हिंदी सिनेमा के जानेमाने कलाकार दिलीप कुमार का निधन हो गया है. बॉलीवुड में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार 98 साल के थे. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत लगातार खराब रह रही थी. उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.दिलीप कुमार ने आज सुबह 7:30 बजे मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली. अस्पताल में डॉ. पार्कर उनका इलाज कर रहे थे. पिछले एक माह में उनको दो बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. उनके परिवार में उनकी पत्नी सायरो बानो हैं. वह भी गुजरे जमाने की दिग्गज अभिनेत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'दिलीप कुमार असामान्य प्रतिभा के धनी थे। आज हमारी सांस्कृतिक दुनिया को बड़ा नुकसान पहुंचा है।'दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई लीजेंड के रूप में याद किया जाएगा। उन्हें असामान्य प्रतिभा मिली थी, जिसकी वजह से उन्होंने कई पीढ़ियों के दर्शकों को रोमांचित किया। उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है। उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना।" पीएम मोदी ने कुमार की पत्नी सायरा बानो से फोन पर बात की और उन्हें ढांढस बंधाया।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिलीप कुमार से अपनी एक मुलाकात का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा, "गंगा जमना जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी ने करोड़ों दर्शकों का दिल छू लिया। मुझे उनके निधन से बेहद तकलीफ पहुंची है। मैं दिलीप कुमार जी से एक बार मिला था जब मैं उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने मुंबई गया था। उनके जैसे महान अभिनेता से बात करना मेरे लिए बेहद खास पल था। उनका निधन भारतीय सिनेमा की बहुत बड़ी क्षति है।"आखिरी बार 1998 में आई फिल्म 'किला' में दिखे दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने बुधवार सुबह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के आईसीयू में अंतिम सांस ली। 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से अपना फिल्मी करिअर शुरू करने वाले दिलीप कुमार अगले पांच दशक तक सक्रिय रहे। उन्होंने मुगल-ए-आजम, देवदास, नया दौर, मधुमति तथा राम और श्याम जैसी कई हिट फिल्में दीं।1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फिल्मों में काम किया. इस समय की उनकी प्रमुख फिल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991), 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी.वर्ष 2000 से 2006 तक दिलीप कुमार राज्यसभा से सांसद रहे. 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया. इसके बाद 1991 में उन्हें पद्म भूषण 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया. साल 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.बता दें कि दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. लेकिन जब उन्होंने फिल्मों में आने का मन बनाया तो उन्हें अपना नाम बदलना पड़ा. क्योंकि उनके को फिल्मी दुनिया पसंद नहीं थी और वे नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इस लाइन में आए. दिलीप ने खुद इस पूरे किस्से को एक इंटरव्यू में बताया था.
संजीव शर्माएडिटर इन चीफडिजायर न्यूज़