जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़: एक महान न्यायाधीश का कार्यकाल पूरा–नये मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना नहीं जा पाएंगे मॉर्निंग वॉक पर –डिजायर न्यूज़
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़: एक महान न्यायाधीश का कार्यकाल पूरा–नये मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना नहीं जा पाएंगे मॉर्निंग वॉक पर –डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली–भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (chief Justice of India ) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर 2024 को अपने पद से विदाई ली। उन्होंने न्यायपालिका में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए और देश के बड़े मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दिए। उनका आखिरी कार्यदिवस 8 नवंबर 2024 को था, जिसे पूरे देश ने लाइव देखा। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। 11 नवंबर 2024 को संजीव खन्ना देश के 51वे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की शपथ लेंगे। एक साधारण सा जीवन जीने वाले जस्टिस संजीव खन्ना अब मॉर्निंग वाक पर नहीं जा पाएंगे उनका कहना है कि सुरक्षा के घेरे के साथ वो वाक नहीं करना चाहते , वो अपने दोस्तों से भी बड़े साधारण तरीके से मिलते है , उन्हे गाड़ी चलाने का भी शौक है।
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। उनका कार्यकाल अब तक का सबसे लंबा था। 13 मई 2016 को धनंजय चंद्रचूड़ को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।
जस्टिस धनंजय ने मुंबई से अपनी शुरुआती पढ़ाई की और फिर अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की। वे शुरू से ही पढ़ाई में बेहद होशियार थे। उन्होंने भारत लौटकर वकालत शुरू की और धीरे-धीरे अपनी मेहनत से सुप्रीम कोर्ट के जज बने। 9 नवंबर 2022 को उन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
CJI चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले सुनाए, जिनका देश पर गहरा असर पड़ा। कुछ प्रमुख फैसले इस प्रकार हैं:
अनुच्छेद 370: उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में अहम भूमिका निभाई। अयोध्या मामला: राम जन्मभूमि विवाद पर उनके फैसले ने देश में शांति बनाए रखने में मदद की। सबरीमाला मंदिर विवाद: उन्होंने महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का समर्थन करते हुए लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया। CAA और NRC: नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की मान्यता पर उनका फैसला भी ऐतिहासिक रहा।पार्टियों को एलेक्ट्रोल बांड के ज़रिए जो गुप्त डोनेशन मिलती थी उसको भी उजागर करवाया। कई फेसलो में जहां उनकी तारीफ़ हुई तो कई फेसलो में लोगो ने उन्हे ट्रोल भी किया।
8 नवंबर 2024 को उनके आखिरी कार्यदिवस पर सेरेमोनियल बेंच बैठी। यह एक विशेष परंपरा है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश अपने आखिरी दिन कुछ खास केस सुनते हैं। इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस मनोज मिश्रा, और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल थे। शाम को सुप्रीम कोर्ट में उनके सम्मान में विदाई समारोह हुआ। इस मौके पर धनंजय चंद्रचूड़ ने अपनी मां और पिता से मिली सीख को याद किया। उन्होंने कहा, “मेरी मां ने मुझे सिखाया कि असली संपत्ति ज्ञान है, और मेरे पिता ने सिखाया कि न्याय के रास्ते पर हमेशा ईमानदारी से चलना चाहिए।”
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका को आधुनिक बनाने में बड़ा योगदान दिया। उनके कार्यकाल में कई तकनीकी सुधार हुए, जैसे:
