डिजायर न्यूज़ -नई दिल्ली , साइबर क्राइम एक ऐसा विषय है जिसको लेकर सभी देश परेशान तो हैं ही साथ साथ मजबूर भी है की वो कुछ नहीं कर पा रहे है , एक सॉफ्टवेयर बन कर रेडी बाद में होता है उस से पहले हैकर्स उसका हैकिंग सिस्टम त्यार कर लेते है , इंडिया ही नहीं अमरीका जैसा देश भी इस से परेशान है। आज देश विदेश में बैठकर हैकर्स जहाँ आप का पैसा बैंको से निकाल लेते हैं वही आप की इमेज के साथ साथ मानसिक संतुलन को भी ख़राब कर रहे है। सोशल मीडिया गूगल इन सब ने मिलकर इंसान की गोपनीयता को मानो ख़तम ही कर दिया हो। सुबह उठने से लेकर सोने तक का सफ़र हमारा आज सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हो रहा हैं।
कोरोना कॉल में तो साइबर अपराध चरम सीमा पर पहुंच गया है क्यों की बच्चों के स्कूल बंद रहे और उनके हाथ में ऑन लाइन पढ़ाई करने के लिये स्मार्ट फ़ोन आ गया अब वो इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं, ये खुद माँ बाप को भी नहीं पता , क्यों की वो अपने काम में इतने बिजी हैं कि बच्चा किस साइट पर जाकर क्या देख रहा है कुछ नहीं पता। आज इंटरनेट के कारण बच्चे अपना मानसिक संतुलन खो रहे हैं। घर बैठ कर पैसा कैसे कमाये इसके चलते क्राइम कर रहे है। अपराधियों ने भी इंटरनेट का सहारा लेकर नए नए अपराधों को जनम देने का काम शुरू कर दिया हैं।
साइबर अपराधों को कई श्रेणियों में रखा जा सकता है। व्यक्ति या व्यक्ति के खिलाफ साइबर अपराधों में ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न शामिल है। पीछा करना, मानहानि, कंप्यूटर सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच, अश्लील एक्सपोजर, ई-मेल स्पूफिंग, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी और अश्लील साहित्य आदि आते है।
साइबर अपराध पूरी दुनिया में सुरक्षा और जांच एजेंसियों के लिए समस्या का सबब बन गया है| ऑनलाइन माध्यम अर्थात इन्टरनेट द्वारा किए जाने वाले अपराध को साइबर अपराध कहा जाता है, अर्थात इंटरनेट के माध्यम से अंजाम दिए जाने वाले अपराधों के हाईटेक रूप से साइबर क्राइम कहा जाता है।
आज के टेक्निकल युग में कंप्यूटर और इन्टरनेट का उपयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है, ऐसे में कोई भी कार्य बिना कंप्यूटर की सहायता से करना काफी मुश्किल लगता है| कंप्यूटर एयर इन्टरनेट के क्षेत्र में लगातार डेवलपमेंट को देखते हुए अपराधी भी तकनीक के माध्यम से हाईटेक हो रहे हैं| वह अपराध करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वर्ल्ड वाइड वेब आदि का प्रयोग कर रहे हैं, ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी में आता है| किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना यह सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं|
साइबर अपराध पूरी दुनिया में सुरक्षा और जांच एजेंसियों के लिए समस्या का सबब बन गया है| ऑनलाइन माध्यम अर्थात इन्टरनेट द्वारा किए जाने वाले अपराध को साइबर क्राइम कहा जाता है, अर्थात इंटरनेट के माध्यम से अंजाम दिए जाने वाले अपराधों के हाईटेक रूप से साइबर अपराध कहा जाता है। इसके अंतर्गत इंटरनेट की सहायता से क्रेडिट कार्ड चोरी, ब्लैकमेलिंग, स्टॉकिंग, पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
इन अपराधों में संचार सेवाओं की चोरी, औद्योगिक जासूसी, साइबर-स्पेस में अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार, इलेक्ट्रॉनिक मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी, इलेक्ट्रॉनिक क्रूरता, आतंकवाद और जबरन वसूली जैसी अवैध कंप्यूटर से संबंधित गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इस ही के साथ इसमे टेली-मार्केटिंग धोखाधड़ी, टेली-संचार का अवैध अवरोधन भी शामिल है।
