धोखा दिया है। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017 में सीएम के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया । नीतीश ने 2020 में सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

नीतीश मुख्‍यमंत्री बने तो वे आठवीं बार शपथ लेंगे.

सबसे पहले वह 03 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत के अभाव में सात दिन में उनकी सरकार गिर गई , 24 नवंबर 2005 में दूसरी बार उनकी ताजपोशी हुई,- 26 नवंबर 2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया लेकिन 22 फरवरी 2015 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने.

20 नवंबर 2015 को पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, फिर आरजेडी का साथ छोड़ा तो बीजेपी के साथ 27 जुलाई 2017 को छठी बार ताजपोशी हुई.और 2020 में बीजेपी के साथ मिलकर सातवीं बार मुख्यमंत्री बने। और अब फिर से आर जे डी के साथ आठवीं बार शपथ लेकर इतिहास रचगे।

क्या मायावती की तरह नीतीश कुमार भी प्रधानमत्री की कुर्सी की ओर देख रहे है। क्या दल बदल की सरकार बनाने की उनकी नीति उन्हे इस मक़ाम तक ले जायेगी या वो बिहार तक ही सीमित रह जायगे। क्या अपनी सत्ता बनाये रखने के लिए ये धोखा नहीं है कि जनता ने वोट दिया बीजेपी को और सरकार अब लालू यादव की पार्टी के साथ बन रही है।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
09-08-2022 08:00 PM
Leave A Reply

Your email address will not be published.