आज़म खान वोट के अधिकार से बाहर – डिजायर न्यूज, नई दिल्ली

आज़म खान वोट के अधिकार से बाहर

डिजायर न्यूज, नई दिल्ली – कभी उत्तर प्रदेश के रामपुर के बादशाह कहे जाने वाले आजम खान का वक्त पिछले कई वर्षों से इतना बुरा चल रहा है कि महीनों तक जेल में रहे पूरे परिवार के साथ, व्यापार बंद हो गया, घर से राजनीति में बेटा पत्नी सभी बाहर हो गए। आज वक्त ऐसा आ गया कि सदियों तक आजम खान के नाम से वोट डाल कर लोग उन्हें जीताते रहे, पर अब खुद वो अपने ही विधानसभा में वोट नहीं डाल पाएंगे। कौन कब राजा से रंक बन जाए ये कहावत आजम खान पर सही बैठती है।  
आजम खान के दहन में सब से बड़ा हाथ आकाश सक्सेना का

भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने कई साल पहले आजम खान के काले कारनामों पर सरकार का ध्यान दिला कर एक के बाद एक मुकदमे दर्ज करा कर महीनों तक आजम खान को जेल की हवा खिलाने को मजबूर कर दिया, ये सजा आजम खान को उनके अहंकार के कारण मिली है। उनकी अपनी जुबान और उनके कर्मों का लेखा जोखा उनके सामने आया है। आजम खान ने अपनी समाजवादी पार्टी की उस समय की सांसद जया प्रदा के साथ भी उन्हें बदनाम करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। आज जया प्रदा भारतीय जनता पार्टी में है और जया प्रदा ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 2019 का चुनाव लड़ा पर आजम खान ने अपनी पुरानी दुश्मनी निभाते हुए जया प्रदा को जीतने नहीं दिया। जबकि जया प्रदा दो बार समाजवादी की टिकट पर सांसद बनी है।
जया प्रदा के खिलाफ जमानती वारंट जारी
चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के दो मामलों की सुनवाई के दौरान गैरहाजिर रहने पर कोर्ट ने फिल्म अभिनेत्री और रामपुर की पूर्व सांसद जयाप्रदा नाहटा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने उनको 25 नवंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी। जया प्रदा 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर संसदीय सीट से भाजपा की प्रत्याशी थीं। इनके खिलाफ स्वार और केमरी थाने में आचार संहिता उल्लंघन के दो मामले दर्ज किए गए थे। जया प्रदा दो बार रामपुर से सांसद रही हैं।
कौन है आकाश सक्सेना

