हर बार घिनौनी हरकतों से दिल्ली शर्मसार -एसिड अटैक -डिजायर न्यूज, नई दिल्ली

हर बार घिनौनी हरकतों से दिल्ली शर्मसार -एसिड अटैक

डिजायर न्यूज, नई दिल्ली– हम ये नहीं कहते कि सब से ज्यादा जुर्म या महिलाओं की सुरक्षा का खतरा दिल्ली में ही है, पर ये भी किसी से नहीं छुपा है कि घिनौनी हरकतों की वजह से दिल्ली में आज भी महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती। हर दिन कोई न कोई घटना दिल्ली को दहला देती है और फिर एक सवाल उठ जाता है कि आखिर कब तक गुंडे बदमाश कानून से खेलते रहेंगे। अभी हाल ही में आफताब श्रद्धा के केस ने लोगों की नींद उड़ा रखी थी कि कल द्वारका में 17 साल की बच्ची पर एसिड फेंक दिया।
पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर के निकट मोहन गार्डन बुधवार (14 दिसंबर 2022 ) सुबह मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने एक 17 वर्षीय स्कूल छात्रा पर तेजाब फेंक दिया। लड़की को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि घटना सुबह के करीब 7 बजकर 32 मिनट हुई। इसमें दिख रहा है कि 12वीं में पढ़ने वाली 17 साल की छात्रा अपनी छोटी बहन के साथ पैदल जा रही है। दोनों स्कूल जाने के लिए मोहन गार्डन अपने घर से निकली थी। दोनों बहनें घर से चंद कदम की दूरी पर ही पहुंची थीं कि तभी बाइक पर सवार 2 लड़के उनकी तरफ आए और पीछे बैठे लड़के ने बोतल से एसिड बड़ी बहन के चेहरे पर फेंक दिया। छोटी बहन की सूझबूझ के चलते ही पुलिस अपराधियों तक पहुंच पायी है।

डिजायर न्यूज के सूत्रों के हवाले से पुलिस ने बताया कि युवती ने मुख्य आरोपी सचिन से बात करने से मना कर दिया था, जिसके बाद आरोपी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर खौफनाक योजना बना ली। मुख्य आरोपी सचिन और युवती में दोस्ती थी। कुछ दिनों पहले किसी बात पर युवती ने सचिन से बात करनी बंद कर दी। इसके बाद सचिन उसे बात करने के लिए परेशान करने लगा। इस पर भी युवती नहीं मानी तो सचिन ने अपने दोस्तों हर्षित और वीरेंद्र सिंह के साथ मिलकर छात्रा पर तेजाब हमला करने की योजना बना ली। यहाँ तक की दोस्त का मोबाइल और कपडे इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन को कहीं और दिखाने और पुलिस को गुमराह करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

सोची समझी योजना से किया हमला
सूत्रों के हवाले से तेजाब फेंकने के लिए सचिन और हर्षित गए जबकि वीरेंद्र का काम पुलिस को गुमराह करने का था। इसके लिए उसे सचिन के कपड़े पहनकर उसकी बाइक से किसी सार्वजनिक स्थान पर मौजूद रहना था जिससे किसी को सचिन पर शक ना हो। अगर आंकड़ों को देखे तो एसिड अटैक में अभी तक 50 परसेंट से भी कम मुल्जिमों को सजा मिली है। जिन मामलों में सब सबूत पुलिस के हाथ में हो, ऐसे में जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा अगर इन मुल्जिमों को मिलती है तो ही ऐसे अपराध कुछ कम हो सकते है।


परिवार को भी नहीं पता ऐसा हो जायेगा
पीड़िता के पिता एसिड अटैक के बाद अपनी बेटी को लेकर दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंचे। परिवार वालों का कहना है कि पहले बेटी ने कभी किसी छेड़खानी या किसी परेशानी की शिकायत नहीं की थी। जिस तरीके से घर से निकलते ही बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया, डीसीपी एम हर्षा वर्धन ने बताया कि हमें लगता कि कि उन्होंने इलाके की रेकी की हुई होगी। उन्हें बच्चियों के स्कूल जाने के समय के बारे में भी पता होगा, जिसके बाद इस वारदात को अंजाम दिया गया है। शक के आधार पर पुलिस ने तीन लड़कों को पकड़ा है।

उत्तरप्रदेश, वेस्ट बंगाल और दिल्ली टॉप पर है
अगर एसिड अटैक की बात करे तो टॉप टेन में सब से उपर उत्तरप्रदेश, वेस्ट बंगाल और तीसरे नंबर पर दिल्ली है, 2014 से 2018 के बीच 42 परसेंट एसिड अटैक इन तीन राज्यों में ही दर्ज किये हैं। लेकिन सब से बड़ा दुर्भाग्य है कि अभी तक 50 परसेंट से भी कम सजा मिली है। 2005 में लक्ष्मी अग्रवाल का केस भी लोगों के दिलों में अभी तक बसा हुआ है। बॉलीवुड में बनी छप्पाक फिल्म में दीपिका पादुकोण ने लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार निभाया है और लक्ष्मी ने एसिड अटैक के बाद क्या क्या फेस किया है और वो कैसे उभर कर सामने आई, ये भी दर्शाया गया है।

कंगना रनौत की बहन रंगोली पर भी हुआ था एसिड अटैक
फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने एसिड अटैक करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, जब मैं टीनएजर थी, मेरी बहन रंगोली पर एक रोड साइड रोमियो ने एसिड अटैक किया था। उन्हें 52 सर्जरी करानी पड़ी थी। ऐसा मानसिक और शारीरिक ट्रॉमा झेला है जिसे बताना मुश्किल है। एक परिवार के तौर पर हम तहस नहस हो गए थे। क्रिकेटर से राजनेता बने दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने एसिड अटैक की इस घटना पर कहा है कि दोषियों को सार्वजनिक रूप से फांसी की सजा दी जाए। गौतम ने कहा है कि ऐसे अपराधियों में डर पैदा करना जरूरी है।
भारत सरकार का क्या कहना है
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट की अगर मानें तो 2018 -20 तक करीब 386 मामले ही दर्ज किये गए, कितने केस तो ऐसे है जिन्हे संज्ञान में लाया ही नहीं जाता। 386 मामलों में सिर्फ 62 आरोपियों को ही दोषी पाया गया है यह जानकारी संसद में खुद गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने दी है। अभी तक सभी कानून होने के बावजूद एसिड मार्किट में खुले आम बिक रहा है। भले ही वो टॉयलेट साफ करने के बहाने से या किसी और काम में इस्तेमाल करने के लिए आता हो। एसिड की बिक्री पर रोक लगाना इतना भी आसान नहीं है क्योंकि गाड़ी की बेट्रियों से लेकर टॉयलेट क्लीनिंग में इसका इस्तेमाल खूब हो रहा है। लेकिन 50 या 60 रुपये की एक बोतल कैसे किसी की जिंदगी को नर्क बना देती है इसका अंदाजा सिर्फ वो ही लगा सकते हैं जिन पर ये अटैक होता है और इस में सबसे ज्यादा महिलाएं ही इसकी विक्टिम बनती है।  

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
15-12-2022 01:54 PM
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