डिजायर न्यूज़ - नई दिल्ली , बिरजू महाराज का जाना एक युग का खत्म हो जाने जैसा है , 83 वर्ष के कथक सम्राट बिरजू महाराज के पोते स्वरांश मिश्रा ने बताया कि वो रात को खाना खाने के बाद अंताक्षरी खेल रहे थे. तभ अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. दरअसल बिरजू महाराज गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस इलाज भी चल रहा था. परिजनों के मुताबिक उनको हार्ट अटैक आया. जिसके बाद उनको अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं चा सका। बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के कालका-बिन्दादीन घराने में हुआ था। बिरजू महाराज का नाम पहले दुखहरण रखा गया था। यह बाद में बदल कर 'बृजमोहन नाथ मिश्रा' हुआ। इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो 'लखनऊ घराने' से थे और वे अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे। बिरजू महाराज जिस अस्पताल में पैदा हुए, उस दिन वहां उनके अलावा बाकी सब लड़कियों का जन्म हुआ था, इसी वजह से उनका नाम बृजमोहन रख दिया गया। जो आगे चलकर 'बिरजू' और फिर 'बिरजू महाराज' हो गया।पिता अच्छन महाराज को अपनी गोद में महज तीन साल की उम्र में ही बिरजू की प्रतिभा दिखने लगी थी। इसी को देखते हुए पिता ने बचपन से ही अपने यशस्वी पुत्र को कला दीक्षा देनी शुरू कर दी। किंतु इनके पिता की शीघ्र ही मृत्यु हो जाने के बाद उनके चाचाओं, सुप्रसिद्ध आचार्यों शंभू और लच्छू महाराज ने उन्हें प्रशिक्षित किया। कला के सहारे ही बिरजू महाराज को लक्ष्मी मिलती रही। उनके सिर से पिता का साया उस समय उठा, जब वह महज नौ साल के थे।बचपन से मिली संगीत व नृत्य की घुट्टी के दम पर बिरजू महाराज ने विभिन्न प्रकार की नृत्यावलियों जैसे गोवर्धन लीला, माखन चोरी, मालती-माधव, कुमार संभव व फाग बहार इत्यादि की रचना की। सत्यजीत राॅय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' के लिए भी इन्होंने उच्च कोटि की दो नृत्य नाटिकाएं रचीं। इन्हें ताल वाद्यों की विशिष्ट समझ थी, जैसे तबला, पखावज, ढोलक, नाल और तार वाले वाद्य वायलिन, स्वर मंडल व सितार इत्यादि के सुरों का भी उन्हें गहरा ज्ञान था।पंडित बिरजू महाराज कला जगत की एक मशहूर शख्सियत थे. वे कथक सम्राट तो थे ही साथ ही साथ वह एक गुरु, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर भी थे. उन्हें बेहतरीन तबला बजाने का हुनर भी हासिल था. उनके तमाम शागिर्द जाने-माने कलाकार हैं. जो आज दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं. बिरजू महराज ने अपने हुनर के दम पर कई महत्वपूर्ण उपलाब्धियां हासिल की. बिरजू महाराज ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में डांस कोरियोग्राफ किया. जिसमें डेढ़ इश्कियां, बाजीराव मस्तानी और उमराव जान जैसी बेहतरीन फिल्में शामिल हैं. 1983 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया. इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिल चुका है. 2012 में विश्वरूपम फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. उनके जाने से कला जगत में शोक की लहर है.बिरजू महाराज के निधन की खबर आने के बाद से बॉलीवुड और तमाम राजनेता सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी बिरजू महाराज के निधन पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने तस्वीर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!'केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पंडित बिरजू जी महाराज भारत की कला और संस्कृति के प्रवर्तक थे. उन्होंने कथक नृत्य के लखनऊ घराने को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया. उनके निधन से गहरा दुख हुआ है. उनका निधन कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है.’यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कथक सम्राट, पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी का निधन अत्यंत दुःखद है. उनका जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति है. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें.’राजस्थान के सीएम गहलोत ने ट्वीट कर लिखा, '' कथक डांसर पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज का निधन एक युग का अंत होना है. उनके जाने से भारतीय कला की बड़ी क्षति है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिजनों को ये आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें.''डिजायर न्यूज़ इस दुःख की घड़ी में बिरजू महाराज के परिवार के साथ खड़ा हैं और देश के ऐसे महान कथक सम्राट को श्रदांजलि अर्पित करता हैं। देश ही नहीं विदशो में भी लाखो लोग उनकी कला के दीवाने हैं , उनके जाने की खबर से सभी आहत हैं।