डिजायर न्यूज़ -नई दिल्ली , शैलेश सिन्हा एक नाम जो ट्रैफिक की दुनिया में एक अपना अलग ही वज़ूद रखते है , आज से नहीं पिछले कई दशक से रोड सेफ्टी के लिये दिन रात पुरे परिवार के साथ लोगो की जान बच्चाने में लगे है। अधिक ट्रैफिक के कारण आज के समय में सड़क हादसे बहुत ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं। भले ही ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों को कितनी भी ज्यादा सुरक्षित और हाइटेक क्यों न बनाएं, लेकिन सड़क हादसों पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग पाती है। आज हम आपको उन तीन बड़ी वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी वजह से अधिकतर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शैलेश सिन्हा को ट्रैफिक गुरु के नाम से जाना जाता है। डिजायर न्यूज़ से बात करते समय शैलेश सिन्हा ने बताया की हर घण्टे 17 लोग सड़क हादसे में मर जाते हैं।
शैलेश सिन्हा की संस्था ट्रैफिक पिपल फाउंडेशन सालो से रोड सेफ्टी के लिये काम कर रही है। शैलेश सिन्हा इस संस्था के संस्थापक है , और लोगो को रोड सेफ्टी में हर संभव सहायता पहुंचाने का प्रयास करती है , भारत के प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने भी मन की बात में रोड सेफ्टी के कामो को लेकर शैलेश सिन्हा का जीकर किया है। लाखो लोगो की मदद अभी तक यह संस्था कर चुक्की है। समय समय पर लोगो को रोड पर खुद खड़े होकर अपने लोगो के साथ यह संस्था लोगो को रोड सेफ्टी के नियमो का पालन करने की जानकारी देती है।
पहला कारण है नींद
शैलेश सिन्हा ट्रैफिक गुरु का कहना है कि जब भी आप कार चलाएं तो उससे पहले ये सुनिश्चित कर लें कि आपको नींद तो नहीं आ रही है। इसके लिए आप अपनी नींद पूरी करने के बाद ही लंबी दूरी पर ड्राइविंग के लिए निकलें, क्योंकि नींद पूरी नहीं होगी तो कार चलाते वक्त नींद आएगी और कार चलाते वक्त बीच में कभी भी नींद आई तो दुर्घटना होने का खतरा बन जाता है। कई दफ़ा ड्राइवर सफ़र जल्दी तय करने के कारण आराम नहीं करते है और नींद आने पर भी गाडी चलाते रहते है और नींद में दुर्घटना हो जाती है।
दूसरा कारण है नशा
शैलेश सिन्हा ट्रैफिक गुरु का मानना है कि आज नशा लोगो पर हावी होता जा रहा है , जो लोग नशा करके ड्राइविंग करते हैं तो उन्हें अपनी ये आदत सुधार देनी चाहिए, क्योंकि नशा करके वाहन चलाते वक्त वाहन पर पूरा नियत्रंण नहीं रहता है। ऐसे में वो लोग अपनी जान के साथ-साथ दूसरों की जान के लिए भी खतरा बन जाते हैं। नशे में इंसान कभी भी अपने होश में नहीं रहता है तो ऐसे में ड्राइविंग करना तो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। शैलेश सिन्हा का कहना है कि कभी भी नशा करने के बाद ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए। हमारे देश में नशे की हालत में अधिक दुर्घटनाएं होती है।
तीसरा कारण है तेज रफ्तार
अधिकतर सड़क हादसों के पीछे वाहनों की तेज रफ्तार होती है। जब भी तेज रफ्तार में वाहन चलाया जाता तो उसपर ड्राइवर का कंट्रोल कम होने लगता है और अगर सामने कुछ भी रुकावट आएगी तो ब्रेक जल्दी नहीं लग पाएंगो और एक्सीडेंट हो जाएगा। अगर वाहन सामान्य रफ्तार में चले तो उस पर कंट्रोल रहता है और आसानी से ब्रेक लग जाता है। इसलिए हमेशा तेज रफ्तार में वाहन चलाने से बचना चाहिए। राजधानी दिल्ली की खूनी होती सड़कों पर अंधाधुंध और बेकाबू गति से वाहन चलाने वाले को जल्दी से जल्दी पहुंचने की उम्मीद में, सिर्फ खुद की मंजिल सामने दिखाई देती है. न कि उसे उसके तीव्र गति वाहन के सामने आकर कुचल जाने वाले किसी निरीह इंसान की जान की कोई परवाह है.
