ग़दर -2 भी मचा रही सिनेमा हॉल में ग़दर
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – साल 2001 में सनी देओल अमीषा पटेल ओर अमरीश पूरी की फिल्म ‘गदर’ ने जो तहलका मचाया था, अगर हम सिनेमाहॉल की बात करे तो जितने लोग सिनेमाहॉल हॉल में अंदर होते थे उतने ही बाहर इंतज़ार कर रहे होते थे। और हॉल के अंदर ग़दर की गूंज के किस्से कहानियों में आज भी सुनाई देती है. उस दौर में बॉलीवुड के निर्देशक अनिल शर्मा की इस फिल्म को देखने लोग ट्रैक्टरों में भर-भर कर सिनेमा हॉल तक पहुंचे थे. 23 सालों बाद अनिल शर्मा, तारा सिंह और सकीना की इस गदर- एक प्रेम कथा’ के आगे की कहानी लाए हैं. सनी देओल, अमीषा पटेल और अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा की इस फिल्म का पार्ट -2 आज 11 अगस्त को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज किया गया है. 1971 के लाहौर में सेट इस कहानी में तारा सिंह के अकेले पाकिस्तान में जाकर अपने प्यार के लिए लड़ता है. सालों पहले इस कहानी को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. देखते हैं,
कहानी में क्या है ?
तारा सिंह [ सनी दिओल ] और सकीना [ अमीषा पटेल ] अब पठानकोट में अपने बेटे जीते [उत्कर्ष शर्मा ] के साथ रहते हैं. जीते के सिर पर फिल्मों का भूत सवार है और तारा सिंह चाहता है कि उसका बेटा अब पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बने, उसकी तरह ट्रक ड्राइवर नहीं. दूसरी तरफ पाकिस्तानी का मेजर हामिद, तारा सिंह के लिए दिल में जहर भरे बैठा है और किसी भी हालत में तारा सिंह को खत्म करना चाहता है. तारा सिंह की जिंदगी में ट्विस्ट तब आता है जब एक बार फिर उसका बेटा पाकिस्तान में फंस जाता है. पिछली बार सकीना को बचाकर लाने वाला तारा इस बार अपने बेटे जीते को बचाकर लाएगा.
डायरेक्शन
अनिल शर्मा बॉलीवुड के ऐसे जाने माने डायरेक्टर है जिन्होंने अभी तक अनेको सुपर हिट फिल्म दे कर अपना दबदबा अभी तक बरकरार रखा हैं। एक्टिंग की बात करें तो तारा सिंह के अवतार में सनी देओल हमेशा की तरह फिर से छा गए हैं. चाहे सकीना के आगे पिघलना हो या फिर गुस्से वाले सीन, सनी देओल का स्टाइल आपको पहले की तरह जरूर पसंद आएगा. अमीषा पटेल के पास रोने और शरमाने से ज्यादा कुछ है नहीं. वो ठीक रही हैं. फिल्म में इस बार उत्कर्ष शर्मा को खूब स्पेस दिया गया है. उत्कर्ष अपने अंदाज में ठीक भी लगे हैं. हालांकि वो कई जगह थोड़े ओवर एक्टिंग करते हुए लगे हैं. अभी हॉल ही मैं आई उनकी फिल्म जीनियस दर्शाकों को कुछ ज्यादा पसंद नहीं आई थी पर इस फिल्म में उन्होंने एक बेहतरीन एक्टिंग की है। अमरीश पुरी की कमी को पूरा करने का काम मनीष वाधवा ने किया है. वाधवा मेजर हामिद के अंदाज में जंचे हैं. जितना खूंखार उन्हें लगना था, उतना लगे हैं. यहाँ तक की पाकिस्तान के लोग भले ही ग़दर – 2 की तारीफ़ ना करे पर मनीष वाधवा की कर रहे है।
फिल्म की शुरुआत
अगर आप ने ग़दर -1 नहीं भी देखी है तो भी आप निराश नहीं होंगे क्यों की फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी लाइट और कहानी को बढ़ाने वाला है. शुरुआत में किरदारों का बैकग्राउंड बताने के लिए नाना पाटेकर की आवाज सुनाई देती है, जो जच रही है. नाना पाटेकर की आवाज का जादू साफ़ नज़र आ रहा है। क्योंकि पहली कहानी की पूरी छलक शुरुआत में दिखाई गई है. ‘गदर 2’ को भावुकता की बात करे तो पूरे नंबर मिलेंगे. चाहे गदर के गाने हों या फिर पुराने किरदारों की झलक, पुरानी फिल्म की कई यादें जरूर याद आएंगी. फर्स्ट हाफ में कहानी लाइट से इमोशनल हो जाती है. ‘गदर 2’ एक फुल ऑन मसाला एंटरटेनर फिल्म है और इसकी सारी ताकत इसके डायलॉग्स में है. फिल्म में कई डायलॉग ऐसे हैं जब तालियां और सीटियां बजाई जाएंगी. फिल्म के क्लाइमैक्स में ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ वाला पूरा सिच्युएशन क्रिएट किया गया है और यकीन मानिए पूरे थिएटर में कोई न कोई तो ऐसा होगा ही जो इस फिल्म को देखते हुए ये नारा जरूर लगाएगा.वैसे भी 15 अगस्त आज़ादी का दिन नज़दीक आ रहा है।
कोरोना कॉल के बाद बॉलीवुड की कुछ ही फिल्मे आई है जो दर्शको को सिनेमाहॉल तक ले जाने में सफल रही है। ‘गदर 2’ एक ऐसे दौर में आई है, जब हिंदी सिनेमा दर्शकों की कमी से जूझ रहा है. लेकिन ‘गदर 2’ ने सिनेमाघरों को फिर से गुलजार कर दिया है. लोग सुबह के शो में भी बच्चों, परिवार और दोस्तों के साथ आ रहे हैं. ये एक मसाला फिल्म है, जो वो सब आपको देती है, जिसका वो वादा करती है. अनिल शर्मा ने एक दफ़ा फिर से लोगो के मन में जगह बना ली है। आप इस फिल्म को पूरे परिवार के साथ सिनेमा हॉल में जाकर देख सकते है।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