डिजायर न्यूज़ , नई दिल्ली - देश में बैंकिंग फ्रॉड अब आम बात हो गई है और शायद इसलिए अब इस पर कोई ज्यादा बात या चर्चा भी नहीं करता. लेकिन बैंकिंग फ्रॉड की समस्या कितनी बड़ी है, इसी बात से लगा सकते हैं कि 2020-21 में 83 हजार से ज्यादा बैंकिंग फ्रॉड हुए जिसमें 1.38 लाख करोड़ रुपये की ठगी हुई. हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें से 1 हजार करोड़ रुपये की ही रिकवरी हो चुकी है. यानी, जितनी ठगी हुई, उसका 1% भी वापस नहीं आ सका. जितना बड़ा फ्रॉड होता है शायद देश के 90 % लोगो तो उतने बड़े अमाउंट को लिख भी ना पाए समझना तो दूर है। एक साधारण इंसान अगर बैंक से 1 लाख का लोन लेन जाए तो एक महीना तक बैंक उसे सिर्फ धके ही खिलाते रहेंगे , और अगर फिर भी लोन मिल जाये तो आप से ज्यादा खुशकिस्मत कोई नहीं होगा।
सूरत की एबीजी शिपयार्ड कंपनी ने 28 बैंकों को कुल मिलाकर 22,842 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। इसे भारत का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड कहा जा रहा है, जो विजय माल्या , नीरव मोदी, मेहुल चोकसी , मैसर्स शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड और स्टर्लिंग बायोटेक फ्रॉड के कुल अमाउंट जितना बड़ा है। ऐसे कितने ही नाम है जो मीडिया में दिखाए ही नहीं जाते और ना जनता को पता चल पाता हैं। सरकार भी अपनी बदनानी के डर से इन फ्रॉड को बाहर नहीं आने देती है। 100 करोड़ से 1000 करोड़ तक के फ्रॉड तो मीडिया भी दिखाने में संकोच करता हैं।
सालों से लोग ऐसे खुलासे देखते रहे हैं, जिनमें बैंकों को चूना लगाने की बात सामने आती है। कभी विजय माल्या 9900 करोड़ लेकर विदेश भाग गया तो कभी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी की जोड़ी ने पीएनबी बैंक को करीब 13 हजार करोड़ रुपये का चूना पंजाब नेशनल बैंक को लगाया। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की तिकड़ी ने बैंकों को कम से कम 23 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है। अब इस लिस्ट में एक और फ्रॉड जुड़ गया है, जिसे देश का अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड कहा जा रहा है। इसके तहत सूरत की एबीजी शिपयार्ड ने एक दो नहीं बल्कि 28 बैंकों के समूह को करीब 23 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है। यानी विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी तीनों के घोटालों के मिलाने के बाद भी उससे बड़ा फ्रॉड अब ये सामने आया है , आइए जानते हैं अब तक के कुछ चर्चित बैंक फ्रॉड के बारे में।
सूरत की एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड कंपनी ने एसबीआई समेत 28 बैंकों के समूह को 22,842 करोड़ यानी करीब 23 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है। यह नीरव मोदी के घोटाले से लगभग दोगुना बड़ा बैंक फ्रॉड है। भारतीय स्टेट बैंक के अलावा आईसीआईसीआई, आईडीबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े-बड़े बैंक भी एबीजी शिपयार्ड का शिकार हुए हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के अनुसार, कंपनी ने उससे 2925 करोड़ रुपये कर्ज लिया था. जबकि ICICI से 7089 करोड़, IDBI से 3634 करोड़ से, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1614 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक से 1244 करोड़ और IOB से 1228 करोड़ रुपये का बकाया है. एबीजी शिपयार्ड के , ऋषि कमलेश अग्रवाल के अलावा, एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो ने तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशक अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को भी आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग के कथित अपराधों के लिए केस में नाम शामिल किया है.