रामपुर विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा ने एक बार फिर आकाश सक्सेना पर भरोसा जताया है। यूपी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने आकाश को ही रामपुर सीट से प्रत्याशी बनाया था। खास बात यह है कि आजम खान और उनके परिवार पर वर्ष 2019 से जितने भी मुकदमे हुए हैं, उनमें से ज्यादातर आकाश सक्सेना ने ही कराए हैं। डिजायर न्यूज के सूत्रों के हवाले से अब की बार भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी रणनीति के तहत जीत कर एक इतिहास रचना चाह रही है। भारतीय जनता पार्टी ने घनश्याम लोधी को रामपुर से सांसद जीता कर अपना कब्जा जमा लिया है। अब विधान सभा में भी अगर भारतीय जनता पार्टी की जीत होती है तो आजम खान का वजूद एक तरह से खत्म हो जाएगा ऐसा सोचना है रामपुर की जनता का।
रामपुर के नवाब और आजम खान नवाबों के नवाब
रामपुर में सन 1774 से लेकर 1949 तक नवाबों का राज रहा। रजा अली खां रामपुर के आखिरी नवाब थे। नवाबी दौर भले ही खत्म हो चुका है, लेकिन उस दौर में बनी ऐतिहासिक इमारतें आज भी खड़ी हैं। ऐसी ही एक इमारत है रामपुर का नवाब रेलवे स्टेशन। इस स्टेशन का निर्माण नवाब हामिद अली खां ने करवाया था। अगर हम माने तो रामपुर के नवाबों ने 175 साल तक रामपुर पर राज किया और अगर आजादी के बाद की बात करें तो 1977 से लगातार आजम खान का ही रुतबा कायम रहा है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और यूपी विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक रहे आजम खान का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। 45 साल के सियासी सफर के दौरान आजम खान ने कई बार उतार चढाव देखे। लेकिन, बीते तीन सालों में आजम खान की मुश्किलें इस कद्र बढती गईं कि 45 साल का राजनीतिक सफर थम सा गया। भड़काऊ भाषण मामले में कोर्ट ने 27 अक्टूबर को आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। 28 अक्टूबर को उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर सीट रिक्त घोषित कर दी गई। आजम खान रामपुर विधानसभा सीट से दसवीं बार चुनाव जीते थे। आजम खां की विधानसभा सदस्यता जाने के बाद अब दूसरी बार रामपुर सीट पर उपचुनाव होगा।
क्या था वो मामला जिसमें आजम खान को मिली सजा
2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान रामपुर संसदीय सीट से सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी थे। उन्होंने अप्रैल 2019 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान मिलक कोतवाली क्षेत्र के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित किया था। आरोप था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह को लेकर भड़काऊ भाषण दिया था। आजम खान के भाषण का वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से मामले की रिपोर्ट मिलक कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। उनको आईपीसी धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में दोषी करार दिया और तीन साल की सजा सुनाई गई।
क्यों नहीं दे पाएंगे आजम खान अपना वोट
कानूनन अगर कोई विधायक या सांसद या विधान परिषद का सदस्य किसी मामले में दोषी साबित हो जाता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है और उसके 6 साल तक चुनाव 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 16 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार या अपराध से जुड़ा है तो उसका वोट देने का अधिकार छीना जा सकता है। इसकी धारा 16 (2) में ये भी प्रावधान है कि अगर किसी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द होती है तो वोटर लिस्ट से उसका नाम हटा दिया जाता है। आजम खान को हाल ही में उनके भड़काऊ भाषण, अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर दुश्मनी या घृणा को बढ़ावा देने के केस में रामपुर की एक अदालत ने उन्हे 3 साल की सजा सुनाई है। अब वो 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते और ना ही अपना वोट डाल सकते है। रामपुर के आकाश सक्सेना ने चुनाव आयोग से शिकायत करके उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने की गुहार लगाई थी, जिसे सही मान कर आजम खान का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है।


वोट देने का अधिकार कब छीना जाता है?

इसका जिक्र कानून के अध्याय-4 में है। इसमें बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 171-ई या 171-एफ या लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 या 135 के तहत दोषी ठहराया गया है, तो उसका वोट देने का अधिकार छीन जाता है। आजम खान को लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत भी दोषी ठहराया गया है। ये धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर दुश्मनी या घृणा को बढ़ावा देता या ऐसी कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। यही सब से बड़ा कारण रहा है कि अब आजम खान वोट नहीं डाल पाएंगे।
बाल ठाकरे पर भी लगा था बैन

ये कोई पहली बार या नया कानून नहीं है, इस से पहले भी बाला साहब ठाकरे पर भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उनसे भी ये अधिकार छीन लिया गया था। बाल ठाकरे को 28 जुलाई 1999 को आयोग ने चुनाव लड़ने और वोट डालने से प्रतिबंध कर दिया था, ये प्रतिबंध 2005 में हटा था। बैन हटने के बाद 2006 के बीएमसी चुनाव में वोट डाला था। बाला साहब ठाकरे भी अपनी बेबाक वाणी के साथ साथ जब भाषण देते थे तो उसमें भी धर्म, जाति, समुदाय के लिए एक दूसरे की भावनाएं आहत हो जाती थी। वो हमेशा हिंदुत्व की बात करते थे। वही आजम खान ने भी अपने भाषणों में अनेकों बार धर्म और जाति के नाम पर आग उगलने का काम किया है।

डिजायर न्यूज अपने दर्शकों को ये जरूर बताना चाहेगा कि आज के समय में आजम खान जैसे नेता जो धर्म और जाति के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं और एक दूसरे के दिलों में जहर घोल रहे हैं। कानून को नेताओ के भड़काऊ भाषणों पर सख्ती से और जल्दी निर्णय लेना चाहिए, ताकि समाज में धर्म और जाति की ये आग ना फेल पाए।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
18-11-2022 01:51 PM
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