भोपाल में जो हुआ उसे आप क्या कहेगे ? , प्रज्ञा ठाकुर सांसद ने जो कहा उसे आप क्या कहेगे ? प्रकाश झा जैसे 8 बार के पुरुस्कार विजेता का मुँह काला किया उसे आप क्या कहगे ? सनातम धरम के नाम पर लोगो का रोजगार छीनने वाले लोगो को क्या कहगे ? अनेको सवाल आज आप के सामने हैं। अब सिर्फ वही फिल्म बनेगी जिसे प्रज्ञा ठाकुर का दल स्टोरी सुन कर पास करेगा , ना फिल्म सेंसर बोर्ड ना सरकार अब अगर आप को कोई फिल्म बनानी है , तो जो संगठन ऐसे लोग बनायेगी उनके पास जाकर आप पहले स्टोरी अप्प्रोवे करवाये वरना आप फिल्म नहीं बना सकते , ऐसा कहना है बीजेपी की सांसद का। अभी हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है। वो खुद भोपाल से बीजेपी की सांसद हैं। हाल ही में भोपाल में आश्रम फिल्म की शूटिंग के दौरान 8 बार के पुरुस्कार विजेता प्रकाश झा का मुँह काला कर दिया पिटाई अलग की , बॉबी देओल जैसे कलाकार जिसके परिवार में बीजेपी सांसदों का झुण्ड हैं , भाई सन्नी देओल [ सांसद ] , माँ हेमा मालनी [सांसद ] ओर पिता पूर्व सांसद जब उनके बेटे को भी बीजेपी शासित प्रदेश में सुरक्षा नहीं मिली तो आज बॉलीवुड कहा जा रहा हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते है। आज रोजगार सब से बड़ी प्रॉब्लम हैं एक फिल्म के सेट पैर 2000 से ज्यादा लोगो को रोजगार मिलता हैं , ओर उन्हे दिन के हिसाब से मिलता हैं अगर एक दिन काम ना मिले तो घर में रोटी की भी प्रॉब्लम है।कोई भी बड़ा कलाकार अक्षय कुमार, अजय देवगन , सलमान खान , आमिर खान कोई नहीं बोल रहा है , किस को हक़ है कानून हाथ में लेने का करोडो रुपये टैक्स देने वाली बॉलीवुड पर आज गम के बादल हैं। भोपाल एक हॉटस्पॉट बन गया था , बॉलीवुड के भोपाल में आने से लाखो लोगो को रोजगार मिल रहा था , क्या अब कोई बड़ा डायरेक्टर या प्रोडूसर वहाँ शूटिंग के लिये जायेगा ? ये सोचने की बात है , क्या राम रहीम , रामपाल , इच्छाधारी भीमानंद , आसा राम पर फिल्म या वेब सीरीज बनाना बुरी बात है , क्या ये लोग सनातन धरम के हैं , इसका मतलब है कानून हमारे देश का सही नहीं हैं , अगर सही होता तो इनलोगो को गिरफ्तार ही नहीं करना चाहिए था , ये धरम की आड़ में कुछ भी करे इनको सब माफ़ होना चाहिए। प्रज्ञा ठाकुर का विवादों से पुराना नाता रहा हैं। खुद प्रधान मंत्री ने उनके बारे में कहा हैं कि दिल से वो कभी उन्हे माफ़ नहीं कर पाएंगे। राजनीति पहले सेवा का दूसरा नाम है आज राजनीती धर्म से जुड़ गई है। प्रकाश झा जैसे डायरेक्टर सदिओं में जन्म लेते हैं एक डायरेक्टर को सदिया लग जाती हैं अपने काम को साबित करने में , मगर जनता एक मिनट में मुँह काला कर देती है धरम कोई भी हो किसी को भी हक़ नहीं है किसी की भावनाओ से खेलने का फिर चाहे सनातन धर्म हो या कोई भी धरम हो। सनातन धर्म को मानने वाले राम रहीम , आसा राम या और कितने ही ऐसे हैं जिन्होंने धर्म के नाम पर अधर्म का सहारा लिया हैं , और इसका फैसला हमारा कानून करेगा। क्या सनातम धर्म में अहिसा की कोई जगह हैं ?अगर ऐसे ही फिल्म इंडस्टरी को सुरक्षा नहीं मिली तो एक दिन कोई भी डायरेक्टर या प्रोडूसर फिल्म बनाने की कोशिश भी नहीं करेगा। आज भोपाल है कल उत्तरप्रदेश होगा फिर कोई और प्रदेश होगा। अगर किसी को कुछ पसंद नहीं हैं तो आप ना देख कर उसका बहिष्कार कर सकते है , कानून को हाथ में लेकर झुण्ड में आना ओर मार पीट करना ये कहा का सिस्टम हैं।धार्मिक मर्यादाओ का सम्मान करना ये सब का फ़र्ज़ हैं , लेकिन सिनेमा ही एक ऐसा हैं जो हमे इतिहास , भूगोल राजनीत जैसे पहलुओं पर कुछ ही समय में हमे सिनेमा अवगत करा देता हैं। लेकिन आज धर्म की आड़ में कुछ असामाजिक तत्व देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं। और इसका फायदा राजनीतिक संरक्षण में पनप कर एक अलग रूप ले रहा हैं। जो आने वाले समय में अच्छा नहीं हैं। कल को अगर न्यूज़ पेपर या न्यूज़ चैनल भी आसा राम राम रहीम दाऊद या ऐसे किसी की स्टोरी अगर समाज में लेकर आएंगे तो उनपर भी प्रहार होगा। डिजायर न्यूज़ कभी भी किसी धर्म या मज़हब की भावनाओ का सम्मान करने में पीछे नहीं रहता , हर धर्म सब के लिये समान हैं , किसी को किसी की भी भावनाओ से खलेने का अधिकार नहीं हैं , पर सिनेमा हमेशा एंटरटेनमेंट का एक साधन रहा हैं ओर समाज में फैली बुराइओं ओर अछाइयो को दिखाता रहा हैं। काफी समय से बॉलीवुड पर अलग अलग आरोप लगते रहे हैं , लेकिन कुछ ख़राब लोगो की वजह से हम पूरे बॉलीवुड को गन्दा नहीं कह सकते। अनिल शर्मा जैसे बॉलीवुड के डायरेक्टर ने गद्दर एक प्रेम कथा बनाई तो जे पी दत्ता ने बोर्डेर जैसी फिल्म बना कर लोगो का दिल जीता हैं। प्रकाश झा एक बहुत ही बेहतरीन डायरेक्टर है जिन्होंने गंगाजल , राजनीती , अपरहण सत्याग्रह जैसी बड़ी बड़ी बॉलीवुड मूवीज बनाई है ओर उनका असर भी समाज पर पड़ा हैं। आरक्षण जैसे विषय पर मूवी बनाना कोई आसान काम नहीं है अभी तक 8 बार नेशनल अवार्ड मिल चूका हैं। एंटरटेमेंट इंडस्ट्रीज में जिस तरह राजनीतिक एंटेरी हो रही हैं वो कहा तक सही हैं इसका फैसला या तो सरकार ले सकती है या जनता। पर अगर बॉलीवुड ख़तम होता है तो मनोरजन के इतिहास का भी अंत होगा जो की आम जनता के लिये अच्छा नहीं हैं। कलाकारों पर असामाजिक तत्वों का इस तरह हमला अच्छी बात नहीं हैं। ऐसा हमारा सोचना है।