डिजायर न्यूज़ -नई दिल्ली , हाल ही में दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविन्द केजरीवाल के घर पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ ने तोड़फोड़ की। क्या प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं किया जा सकता। क्या तोड़फोड़ से जो नुकसान होता हैं उसकी भरपाई के लिए कोई कानून नहीं है। पैसा तो आखिर जनता का ही जाता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर कथित हमले के संबंध में पुलिस से शुक्रवार को हालात की रिपोर्ट मांगी और कहा कि ‘उग्र भीड़ ने डर’ पैदा करने की कोशिश की, घटनास्थल पर तैनात पुलिस बल ‘अपर्याप्त’ था. घटना के संबंध में आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई कर रही, कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली पुलिस को जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने के लिए वक्त दिया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ‘कुछ लोगों ने कानून अपने हाथ में ले लिया. डर का माहौल बनाने की कोशिश की गई. ये साफ है. पुलिस बल पर्याप्त नहीं था. उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उनकी संख्या अधिक थी.दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने कथित हमले के संबंध में एफआईआर दर्ज की है. सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आवास के साथ ही मुख्य सड़कों के आसपास लगे कैमरों से सीसीटीवी फुटेज समेत सभी सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं.
संजय जैन ने याचिका ‘सही न’ होने का दावा करते हुए कहा, ‘दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री सचिवालय के साथ बैठक करेगी. हमें नहीं मालूम कि क्या उन्हें कोई आशंका है.’ उन्होंने बताया कि आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जांच चल रही है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घर पर हुए हमले वाले मामले में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के आवास के आसपास लगे सीसी टीवी फुटेज को भी सुरक्षित रखने का आदेश दिए हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुए हमले की निंदा भी की. कोर्ट ने कहा हमने वीडियो में देखा है कि कैसे सार्वजनिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया है. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और साथ ही सील बंद स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने तुरंत इस मामले में करवाई की गई है.
डिजायर न्यूज़ जनता के माध्यम से प्रशाशन से अनुरोध करना चाहता हैं कि जब भी कभी तोड़फोड़ से से अगर सरकारी या गैरसरकारी किसी को भी अगर नुकशान पहुँचता है तो उनलोगो के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाये और एक साल तक दोबारा प्रदर्शन करने की अनुमति ना दी जाये। नुकशान सिर्फ और सिर्फ जनता का होता है। प्रदर्शन की आड़ में गलत लोग लूटपाट को अंजाम दे जाते है। अगर भारत की राजधानी दिल्ली के चीफ मिनिस्टर की सुरक्षा का ये हॉल है तो आप खुद सोच सकते है कि कुछ लोग मिलकर एक आम आदमी के साथ क्या नहीं कर सकते। सुरक्षा की बात करे तो कभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा तो कभी चीफ मिनिस्टर की में सेंग लग जाती है।
पहली बार हुआ है जब प्रदर्शन कारी लोगो को हिरासत में लेकर छोड़ा नहीं , चीफ मिनिस्टर आवास से गिरफ्तार किये बड़े नेताओ को तो छोड़ दिया और छुटभैये नेताओ को रिहा कराने के लिए दिन भर मीटिंग चलती रही। डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के हवाले से पुलिस ने 9 लोगो को अभी भी हिरासत में रखा है , जबकि भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेशनल युथ प्रेजिडेंट तेजस्वी सूर्य लोकसभा सदस्यऔर काफ़ी लोगो को छोड़ दिया गया। प्रदर्शन करना एक मौलिक अधिकार है लेकिन प्रदर्शन की आड़ में तोड़फोड़ करना अराजकता फैलाना सही नहीं है।