हैकिंग / सॉफ्टवेयर के माध्यम/
जब कोई व्यक्ति किसी उद्देश्य के लिए आपके कंप्यूटर, नेटवर्क तथा सर्वर आदि में तकनीक या सॉफ्टवेयर के माध्यम से सिस्टम को अपने अनुसार मॉडिफाई कर डाटा चुराता हैं, नष्ट कर देता हैं या फिर उसमें संशोधन कर देता हैं, यह प्रक्रिया हैकिंग कहलाती है| जिस व्यक्ति द्वारा यह तकनीक को अंजाम दिया जाता है, उस व्यक्ति को हैकर कहते हैं| हैकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति गैरकानूनी रूप से किसी व्यक्ति की निजी जानकारियों में बिना अनुमति के दखल देता है| इसके लिए कुछ अपराधी ऑर्गेनाइजेशन एथिकल हैकर के माध्यम से वह उनकी वेबसाइट की सिक्योरिटी तोड़ देते हैं, और पूरी तरह से हैक कर सकते हैं| इसके अलावा वह उनके सोशल मीडिया एक्सेस को भी हैक कर उनकी पहचान का इस्तेमाल कर सकते हैं| इस अपराध की सबसे बड़ी बात यह है, कि उस कंप्यूटर ऑनर को भी इस बात की जानकारी नहीं होती है, कि कोई हैकर उनके कंप्यूटर में मौजूद सभी प्रकार की जानकारी का उपयोग उनके ही नाम से कर रहे है| आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66 – आईपीसी की धारा 379 और 406 के अंतर्गत अपराध सिद्द होने की दशा में 3 वर्ष की कैद या 5 लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है|
निज़ी जानकारी चुरा कर / बैंक धोखाधड़ी/ बैंक क्रेडिट कार्ड एटीएम कार्ड/ पैटीएम
अधिकांश मामलों में अपना ही कोई आप की निजी जानकारी चुरा कर इस अपराध को अंजाम देता है , इस प्रकार की घटना प्रायः ऐसे व्यक्तियों के साथ होती है, जो उच्च पदों पर आसीन होते है, और उनकी सभी प्रकार की विभिन्न प्रकार से कैश ट्रांजैक्शन बैंक या उनके क्लाइंट के साथ होती रहती है| ऐसे में उनका कोई सहयोगी या करीबी जानकार व्यक्ति उनके अकाउंट से जुड़ी सभी जानकारी को चुपचाप चुरा लेता है, फिर उनके बैंक क्रेडिट कार्ड एटीएम कार्ड आदि का नंबर प्राप्त करने के बाद भी उसके बैंक अकाउंट से पैसों का गबन करता है, जिसकी जानकारी खाताधारक को नहीं होती है, जबकि यह एक बहुत बड़ा साइबर क्राइम है| ऐसा अपराध करने वाले शख्स पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43, 66 (सी), आईपीसी की धारा 419 लगाए जाने का प्रावधान है| जिसमे दोष सिद्ध होने पर 3 वर्ष की कैद या 1 लाख रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है|
साइबर स्टॉकिंग / हनीट्रैप / सोशल मीडिया
डिजायर न्यूज़ साइबर अपराध को रोकने के लिए कई मुहिम चला चुका है। आज के समय मैं सब से अधिक क्राइम सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा हैं क्यों की हम अपनी अधिक से अधिक जानकारी वहाँ शेयर करते हैं , डेट ऑफ बर्थ , मोबाइल नंबर , जन्म दिन , पूरी फैमिली की जानकारी और लोकेशन आदि।
इस प्रकार का अपराध मुख्य रूप से सोशल मीडिया फेसबुक, इंस्टाग्राम, ईमेल साइट आदि के माध्यम से किया जाता है| इसके अंतर्गत अपराधी ऐसे लोगों को परेशान करते हैं, जिनमें या तो कोई छोटे बच्चे हो या फिर टीनएजर्स शामिल हो| उनके साथ अभद्र प्रकार की चैट करते हैं या फिर उन्हें उल्टी-सीधी पिक्चर्स भी भेजते हैं| ऐसे में बच्चों में अधिक समझदारी और जानकारी न होनें के कारण वह उसका शिकार हो जाते हैं और सामने वाला अपराधी उन्हें बार-बार अलग अलग आईडी से परेशान करता रहता है और उन्हें ब्लैकमेल करता है| वर्तमान समय में यह आम बात हो गई है, परंतु यह साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है| यदि कोई पीड़ित व्यक्ति इसके विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाता है, तो इस पर तत्काल कार्यवाही की जाती है| इस तरह के प्रकरण में आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत तीन वर्ष तक की जेल या जुर्माना हो दोनों हो सकते है|