ई-फाइलिंग: अब मामलों को डिजिटल तरीके से दर्ज किया जा सकता है। लाइव स्ट्रीमिंग: सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को लोग ऑनलाइन देख सकते हैं। डिजिटल कोर्टरूम: मामलों की सुनवाई में कागजों की जगह डिजिटल दस्तावेजों का उपयोग बढ़ा। सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ को CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑर्डर देकर बनवाया। इसका उद्देश्य यह संदेश देना है कि देश में कानून अंधा नहीं है और यह सजा का प्रतीक नहीं है। इसके अलावा 1 सितंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के वैलेडिक्ट्री इवेंट में सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग और चिह्न भी जारी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने छुटि्टयों के कैलेंडर में बदलाव किया है। अब ग्रीष्म अवकाश की जगह “आंशिक न्यायालय कार्य दिवस” शब्द का इस्तेमाल होगा। यह अवधि 26 मई 2025 से 14 जुलाई 2025 तक रहेगी। नए नियमों के तहत जजों की छुटि्टयों की संख्या 103 से घटाकर 95 कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुर्सियों को भी बदला गया है। ब्रिटेन में एक इवेंट के दौरान एक शख्स ने जजों की कुर्सियों की ऊंचाई अलग होने पर सवाल उठाया। इसके बाद CJI ने भारत लौटकर रजिस्ट्री अधिकारी को निर्देश दिए, और अब सभी कुर्सियां एक जैसी होंगी। इन सुधारों ने न्याय प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया। इससे आम जनता को न्याय तक पहुंचना आसान हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में हर साल हजारों मामले दर्ज होते हैं। चंद्रचूड़ ने कोशिश की कि ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटारा हो। उनके कार्यकाल में करीब 1.07 लाख मामलों का फैसला किया गया। इससे कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या में कमी आई। 2020 में सुप्रीम कोर्ट में 79,500 मामले लंबित थे, जो 2024 में घटकर 82,000 हो गए। उनके विदाई भाषण की कुछ प्रमुख बातें– सेवा से बड़ा सुख नहीं:CJI ने कहा, “जरूरतमंदों की सेवा करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है। यह अदालत हमें रोज कुछ नया सिखाती है।” सोशल मीडिया और ट्रोलिंग पर हंसी-मजाक:CJI ने कहा, “सोमवार से मेरे ट्रोल बेरोजगार हो जाएंगे। मेरे कंधे इतने मजबूत हैं कि मैं आलोचना सह सकता हूं।” न्यायिक सुधार:CJI ने कहा कि उन्होंने रजिस्ट्रार की 1500 फाइलों को व्यवस्थित किया और न्यायालय की कार्यप्रणाली को सुधारने का प्रयास किया।
अपनी विदाई के दौरान धनंजय चंद्रचूड़ ने कई प्रेरणादायक बातें कही। उन्होंने कहा, “न्यायपालिका में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा। न्याय देने का काम एक पवित्र जिम्मेदारी है।” उन्होंने मजाक में यह भी कहा, “सोमवार से मेरे ट्रोल्स बेरोजगार हो जाएंगे।” उनका यह हंसी-मजाक सभी के चेहरे पर मुस्कान ले आया। उनके सहकर्मी और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने चंद्रचूड़ की जमकर तारीफ की। अटॉर्नी जनरल एआर वेंकटरमणी ने कहा, “आपने हमेशा निष्पक्ष न्याय किया है।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा, “चंद्रचूड़ साहब ने हर फैसले में धैर्य और समझदारी का परिचय दिया। वे हमेशा सभी की बात सुनते थे, चाहे वह कोई भी हो।” जस्टिस संजीव खन्ना, जो अब नए मुख्य न्यायाधीश बने हैं, ने कहा, “चंद्रचूड़ का कार्यकाल हर जज के लिए एक मिसाल है। उनके द्वारा स्थापित ऊंचे मानदंडों पर खरा उतरना चुनौतीपूर्ण होगा।”
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित किए गए विदाई समारोह में शिरकत की। इस दौरान सीजेआई ने अपने पिता से जुड़ा एक किस्सा सुनाया और बताया कि किस तरह से उनके पिता और देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ ने उन्हें पुणे का एक फ्लैट रिटायरमेंट तक बेचने से मना किया था और इसकी वजह क्या थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पिता ने कहा कि – मैं उसमें नहीं रह पाऊंगा और मुझे ये भी नहीं पता कि मैं कब तक तुम लोगों के साथ रहूंगा, लेकिन इस फ्लैट को तब तक अपने पास रखना, जब तक तुम बतौर जज सेवानिवृत्त न हो जाओ।
