आजम खान के लिए जागी मायावती की हमदर्दी, कहा- ये न्याय का गला घोंटने जैसा
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली- बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि 'आजम खान को जेल में बंद रखना न्याय का गला घोंटने जैसा है.
14 अगस्त, 1948 को आजम खान का जन्म यूपी के रामपुर में हुआ था. उन्होंने बीए (ऑनर्स) और एमए (ऑनर्स) की पढ़ाई की. AMU में पढ़ते हुए ही आजम खान ने राजनीति शुरू कर दी. 1977 में आजम खान ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें कांग्रेस के शन्नू खान से शिकस्त मिली. 1980 में आजम खान जनता पार्टी के टिकट पर लड़े और जीते. ये पहली बार था जब आजम खान विधायक बने। 1985 में लोक दल के टिकट पर विधायक बने. 1989 में जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुए और पहली बार यूपी सरकार में मंत्री बने. इसके बाद 1991, 1993, 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी आजम खान ने विधानसभा चुनाव में जीते. 1996 में उन्हें हार का स्वाद भी चखना पड़ा कांग्रेस के अफरोज अली खान ने आजम खान को हराया. 2022 में 10वीं बार आजम खान विधायक बने .
भाजपा के आकाश सक्सेना की वजह से ही आजम आज जेल की हवा काट रहे हैं. आकाश सक्सेना ने ही आजम खान के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए हैं, जिनके चलते आजम खान की गिरफ्तारी हुई.वही भारतीय जनता पार्टी ने आकाश सक्सेना को टिकट दिया लेकिन वो जीत नहीं पाए। और 10 वी बार फिर रामपुर से आजम विधायक बन गए। भाजपा के आकाश सक्सेना ने आज़म खान के ख़िलाफ़ रामपुर में रहकर एक लंबी लड़ाई लड़ी हैं और एक के बाद एक ख़ुलासे करके आज़म खान के पतन के कारण बने हैं।
पहले ट्वीट में मायावती ने भाजपा पर जमकर प्रहार किया और लिखा कि 'यूपी व अन्य बीजेपी शासित राज्यों में भी, कांग्रेस की ही तरह, जिस प्रकार से टारगेट करके गरीबों, दलितों, आदिवासियों एवं मुस्लिमों को जुल्म-ज्यादती व भय आदि का शिकार बनाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है यह अति-दुःखद, जबकि दूसरों के मामलों में इनकी कृपादृष्टि जारी है.मायावती ने एक तीर से बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर वार किया है।
दूसरे ट्वीट में बसपा सुप्रीमो ने आजम खान की वकालत करते हुए लिखा कि 'इसी क्रम में यूपी सरकार द्वारा अपने विरोधियों पर लगातार द्वेषपूर्ण व आतंकित कार्यवाही तथा वरिष्ठ विधायक मोहम्म्द आज़म खान को करीब सवा दो वर्षों से जेल में बन्द रखने का मामला काफी चर्चाओं में है, जो लोगों की नज़र में न्याय का गला घोंटना नहीं तो और क्या है? मायावती को श्याद इस बात का अंदाजा नहीं है कि उनके कार्य काल में भी उन्होंने कई बड़े बड़े लोगो को जेल की हवा ख़िलायी है।
वहीं तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 'साथ ही, देश के कई राज्यों में जिस प्रकार से दुर्भावना व द्वेषपूर्ण रवैया अपनाकर प्रवासियों व मेहनतकश समाज के लोगों को अतिक्रमण के नाम पर भय व आतंक का शिकार बनाकर, उनकी रोजी-रोटी छीनी जा रही है, वह अनेकों सवाल खड़े करता है जो अति-चिन्तनीय भी है. यहाँ पर उनका ट्वीट बुलडोजर की तरफ़ इशारा करता नज़र आ रहा है।
सपा नेता आजम को लेकर भी अखिलेश ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के साथ है. जल्द ही आजम खान जेल से छूटेंगे.
आजम खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ऐसा क्यों चल रहा है कि एक के बाद एक 89 केस दर्ज हो गए। एक केस में जमानत मिली तो नया केस दर्ज हो गया। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने हलफनामा दायर करने की बात कही है।
आजम खान यूपी विधानसभा में 9 बार विधायक रह चुके हैं. ये उनकी 10वीं जीत है. आजम खान ने जेल से ही विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया था और सपा ने उन्हें रामपुर शहर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. रामपुर शहर सीट पर आजम खान का सीधा मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना और कांग्रेस प्रत्याशी नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां से होने था.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद जैसे सब की आँख एक दम खुल सी गई हो , अब सब को आज़म खान की याद सताने लगी है , सब उनको अपने अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते है , कही कांग्रेस के आचार्य प्रमोदकृष्णन तो कही हाल ही में अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी.
डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के अनुसार अब जल्द ही सुप्रीम कोर्ट आजम खान के केस में कोई एहम फैसला ले सकता है , और बहार आने के बाद आजम खान किस के साथ जुड़ते है ये भी एक सवाल है। क्यों की राजनीति तो आज़म के पूरे परिवार मैं ही हैं , बेटा विधायक है तो पत्नी भी एम पी है। एक समय में पूरे उत्तर प्रदेश के सब से कदवार नेताओ में आज़म खान का नाम था , रामपुर से ही उत्तरप्रदेश चलाते थे। जया प्रदा राम पुर से 2 बार चुनाव जीती है एक दफ़ा आज़म खान के समर्थन से तो दूसरी दफ़ा उनकी ख़िलाफ़त के बावजूद भी जीत गई।
देश विदेश में अगर कोई रामपुर को जानता हैं तो सिर्फ रामपुरी चाकू या चाकू से भी तीखी आज़म खान की जबान की वजह से। आज़म खान हमेशा से अपने भाषणों में आग उगलते रहे है। लेकिन वक़्त ने आज 2 सालों से उन्हे सलाखों के पीछे रखा है। बाहर आने की सुगबुगाहट के चलते अब सभी पार्टी आज़म खान को खुश करने के लिए आगे आ रही है। कोई बड़ी बात नहीं है आज़म भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम कर अपनी जिंदगी आराम से जी ले , क्यों की शिवपाल के भी बीजेपी में जाने के चर्चे कई दफ़ा उठे है , 2 साल से ना समाजवादी पार्टी ने उनकी सुध ली ओर अब सब दलों की निगाहे आज़म खान पर टिकी है। मायावती , शिवपाल यादव कांग्रेस सब का प्यार अब आज़म खान के लिए साफ़ देखने को मिल रहा है। मायावती अभी पूरे उत्तरप्रदेश के चुनाव में सो रही थी अचानक उनका जागना कोई नया संकेत दे रहा है। पर एक बात साफ़ है बाबा का बुलडोजर और डंडा सब सफ़ाई कर देगा।