वायरस सॉफ्टवेयर के माध्यम से
अपराध करनें वाले लोग कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते है, जो देखने में बहुत ही आकर्षित होते हैं, परंतु यदि उन पर क्लिक किया जाए या उन्हें अपने फोन या कंप्यूटर में डाउनलोड कर लिया जाए, तो आपके कंप्यूटर और फोन को पूरी तरह से हैक कर लिया जाता है| ऐसे में वह आपके कंप्यूटर और फोन का पूरा डाटा अर्थात जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, और आपके सभी अकाउंट का एक्सेस भी उन्हें मिल जाता है| आजकल यह क्राइम बहुत ही आम है, जो साइबर क्राइम में बहुत बड़ा अपराध है| इस प्रकार की घटनाओं में आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66, आईपीसी की धारा 268 और देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरस पर साइबर आतंकवाद से सम्बंधित धारा 66 (एफ) भी लगाई जाती है|
सोशल मीडिया से फोटो चुराना / हनी ट्रैप / विडिओ कॉल
साइबर अपराध के अंतर्गत कुछ लोग किसी लड़की के सोशल मीडिया अकाउंट उसके फोटो चुरा लेते हैं और उन्हें पिक्चर्स को लेकर वह उन लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं| इसका शिकार कई औरतें, लड़कियां और बच्चे होते हैं| साइबर स्पाइंग के अंतर्गत कुछ बड़े होटल के बाथरूम और कमरे के बेडरूम में चुपचाप तरीके से कुछ कैमरे लगा दिए जाते हैं| उन कैमरो में उन लड़कियों के कुछ अश्लील फोटो और वीडियो रिकॉर्ड कर लिए जाते हैं| ऐसा ही कुछ शॉपिंग मॉल या फिर कुछ गारमेंट की दुकानों पर भी किया जाता है, जहां पर लड़कियां ड्रेस चेंज करके अपनी फिटिंग चेक करती हैं| उनकी पिक्चर्स और वीडियोस लेकर उन लड़कियों को ब्लैकमेल किया जाता है, जो एक साइबर अपराध का बहुत बड़ा दंडनीय अपराध है|
वैवाहिक मिलान वाली साइट
वैवाहिक मिलान वाली साइट से आजकल साइबर अपराध ने एक अलग़ रूप ले लिया हैं , उसपर अच्छे रिश्ते के लिये हम अपनी सभी जानकारी डाल देते हैं , ओर हैकर्स वहाँ से जानकारी जुटा कर दोस्ती करके या तो पैसा लूट लेते है या ब्लैकमेल शुरू कर देते हैं। साइबर बुलिंग के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के प्रकरण देखने को मिलते हैं| अपराधी लड़के अलग-अलग जगहों की लड़कियों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से दोस्ती कर धीरे-धीरे मेलजोल बढ़ाने के बाद उनसे संबंध बनाने के लिए जिद करते हैं और अंत में राजी भी कर लेते हैं| अपराधी उनके कुछ अश्लील फोटो व वीडियोस बना लेते हैं, जिनके बाद उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं| इसके अतिरिक्त वह उन्हें यह धमकी देते हैं, कि वह उनकी यह तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकते हैं| ऐसे में पीड़िता डर जाती हैं और कोई गलत कदम भी उठा लेते हैं. कई दफ़ा सामाजिक डर से पीड़िता आत्महत्या जैसा क़दम भी उठा लेते हैं।
एक राज्य से दूसरे राज्य / एक देश से दूसरे देश
साइबर अपराध करने वाले अपराधी को पता होता है क़ि अगर वो अपने राज्य में कोई अपराध करेगा तो पुलिस आसानी से पहुंच जाएगी इस लिये अपराधी दूर के राज्य में अपराध करता हैं ताकि एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य में जाकर अपराधी को पकड़ना आसान नहीं होता है और फिर वो आसानी से बच जाते है। अब तो अपराधी दूसरे देशों में इस अपराध को अंजाम देते है , इंडिया का अपराधी अमरीका के नागरिको से अपराध करता है और अमरीका का अपराधी इंडिया के नागरिको से अपराध करता है।
जागरूकता ही साइबर अपराध से बचनें का उपाय