विजय माल्या - भागा, पर फिर भी बैंको ने वसूल किया पैसा
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई वाले बैंकों के समूह का भगोड़े कारोबारी विजय माल्या पर 9,900 करोड़ रुपये बकाया था। बैंकों ने अब तक अपना काफी पैसा रिकवर कर लिया है। बैंकों का कंसोर्शियम दो बार माल्या के शेयर बेच चुका है। एक बार उसे 5,824.50 करोड़ रुपये मिले थे। दूसरी बार उसे 1,357 करोड़ रुपये मिले थे। इस तरह विजय माल्या को कर्ज देने वाले बैंकों ने अपना 81 फीसदी रिकवर कर लिया है। अब सिर्फ 19 फीसदी यानी लगभग 2700 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़ भागे पर बैंको ने वसूला लोन
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने भी 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी बैंको से की उनपर भी बैंको से फ्रॉड करने का आरोप है। यह फ्रॉड इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में किया। इस घोटाले के सिलसिले में भारतीय अधिकारी इन दोनों को तलाश रहे हैं। नीरव मोदी ने ब्रिटेन में शरण ली हुई है और मेहुल चोकसी भी फरार है। इसी के साथ दोनों की संपत्तियां बेच-बेच कर बैंकों का बकाया चुकाया जा रहा है। सरकारी जानकारी के अनुसार अधिकतर पैसों की रिकवरी हो चुकी है और करीब 2000 करोड़ रुपये की रिकवरी ही बाकी है।
मैसर्स शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड
मैसर्स शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के सीएमडी केवल कृष्ण कुमार ने 10 बैंकों को 3,269.42 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी गिरफ्तार भी कर चुका है। एफआईआर के मुताबिक इस धोखाधड़ी का खुलासा जून 2019 में फॉरेंसिंक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में हुआ था। यह लेनदेन अप्रैल 2013 से मार्च 2017 के बीच किया गया। इस अकाउंट पर 2016 करोड़ रुपये का बकाया है और यह मार्च 2015 में एनपीए बना था। फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक अकाउंट स्टेटमेंट्स और स्टॉक स्टेटस में गड़बड़ी की गई।
स्टर्लिंग बायोटेक से भी वसूला बैंको ने पैसा
अक्टूबर 2017 में स्टर्लिंग बायोटेक इस फ्रॉड से पर्दा उठा और इसके मालिकाना हक वाले संदेसरा ब्रदर्श सीबीआई के डर से नाइजीरिया भाग गए। उस वक्त पता चला कि यह फ्रॉड करीब 5 हजार करोड़ रुपये का है। बाद में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो फ्रॉड की रकम भी तेजी से बढ़ती गई। बाद में पता चला कि स्टर्लिंग बायोटेक और इसके प्रमोटर्स नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ति संदेसरा ने बैंकों को करीब 16,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। इस मामले में ईडी अब तक करीब 14,521 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त भी कर चुकी है।
डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के हवाले से हमने रकम दिखाई है कुछ रकम ऊपर नीचे हो सकती है , लेकिन जिस देश में इतने बड़े बड़े बैंक घोटाले होते है उसकी तरक्की कैसे होगी, ये भी एक सवाल जनता के जहन में हमेशा रहता हैं। क्या बैंको पर केस दर्ज़ नहीं होना चाहिए की देश के पैसे को वो कैसे चोरो के हाथ में दे देते है , एक नहीं 28 बैंको को चूना लगाने वाली कंपनी के मालिक बैंक अधिकारियो से अधिक पढ़े लिखे नहीं है क्या। ये सोचने की बात है। या ये सब मिलकर इस बैंक फ्रॉड को अंजाम देते है। आज बैंको से आप 1000 करोड़ रुपये लोन लो फिर उसे इस्तेमाल करो और 15 साल बाद , बिना इंट्रेस्ट दिए जब क़ानून का शिकंजा कसे तो वापस कर दो। क्या जब किसी कंपनी का अकाउंट NPA हो जाये तो बैंको को उनके डायरेक्टर , चेयरमैन का पासपोर्ट जमा नहीं करना चाहिए? क्या बैंक उन्हे देश से भागने का मौका देते है ? ऐसे ही कितने सवाल है जनता के जहन में।