कानपुर के बिकरु गांव में गुरुवार रात 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड को अंजाम दिया हिस्ट्रीशीटर ????विकास दुबे ने। विकास अभी पुलिस की पहुंच से दूर है। लखनऊ में रह रही विकास की मां सरला बताती हैं कि 6 बीघा जमीन ही सबका काल बन गई। उन्हें कोई मलाल नहीं है कि अब विकास का क्या होगा। वो कहती हैं कि पुलिस जो भी करे, मुझे अफसोस नहीं है।
जिस 6 बीघा जमीन के लिए सारी घटना हुई है, वह विकास के रिश्तेदार लल्लन शुक्ला की थी। लल्लन की तीन बेटियां हैं। सुनीता, प्रतिभा और सरिता। लल्लन ने दो बेटियों की शादी कर दी। कोई बेटा नहीं था तो मौत से पहले लल्लन ने अपने भांजे सुनील शुक्ला को गोद लिया और जमीन उसी के नाम कर दी। सुनील की शादी विकास की बहन समीक्षा से हुई।
विवाद तब शुरू हुआ, जब लल्लन की बेटी प्रतिभा के पति राहुल तिवारी ने अपने ससुराल की यही जमीन बेचने की कोशिश की। राहुल चाहता था कि जमीन बेचकर अपनी साली सरिता की शादी करवा दे। विकास इसके खिलाफ था। उसका कहना था कि जमीन उसकी बहन समीक्षा के पति सुनील की है।
इस बात को लेकर विकास अड़ गया। राहुल और विकास के बीच की इस लड़ाई को लेकर कई बार पंचायत बैठी, लेकिन मामला नहीं सुलझा। इसी विवाद को लेकर राहुल ने विकास के खिलाफ अपहरण और जानलेवा हमले की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई। जबकि, रिश्ता देखा जाए तो राहुल भी विकास का बहनोई ही लगता है।
मां का दर्द- इतना ही खराब था विकास तो सबने उसे अपनी पार्टी में क्यों रखा?
मां सरला कहती हैं- विकास ने बिकरु ही नहीं, आसपास के 85 गांवों को चमका दिया था। बिजली-पानी और सड़क...गांवों तक सब पहुंचाया। उसे नेताओं ने गलत राह पर डाल दिया। पहले उससे अपराध करवाए, फिर उसकी जान के पीछे पड़ गए।
5 साल भाजपा में, 15 साल बसपा और 5 साल सपा में रहा। अगर वह इतना ही खराब था तो राजनीतिक पार्टियों और उस वक्त के मुख्यमंत्रियों ने उसे अपने दल में शामिल क्यों किया? ये नेता दूर रहते तो विकास शांतिसे अपनी जिंदगी जी रहा होता। अब जो उसने किया, वो तो उसे भुगतना ही पड़ेगा।
फिरौती, प्रॉपर्टी डीलिंग, वसूली और कई अन्य गैरकानूनी तरीकों से पैसे कमाने वाला विकास दुबे शातिर अपराधी है। पुलिस पर हमला करने के बाद से ही वह फरार है और उसकी तलाश जारी है। जानकारों का कहना है कि लगभग हर फैक्ट्री से विकास को चढ़ावा भेजा जाता था। नामी फैक्ट्रियों से उसे सालाना चंदा मिलता था। विकास की कमाई का दूसरा बड़ा जरिया विवादास्पद संपत्ति को खरीदना था। बताया गया कि विकास का नाम यूपी के टॉप 25 अपराधियों की सूची में भी नहीं था लेकिन कानपुर शूटआउट के बाद वह उत्तर प्रदेश का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन गया है। करीब 1300 -1400 की आबादी वाले गांव बिकरू की मौजूदा प्रधान अंजलि दुबे विकास के परिवार से ही हैं। मिली-जुली आबादी के गांव के दूसरी तरफ के लोग बताते हैं कि 8-10 गांवों में विकास ही पुलिस और अदालत था। चौबेपुर थाने की पुलिस उसकी गुलाम थी और किसी भी केस में पुलिस गांव नहीं आई। मामूली सी बात पर ही वह बच्चों से लेकर बुजुर्गों को बेरहमी से पीटता था। हाथ-पैर तोड़ना उसके लिए मामूली बात थी। कुछ महीने पहले गांव के रामबाबू यादव की जमीन उसने जबरदस्ती नीलाम करवा दी थी। ग्रामीण बताते हैं कि 1992 में गांव में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। विकास ने यहां खूब कहर बरपाया था। कई लोग अपनी याददाश्त खो बैठे। कई सदमे में चल बसे। कुछ ऐसे बुजुर्ग अब भी गांव में मौजूद हैं।
