दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़

दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली–दिल्ली के वसंतकुंज इलाके में एक बेहद ही दुखद और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। यह घटना बुराड़ी सामूहिक खुदकुशी की यादें ताजा करती है, जब 2018 में एक ही परिवार के 11 लोगों ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। ताज़ा मामले में, वसंतकुंज के रंगपुरी गांव में एक पिता और उसकी चार दिव्यांग बेटियों ने जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। यह घटना शुक्रवार को उजागर हुई, जब पड़ोसियों ने घर से आ रही बदबू के कारण पुलिस को सूचना दी। पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि परिवार गंभीर आर्थिक संकट और मानसिक पीड़ा से जूझ रहा था। उनके शव वसंतकुंज दक्षिण-पश्चिम दिल्ली की तीन मंजिला इमारत में उनके किराए के अपार्टमेंट में मिले।

दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़
दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़

वसंतकुंज के रंगपुरी गांव में रहने वाले 46 वर्षीय हीरालाल शर्मा जो की बिहार के छपरा से थे ,उन्होंने अपनी चार बेटियों के साथ सल्फास नामक जहरीले पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, हीरा लाल शर्मा अपनी चार बेटियों – नीतू (26 वर्ष), निक्की (24 वर्ष), नीरू (23 वर्ष) और निधि (20 वर्ष) के साथ रहते थे। उनकी दो बेटियां, नीरू और निधि, दिव्यांग थीं, और उनमें से एक की आंखों की रोशनी भी जा चुकी थी।उनका एक छोटा 1-BHK फ्लैट था, जिसमें दो कमरे थे, और वह तीसरी मंजिल पर स्थित था।आखिरी बार हीरालाल को 24 सितंबर की शाम को देखा गया था। पास की इमारत की निवासी सविता ने कहा, “मैंने उसे देखा,वह करीब 7:30 बजे अपने हाथ में मिठाई का डिब्बा लेकर अपने घर जा रहा था।”उसी शाम का इलाके में लगे एक सीसीटीवी कैमरे का फुटेज दिखाता है कि हीरालाल अपने हाथ में एक नीली पॉलीथीन बैग लेकर चल रहा था, जिसमें एक डिब्बा था। पुलिस का कहना है कि उसमें मिठाई या खाने की चीजें हो सकती हैं।

सबसे पहले इमारत के केयरटेकर मोहन सिंह को कुछ गलत होने का एहसास हुआ। सिंह की पत्नी, विमला देवी ने बताया कि हीरालाल के बगल वाले फ्लैट के निवासियों ने उसकी बालकनी से आ रही बदबू की शिकायत की थी। “मेरे पति रोज़ लॉबी की सफाई करते हैं। जब पड़ोसियों ने बदबू की शिकायत की, तो वे शुक्रवार को हीरालाल के दरवाजे पर दस्तक देने गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद सिंह ने इमारत के मालिक, नितिन चौहान को फोन किया।”चौहान ने भी पिछले कुछ दिनों से हीरालाल या उसकी बेटियों को नहीं देखा था। वह फ्लैट पर पहुंचे और दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह जाम था। इसके बाद उन्होंने पुलिस को बुलाया। सबसे पहले फायर ब्रिगेड पहुंची। उन्होंने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद था और उसे तोड़ना पड़ा। अंदर जो दिखा, उसने वहां मौजूद सभी को दहला दिया।
हीरालाल का शव दूसरे कमरे में पाया गया, जबकि बेटियों के शव एक ही बैड पर मिले। पुलिस को मौके से सल्फास की गोलियां और जूस के पैकेट भी मिले। यह घटना तब सामने आई जब पड़ोसियों को घर से बदबू आने लगी और उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी। जब पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़ा, तो अंदर के दृश्य ने सभी को हिला कर रख दिया।

दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़
दिल्ली के रंगपुरी वसंत कुंज इलाके में बाप सहित 4 बेटियों ने की सामूहिक आत्महत्या , पुलिस तलाश रही कारण -डिजायर न्यूज़

हीरालाल पिछले 28 वर्षों से इंडियन स्पाइनल इंजुरी सेंटर, वसंतकुंज में कारपेंटर के रूप में काम करता था। वह हर महीने 25,000 रुपये कमाता था, लेकिन जनवरी 2024 से वह नियमित रूप से काम पर नहीं जा पा रहा था। उसकी पत्नी की मौत एक साल पहले कैंसर से हो गई थी, और तब से ही वह अपनी चारों दिव्यांग बेटियों की देखभाल कर रहा था। पत्नी की मौत के बाद हीरालाल मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट चुका था। आर्थिक तंगी और बेटियों की देखभाल के बोझ के कारण वह नौकरी पर ध्यान नहीं दे पा रहा था, जिसके चलते छह महीने पहले उसे नौकरी से हटा दिया गया था।

