डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली - 30अप्रैल 2022 को दिल्ली के विज्ञान भवन में चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का आयोजन किया गया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारे देश की बड़ी आबादी के सामने न्यायिक प्रक्रिया को समझने में भाषा आड़े आती है. पीएम मोदी ने कहा कि एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे.
न्याय विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में कहा गया है कि 25 उच्च न्यायालयों में कुल 1104 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है। 1 अप्रैल, 2022 तक, न्यायाधीशों की कार्य क्षमता 717 थी, जबकि 387 सीटें खाली थीं। न्यायाधीशों की अतिरिक्त शक्ति के बिना मौजूदा बैकलॉग से निपटा नहीं जा सकता है। मामलों के निपटारे में देरी से वादियों में मोहभंग होता है , और न्यायिक प्रणाली की सक्षम और प्रभावी तरीके से न्याय प्रदान करने की क्षमता को कमजोर करता है। इसका मतलब है कि कुल 58,92,399 मामलों में से केवल 717 न्यायाधीश ही देख रहे हैं। पिछले साल, COVID-19 महामारी के दौरान, लोड में 17,76,672 नए मामले जोड़े गए, मोटे तौर पर हर मिनट तीन नए मामलों का अनुवाद।
उच्च न्यायालयों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में शामिल हुए पीएम मोदी ने सम्मेलन को सम्बोधित किया और अपने विचार रखे । मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों का यह सम्मेलन 6 साल बाद हो रहा है। इससे पहले यह सत्र 24 अप्रैल 2016 को आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक पिछले 6 वर्षों में केंद्र सरकार ने ‘ईकोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट’ के तहत अदालती प्रक्रियाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए कई पहल की हैं। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी , दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल , उत्तराखंड के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित कई मुख्यमंत्री शामिल हुए।
पहला मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन नवंबर 1953 में आयोजित किया गया था और अब तक 38 ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं। पिछला सम्मेलन वर्ष 2016 में आयोजित किया गया था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शमिल हुईं.ममता बनर्जी जब कलकत्ता में जजों की तय क्षमता के मुकाबले कम संख्या पर बोल रही थीं तब उनकी आवाज 6 नंबर हॉल में बैठे मीडियाकर्मियों के पास पहुंच रही थीं. हालांकि, अधिकारियों की इसकी भनक नहीं थी कि आवाज बाहर जा रही है. जब अधिकारियों को पता चल गया है, तो थोड़ी देर में ही एक अफसर ने आकर कुछ तकनीकी लोगों को बुलाकर फौरन ऑडियो म्यूट करा दिया. फिर आवाज मीडिया तक पहुंचनी बंद हो गई. कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट परिसर अब छोटा पड़ने लगा है. कोर्ट रूम भी छोटे और कम हैं. 72 जजों की क्षमता के मुकाबले 38 ही जज सेवारत हैं. वहीं इस सम्मलेन में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हाईकोर्ट में भी जगह इमारतों और बुनियादी ढांचे की कमी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी वहां बुनियादी ढांचे की लचर व्यवस्था का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पार्किंग की किल्लत है. वकीलों के चेंबर भी कम हैं.
पीएम मोदी ने भी भरोसा दिलाया कि सरकार आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए जो भी मदद होगी वो करेगी. CJI एनवी रमना ने भी बताया कि किस तरह सरकार ही सबसे बड़ी अड़चन है , क्योंकि वो सबसे बड़ी मुकदमेबाज है. ये सब होने के बाद फिर मुख्यमंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजो का सम्मेलन शुरू हुआ. सम्मेलन में सीजेआई रमना ने रिक्तियों के मुद्दे पर प्रकाश डाला और कहा, "हमारे सामूहिक प्रयासों के कारण, हम एक साल से भी कम समय में विभिन्न उच्च न्यायालयों में 126 रिक्तियों को भरा हैं। हम 50 और नियुक्तियों की उम्मीद कर रहे हैं। यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की जा सकती है क्योंकि सरकार ने पूरे दिल से सहयोग किया और संस्था के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है ।
डिजायर न्यूज़ का मानना है कि न्यायिक प्रकिर्या में न्याय समय से मिले यही जनता की एक मांग सरकार से हमेशा रहती है। समय से मिला न्याय ही किसी इंसान की जिंदगी बदल सकता है। सरकार को चाहिए की जल्द से जल्द खाली पदों को भर कर इन्साफ जल्द से जल्द हो ये प्रयास करना चाहिए।