विकास दुबे को अब यूपी के सभी 75 जिलों की पुलिस तलाश रही है। एक रात में ही विकास दुबे यूपी का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन गया है। अपराध की दुनिया में तीन दशक तक वर्चस्व कायम रखने वाले शातिर विकास को पकड़ने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। जानकारों का कहना है कि विकास मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता है। ऐसे में यदि वह बिना मोबाइल कहीं चला गया तो उसे पकड़ना आसान नहीं होगा। दूसरी आशंका उसके भेष बदलने की है। विकास को जानने वाले कहते हैं कि वह भेष बदल किसी दूसरे प्रदेश में खेतों में मजदूरी या चने बेचने जैसे काम भी कर सकता है।
विकास दुबे खुद भी राजनीति में सक्रिय था। 2015 में वह नगर पंचायत चुनाव भी जीता। स्थानीय नेता उसको संरक्षण भी देते रहे। एसपी, बीएसपी में रहने के बाद वह बीजेपी के भी आसपास मंडराता रहा था। सूत्रों के मुताबिक, विकास दुबे के नेताओं से लिंक का पता लगाने के लिए सीएम योगी ने निर्देश दिए हैं कि उन सभी नेताओं और अधिकारियों की लिस्ट तैयार की जाए, जो विकास दुबे को संरक्षण
विकास दुबे की शख्सियत इस कदर मशहूर हो रही थी कि हर कोई उसके साथ नजर आना चाहता था। जानकारी के मुताबिक, विकास के घर होने वाली पार्टी में स्थानीय नेता से लेकर बड़े-बड़े सिलेब्रिटी तक पहुंचते थे। स्थानीय अधिकारी, वकील और अन्य प्रतिष्ठित लोग भी विकास की महफिल में शिरकत करते थे। इन्हीं के दम पर विकास दुबे का रौब और बन गया था।
अब विकास दुबे के मामले से ही समझ लीजिए। थाने में मारे गए संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला कहते हैं कि उनके भाई की हत्या में पुलिस की कमजोर चार्जशीट और पुलिस वालों के बयानों से मुकरने के कारण वह बच निकला था। अब वही विकास पुलिस वालों की मौत का कारण बना। 2005 में वह शुक्ला हत्याकांड से बरी हो गया। तत्कालीन सरकार हाई कोर्ट भी नहीं गई क्योंकि तब उसे बीएसपी का संरक्षण था। स्थानीय लोग बताते हैं कि वह एक प्रिंसिपल की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा के कारण जेल में था। आम चुनाव से पहले एक सत्तारूढ़ दल के नेता ने उसे जेल से बाहर निकलवाने में मदद की। वही मदद अब आठ पुलिस वालों की हत्या का कारण बनी।
विकास की मां ने कहा, 'अभी लड़के (पुलिसकर्मी) आए थे, उन्होंने हमें बताया कि विकास ने यह सब कर डाला। विकास को अब मार डालो। दूसरे की आत्मा दुखी की है, अब उसे भी मार देना चाहिए। विकास पहले ऐसा नहीं था। हमने इसे पीपीएन कॉलेज में पढ़ाया था। इसकी नौकरी लग रही थी एयरफोर्स में, फिर नेवी में। इसे गांव वालों और राजनीति ने बर्बाद कर डाला। पहले ये पांच साल जनता पार्टी में रहा क्योंकि हरि किशन उस पार्टी में था। फिर हरिकिशन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में आ गए तो यह भी आ गया। फिर यह पांच साल से समाजवादी पार्टी (एसपी) में था।'
बता दें कि विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए नोएडा से लेकर नेपाल बॉर्डर तक अलर्ट कर दिया गया है। यूपी पुलिस और एसटीएफ की 20 टीमें और तीन हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। विकास के परिवार के लोगों समेत करीब 500 करीबियों के मोबाइल फोन पुलिस ने सर्विलांस पर ले रखे हैं। उसके करीबी पुलिसकर्मियों की भी निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही विकास के ऊपर इनाम की राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है.
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आखिर अंत हो ही गया विकास दुबे का दफन हो गई बो राज जो विकास दुबे के सीने में दफन थे शायद अब कुछ सवालों के जवाब ना मिले लेकिन फर्क क्या पड़ता है जुर्म की दुनिया का यही अंत है बॉलीवुड की एक मूवी खाकी का वह सीन याद आ गया जिसमें अमिताभ बच्चन कहता है कि अगर एक पुलिस वाला चाहे तो कोई किसी बच्चे का खिलौना भी नहीं छीन सकता महाकाल ने काल को अपने पास बुलाया क्या अब मरने वाले पुलिस वालों को इंसाफ मिल पाएगा लगता है विकास दुबे की फाइल के साथ ही बंद हो जाएगा विकास दुबे के नाम पर कई बॉलीवुड फिल्में बनेगी और हिट भी होंगी अगर जनता के सवाल बहुत ज्यादा है तो सरकार के पास भी जवाबों की कमी नहीं है