हीरालाल के पड़ोसियों और रिश्तेदारों के अनुसार, उसकी बेटियां शायद ही कभी अपने कमरे से बाहर निकलती थीं। हीरालाल की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो चुकी थी, और बेटियों की दिव्यांगता ने उसकी परेशानी को और बढ़ा दिया था। बेटियों के इलाज के लिए हीरालाल हमेशा अस्पतालों के चक्कर लगाता रहता था।
हीरालाल के भाई की पत्नी गुड़िया ने कहा कि वह सुबह से टीवी में देख रही हैं कि आस-पड़ोस के लोग बता रहे है कि हीरालाल बहुत परेशान थे। वह खुद खाना बनाते थे और बच्चों को खिलाकर काम पर जाते थे। पत्नी की मौत से वह डिप्रेशन में चले गए थे। इतना कुछ पड़ोसियों को पता था तो उन्होंने उन्हें कोई जानकारी क्यों नहीं दी। गुड़िया ने बताया कि हीरालाल की पत्नी की मौत के बाद भी वह कई बार बच्चों से मिलने उनके घर गई थीं। उन्हें न तो बच्चियों ने कभी कोई परेशानी बताई और न ही हीरालाल ने कभी कुछ बताया। उनके पति भी ठीक से चल नहीं पाते हैं

पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में यह पता चला है कि हीरालाल पर परिवार की जिम्मेदारी का भारी दबाव था। उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद से ही उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी, और बेटियों की देखभाल के लिए उसे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था। बेटियों की इलाज की जिम्मेदारी और नौकरी खोने के बाद, हीरालाल के पास शायद कोई और रास्ता नहीं बचा।

पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन जाँच में पता चला है कि हीरालाल ने आत्महत्या करने से पहले जितिया पूजा भी की थी, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इससे यह संकेत मिलता है कि वह मानसिक रूप से टूट चुका था, और धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद उसने सामूहिक आत्महत्या का रास्ता चुना। सभी के हाथो और गले पर कलावा बंधा मिला है।

हीरालाल की भाभी, गुड़िया शर्मा ने कहा, “उन्होंने कभी भी अपनी समस्याओं के बारे में हमसे बात नहीं की और हमारा संपर्क भी नियमित नहीं था। आखिरी बार मेरे पति ने उनसे छह महीने पहले बात की थी। वह एक सामान्य बातचीत थी, स्वास्थ्य और परिवार के बारे में। तब भी ऐसा नहीं लगा कि वह ऐसा कदम उठा सकते हैं। सभी बेटियों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी, लेकिन वे काम नहीं करती थीं। वह ही एकमात्र थे जो उनकी आर्थिक और अन्य जरूरतों का ख्याल रखते थे। पत्नी की मौत के बाद हीरालाल पूरी तरह से बदल गया था। उसने पारिवारिक और सामाजिक मामलों से खुद को दूर कर लिया था और पूरी तरह से अपनी बेटियों के इलाज में व्यस्त रहता था। उन्होंने बताया कि हीरालाल आर्थिक रूप से काफी तंगी में था और बेटियों की दिव्यांगता उसकी परेशानी को और बढ़ा रही थी।”

पड़ोसियों ने बताया कि शांत स्वभाव वाले हीरालाल और भी अधिक अकेले हो गए थे। उन्हें बाहर बहुत कम देखा जाता था, सिवाय किराने का सामान खरीदने या अपनी दो दिव्यांग बेटियों को –नीरू, जो नेत्रहीन थी उसने ग्रेजुएशन की हुई थी, और निधि, जिसे चलने-फिरने में दिक्कत थी उन्हे अस्पताल लाने और ले जाने के। एक पड़ोसी ने बताया कि जब भी कोई उसके घर जाता था, हीरालाल कभी दरवाजा नहीं खोलता था। “वह बस दरवाजे को थोड़ा सा खोलता और वहीं से बात करता था। वह किसी को अंदर नहीं आने देता था।”

दिल्ली पुलिस ने मौके से एफएसएल टीम को बुलाकर सबूत इकट्ठा किए। पुलिस का मानना है कि हीरालाल ने पहले अपनी बेटियों को सल्फास का सेवन कराया और फिर खुद भी जहर पी लिया। कमरे में पुलिस को जूस के पैकेट और पानी की बोतल मिली, जिससे यह संकेत मिलता है कि जहर के सेवन से पहले कुछ पीने का प्रयास किया गया था।

बॉडियों को अभी सफदरजंग अस्पताल की शवगृह में रखा गया है। पुलिस एक पारिवारिक सदस्य से अनुमति का इंतज़ार कर रही है ताकि अधिकारियों को शव परीक्षण करने की अनुमति मिल सके। हीरालाल के भाई को मौत के बारे में सूचित किया गया। “हमें शव परीक्षण होने से पहले कुछ नहीं पता चलेगा। हम बस इंतज़ार कर सकते हैं,” एक शवगृह तकनीशियन ने कहा।

वसंतकुंज की यह सामूहिक आत्महत्या एक दर्दनाक और गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि परिवारों के भीतर छिपी समस्याएं, आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव किस हद तक जा सकते हैं। इस मामले में भी, एक पिता ने अपनी चार बेटियों के साथ खुदकुशी करने का दिल दहला देने वाला कदम उठाया, जो न केवल उसकी अपनी कमजोरियों को दिखाता है, बल्कि समाज और परिवार की जिम्मेदारियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करता है।

पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है, लेकिन यह घटना यह संदेश देती है कि हमें ऐसे परिवारों के प्रति अधिक सतर्क और संवेदनशील होना चाहिए, जो आर्थिक और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। कहते है एक माँ फिर भी अकेले बच्चो को संभाल लेती है घर की हर जिम्नेदारी को लेकिन चार जवान बेटियों का बोझ श्याद एक बाप अकेले नहीं उठा पाया और जिंदगी की जंग हार गया , पत्नी की मोत के बाद।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

अलीशा शाहिद
अस्सिस्टेंट सब एडिटर

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