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतें:
सड़क दुर्घटनाओं के कारण विश्व भर में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 11% मौतें भारत में होती हैं, जो कि विश्व में सर्वाधिक है। सरकार अब किसी भी नए या पहले से बने राष्ट्रीय राजमार्ग को शुरू करने से पहले उसका सुरक्षा ऑडिट करवा रही है. इस ऑडिट में यह जांच की जाती है कि सड़क हादसे की आशंका कितनी है. जब यह ऑडिट अनिवार्य हो गया है , तो जब तक सुरक्षा की मुकम्मल जांच नहीं हो जाती, तब तक उस पर यातायात शुरू नहीं होगा। विशेषज्ञ सड़क सुरक्षा उपाय के तहत सड़कों पर बने फुटओवर ब्रिज, अंडरपास, स्पीड ब्रेकर, सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार, पेव शोल्डर. इंटरचेंज, रेलवे क्रॉसिंग, बाजार या स्कूल के पास रोड पर लगे साइन बोर्ड, सड़कों पर चेतावनी के लिए लगाए गए साइन बोर्ड और संभावित खतरे, तीव्र मोड़ आदि की जानकारी देते हैं। प्रतिवर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।
ड्राइविंग के दौरान डिजायर न्यूज़ कुछ सामान्य कारणों को आप के साथ साझा कर रहे हैं , हो सकता है अगर आप इन बातों का ध्यान रखे तो हो सकता है आप अपनी और दूसरों की जिंदगी बचा सकते है। आप खुद भी सुरक्षित रहे और दूसरों को भी सुरक्षित रखे।
मोबाइल फोन का प्रयोग
निश्चय ही आज के समय में मोबाइल फोन हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग हो गया है। कभी-कभी तो हम मोबाइल के बिना अपने जीवन के बारें में कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन यही मोबाइल देश में सड़क हादसों का मुख्य कारण बनता जा रहा है। जी हां, आये दिन सड़क पर वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करने के कारण कई लोग हादसों का शिकार होते हैं। आज लोग गाडी ड्राइव करते समय मोबाइल का इस्तेमाल करते है , जो की सब से अधिक ख़तरनाक हैं। आज सरकार ने कई कड़े कानून लागू किये है।
ओवर स्पीडिंग और ड्रंक एंड ड्राइव
भारत में ओवर स्पीडींग यानी की तेज गति से वाहन चलाना भी एक पैसन बनता नजर आ रहा है। जिस प्रकार देश में एक से बढ़कर एक हाई स्पीड वाहन आये हैं वैसे ही इनके प्रयोग से ओवरस्पीडिंग के चलते हादसों की संख्या भी बढ़ी है। तेज गति के चलते बहुत से लोगों ने सड़क पर दम तोड़ा है। ड्रंक एंड ड्राइव, यानी की शराब पीकर गाड़ी चलाना। मेरे अनुसार देश में होने वाले सड़क हादसों का सबसे मुख्य कारण 'ड्रंक एंड ड्राइव' ही है। जी हां, इसका प्रचलन युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है और थोड़े से एडवेंचर के चक्कर में न जाने कितने लोग नशे में सड़क पर मौत के खेल को अंजाम दे रहें हैं। सड़क पर वाहन चलाते समय चालक ज्यादातर भ्रमित होते हैं, उनका ध्यान सड़क के बजाय इधर-उधर की बेवजह की बातों पर ज्यादा होता है। मसलन वाहन में चलता तेज संगीत, बातूनी सहयात्री आदि। इस कारण से भी देश में बहुत से हादसे हुये हैं। ड्रंक एंड ड्राइविंग में ने सरकार कई कड़े कानून लागु किये है इस में जेल तक का प्रावधान है।
रेड़ लाईट जंपिंग ओर सेफ्टी फीचर्स को नजरअंदाज
जल्दी तो आज के समय देश में हर किसी को है, हमारा देश की हालत उस आधी भरी हुई गागर की तरह हो गई है जो न तो विकसीत है और ना विकास का पूंछ छोड़ने के लिये तैयार है। बेवजह सभी को जल्दी है और इसी के चलते हर कोई सड़क पर रेड लाईट क्रॉसिंग को तोड़ने में अपनी सफलता समझता है और दूसरे वाहनों के बारें में सोचना भूल जाता है। भारतियों के बीच वाहनों को लेकर जो धारणा है वो कुछ ऐसी है कि उनकी कार चमकदार, स्पेशिएस, स्पीडी और दमदार होनी चाहिये भले ही उसमे सुरक्षा फीचर्स की कमी हो। खैर ये तो बात च्वाइस की हो गई लेकिन जो स्टैंडर्ड फिचर्स है जैसे सीट बेल्ट आदि जो आज के समय में हर गाड़ी में मौजूद है उनका प्रयोग करने में भी लोग लापरवाही दिखाते हैं। शायद यही वजह है कि हादसों में मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
सड़क पर जानवर, सड़क के नियमों की अनदेखी ओर ओवरटेकिंग
ऐसा कई बार देखा जाता है कि, सड़क पर वाहन चलाते समय लोग खुद को लोग किसी रेसर से कम नहीं समझते हैं, और ओवरटेकिंग करना अपना हुनर मानते हैं। ओवरटेक करना गलत नहीं है लेकिन गलत तरीके से ओवरटेक करना कत्तई सही नहीं है। इससे न केवल आपकी जान खतरे में होती है बल्कि सड़क पर मौजूद दूसरों की जिंदगी को भी आप खतरे में डालते हैं। आज के समय में ये एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, जी हां जिस तरह हम जंगलों को काट कर कंक्रीट के जंगल बढ़ा रहें हैं उसके चलते ये होना लाजमी था। कई बार सड़क पर जानवरों के आ जाने से हादसे होते हैं, और लोगों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ता है। ये बात तो दावे के साथ कही जा सकती है कि सड़क के नियमों के बारें में भारत में लगभग 75 प्रतिशत लोगों को जानकारी नहीं होती है। इसका मुख्य कारण गलत तरीके से लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस का मिल जाना भी है। सड़क पर नियमों के पालन न करने के चलते ही बहुत सारे हादसे होते हैं।
सड़क मंत्रालय ने अपने एक किरकुला सर्कुलर में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को गंभीर चोट लगने के एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाने वाले मददगारों के लिए एक योजना शुरू की है, जिसके तहत उन्हें 5,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों और परिवहन सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि यह योजना 15 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2026 तक प्रभावी होगी। नकद पुरस्कार के साथ एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि इस पुरस्कार के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर 10 सबसे नेक मददगारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
डिजायर न्यूज़ शैलेश सिन्हा जैसे मसीहा के जज़्बे को सलाम करता है, जो की अपनी संस्था ट्रैफिक पिपल फाउंडेशन और अपने पुरे परिवार के साथ आज रोड सेफ्टी के लिये दिन रात काम कर रहे है उसके साथ साथ शैलेश सिन्हा एक बेहतरीन एक्टर है , अच्छे इंसान भी हैं।