दिल्ली के गांव बने नरक , एक नाम बिजवासन भी – डिजायर न्यूज़
Delhi's villages become hell, Bijwasan is one of them
दिल्ली के गांव बने नरक , एक नाम बिजवासन भी – डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – कभी दिल्ली के गांव साफ़ और सूंदर हुआ करते थे , लेकिन राजनीती ने आज इन्हे नरक बना दिया है। गांव से अच्छी झुग्गी बस्तियाँ है जिनमें कम से कम विधायक , सांसद और कौंसिलर चले तो जाते है क्यों की वहाँ से उन्हे अधिक वोट मिलते है। आज दिल्ली देहात के गांव में हाउस टैक्स के नोटिस तो आने शुरू हो गए लेकिन अगर सुविधा के बात करे तो ना पीने का पानी है ना सड़के है। गंदिगी का ये आलम है कि डेंगू कभी भी विकराल रूप ले सकता है , मलेरिया विभाग के कर्मचारी रुके हुए पानी पर घरो के चालान का डर दिखा कर पैसा वसूल रहे है , क्या जो गली में खुली नालियों में मछर पनप रहे है , नगर निगम की वजह से , क्या उनपर केस दर्ज नहीं होना चाहिए ? पुलिस को भी शिकायत दी पर वो मूक बनी बैठी है , जब कोई मर जाएगा तब बस रिपोर्ट लिख कर केस रफा दफा कर देंगे।
दो साल से भी अधिक सिर्फ 500 मीटर से भी काम दुरी की गली का हॉल अगर देखो तो आप को अंदाजा लग जायेगा की गांव आज भी नरक है। यहाँ के विधायक बी एस जून है जो करीब साल भर पहले अपना बोर्ड लेकर आये की इस गली का निर्माण कार्य विधायक निधि से किया जा रहा है , फोटो क्लिक करवाई 10 लोगो के साथ और जाते जाते बोर्ड को भी साथ ले गए। आम आदमी की पार्टी से विधायक है बी एस जून। एमिटी कॉलेज के साथ में ये गली है बुजुर्ग तो क्या जवान भी इस गली से नहीं निकल सकते। पूरे साल पानी भरा रहता है कितने ही लोग बीमार पड़ चुके। निवासियों ने मिलकर ये तय किया है की आने वाले चुनाव में किसी को भी वोट ना देकर चुनाव का बहिष्कार किया जाए।
किसी भी पार्टी का नेता यहाँ आकर नहीं देखता , अगर कोई नेता पैदल इस गली को पार कर जाता है तो उसको मोहल्ले वाले ख़िताब देंगे। लाल डोरा लैंड पर आप अपना मकान बना सकते है लेकिन बिना नगर निगम को पैसे दिए नहीं। बिजवासन गांव से एक किलोमीटर पर ही दुनिया के बड़े बड़े रहीसों के फार्महाउस है वहाँ स्वर्ग है और बिजवासन गांव नरक है। केजरीवाल से लेकर सब से अपनी शिकायत दर्ज स्थानीय लोग करवा चुके है पर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। आने वाले समय में कभी भी लोग आंदोलन के लिए मजबूर हो जायेगे। दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियो की नाकामी का हॉल ये तस्वीरे बता रही है। कितने ही दफ़ा लोग पानी के लिए भी सड़को पर उत्तर चुके है पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अब धीरे धीरे गांव की पंचायते इन मुद्दों को उठा रही है , किसानो का दर्जा तो पहले ही खत्म किया जा चूका है। दिल्ली के किसानो को कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है। अगर गांव की पंचायतो ने सरकार को अपनी ताक़त नहीं दिखाई तो वो दिन दूर नहीं की गांव अपना वज़ूद ही ख़तम कर देंगे। सरकार उनकी जमीन अधिग्रहण करके उन्हे सड़को पर ले आएगी।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