सीजेआई ने कहा कि इस पर मैंने अपने पिता से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि ‘अगर तुम्हें कभी लगे कि तुम्हारी नैतिक और बौद्धिक ईमानदारी से समझौता हो रहा है। तो मैं चाहता हूं कि तुम्हें ये पता रहे कि तुम्हारे सिर पर एक छत है। कभी भी बतौर वकील या न्यायाधीश इसलिए समझौता मत करना कि तुम्हे लगे कि तुम्हारे पास रहने के लिए अपनी कोई जगह नहीं है।’
मां को भी किया याद
अपनी मां को याद करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘बचपन में मैं बहुत बीमार रहता था तो मेरी मां मेरी देखभाल में पूरी-पूरी रात जागती थीं।’ सीजेआई ने कहा कि मेरी मां ने मुझे बताया उन्होंने मेरा नाम धनंजय क्यों रखा। सीजेआई ने कहा कि ‘मेरी मां ने मुझसे कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय इसलिए नहीं रखा है कि तुम धन का अर्जन करो। मैं चाहती हूं कि तुम धन की बजाय विद्या के धन का अर्जन करो।’ उल्लेखनीय है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो की शास्त्रीय संगीतकार थीं। सीजेआई ने बताया कि ‘अधिकतर मराठी महिलाओं की तरह मेरी मां का भी घर में प्रभुत्व था। घर से जुड़े अधिकतर फैसले वही करती थीं। इसी तरह ओडिशा में भी ऐसा ही है क्योंकि मेरे घर पर भी अधिकतर फैसले मेरी पत्नी कल्पना ही करती हैं।’
धनंजय चंद्रचूड़ और उनके पिता यशवंत चंद्रचूड़ भारतीय न्यायपालिका में एकमात्र ऐसी जोड़ी हैं, जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। यह जोड़ी न्यायपालिका के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है। CJI चंद्रचूड़ के बाद, जस्टिस संजीव खन्ना ने 10 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा। 13 मई 2025 को समाप्त होगा। उम्मीद है कि वे भी चंद्रचूड़ की तरह न्यायपालिका को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। धनंजय चंद्रचूड़ का कार्यकाल न्यायपालिका के लिए एक यादगार समय था। उन्होंने अपने काम से साबित किया कि न्यायपालिका का काम सिर्फ कानून को लागू करना नहीं, बल्कि समाज में न्याय और समानता स्थापित करना भी है। उनके द्वारा किए गए सुधार और दिए गए फैसले हमेशा प्रेरणा देंगे। उनकी विदाई के साथ ही न्यायपालिका का एक सुनहरा अध्याय समाप्त हुआ, लेकिन उनकी विरासत आने वाले वर्षों तक याद की जाएगी।
जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वह 11 नवंबर को 51वें सीजेआई के तौर पर शपथ लेंगे। वह दिल्ली के रहनेवाले हैं और उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से ही की है। उनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उनके पिता न्यायमूर्ति देस राज खन्ना थे, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस संजीव खन्ना की मां श्रीमती सरोज खन्ना दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में हिंदी की लेक्चरर थीं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से की और 1977 में स्कूली शिक्षा पूरी की। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ के कैंपस लॉ सेंटर (CLC) से कानून की पढ़ाई पूरी की। संवैधानिक कानून, प्रत्यक्ष कराधान, मध्यस्थता जैसे विविध क्षेत्रों में न्यायाधिकरणों में प्रैक्टिस की। वाणिज्यिक कानून, कंपनी कानून, भूमि कानून, पर्यावरण कानून और चिकित्सा लापरवाही कानूनों पर उनकी जबर्दस्त पकड़ है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने जनवरी 2019 में अपनी नियुक्ति के बाद से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय निर्णय लिए हैं। इसमें वीवीपैट सत्यापन, चुनावी बांड योजना, अनुच्छेद 370 को हटाने का केस, अनुच्छेद 142 के तहत तलाक का केस, अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत का केस और आरटीआई निर्णय का मामला शामिल है।
जस्टिस संजीव खन्ना ने 11-11-2024, को भारत के 51वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी सीजेआई के तौर पर शपथ ले ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में जस्टिस संजीव खन्ना को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. भारत के सीजेआई के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा.
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
अलीशा शाहिद
अस्सिस्टेंट सब एडिटर