डिजायर न्यूज़ कुछ जानकारी आप से साझा कर रहा है , अगर हम इन्हे अपनी जागरूकता का हिस्सा बना कर याद रखे ओर अपने इंटरनेट बैकिंग और बैकिंग के लेन-देन का प्रयोग कभी भी किसी पब्लिक साइबर कैफे औऱ ना ही किसी भीड़भाड़ वाले जगहों पर न करे, जहां पर आपकी निजी जानकारी आसानी से चोरी हो सकती है। इंटरनेट बैकिंग के अंतर्गत किसी भी प्रकार का ट्रांजेक्शन किसी दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर से कदापि न करें, और ट्रांजेक्शन करनें के पश्चात ईमेल अकाउंट को लागआउट करना न भूलें। इस प्रकार के ब्राउजिंग के डाटा को उसके हिस्ट्री में जाकर डिलीट कर दें।
लॉग इन करने के बाद कंप्यूटर के द्वारा पूछे गये आप्शन जैसे कीप ओन लागिंग या पासवर्ड रिमेम्बर वाले लिंक पर क्लिक नहीं करें। आप कभी अपने इन्टरनेट बैकिंग के यूजर नाम और अकाउंट मेल, उसके पासवर्ड, प्राइवेसी या सिक्यूरिटी के प्रश्न और उनके उत्तर और ओ.टी.पी को किसी नोटबुक, मोबाइल और लैपटाप में लिखना चाहिए। आप अपने ईमेल अकाउंट के इन बाक्स में आये किसी बी स्पैम मेल को न तो ओपन करें और ना ही किसी अटैचमेंट को डाउनलोड करे। अपने कंप्यूटर को एंटी-वायरस और एंटी-मैलवेयर साफ्टवेयर का यूज करें ताकि कंप्यूटर को वायरस अटैक से बचाया जा सके।
आप अपने कंप्यूटर, ईमेल अकाउंट औऱ अन्य प्रकार के इन्टरनेट ट्रांजेक्शन के लिए स्ट्रोंग पासवर्ड का प्रयोग करें, जो कि शब्दों और नंबरों से मिलकर बना हो। अपनी डेट ऑफ बर्थ , मोबाइल नंबर आदि को पासवर्ड में यूज़ ना करे। हर महीने या जब भी आप को लगे आप का पासवर्ड किसी ने देखा है तुरंत उसे बदल दे।
साइबर अपराध की शिकायत
देश मे बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुये सरकार ने लोगो की सुविधा हेतु ऑनलाइन वेबसाइट cybercrime.gov.in शुरू की है| जिसके माध्यम से आप अपने घर बैठे शिकायत दर्ज कर सकते है | ऑनलाइन वैबसाइट पर साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने बाद आप उसका स्टेटस की जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे | इसे साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल नाम दिया गया है। किसी भी अपराध की ऑनलाइन शिकायत करनें के बाद गृह मंत्रालय से मामला जांच के लिए प्रदेश पुलिस को भेज दिया जाता है, साथ ही इसकी निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाता है, जो समय-समय पर समीक्षा करनें के उपरांत इसकी रिपोर्ट मंत्रालय में भेजेगा| आप के साथ अपराध छोटा हो या बड़ा इसकी जानकारी ओर सूचना साइबर क्राइम को जरूर दे , ताकि अपराधी को जल्दी से जल्दी पकड़ा जा सके।
साइबर अपराध से बचने के मूलमंत्र
इससे बचने का मूलमंत्र है जागरूकता। जैसे हम असली दुनिया में खुद की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, ठीक उसी तरह काल्पनिक दुनिया में भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए सावधानी जरूरी है। कई बार लोग अनजाने में साइबर क्राइम कर बैठते हैं या इसका शिकार हो जाते हैं। ड्राइविंग की तरह नज़र हटी दुर्घटना घटी। ऐसे ही अगर जागरूकता की कमी रही तो हम इस साइबर क्राइम को रोकने में कभी कामयाब नहीं होंगे।
डिजायर न्यूज़ जल्दी ही अपने डिजायर न्यूज़ चैनल पर आप के लिये एक फेस टू फेस शो लेकर आ रहा है , जिसमें देश और विदेश से जुड़े साइबर एक्सपर्ट्स से आप को रुबरूह करवाएंगे। ओर अधिक से अधिक जानकारी आप सब तक पहुंचे और हम कभी भी इस साइबर अपराध के शिकार ना बने। फ़ोन पर ओ टी पी किसी को ना बताये , मैसेंजर , व्हाटप या इंस्टाग्राम पर अंजान इंसान की विडिओ कॉल ना रिसीव करे। फेसबुक इंस्टाग्राम पर अंजान लोगो की फ्रेंड रिक्वेस्ट ना मंजूर करे।