हाथरस में काले जादू के नाम पर 11 वर्षीय छात्र की बलि: शिक्षा के मंदिर में मानवता की हत्या–स्कूल की सफलता के लिए दी गई थी बलि–डिजायर न्यूज़
हाथरस में काले जादू के नाम पर 11 वर्षीय छात्र की बलि: शिक्षा के मंदिर में मानवता की हत्या–स्कूल की सफलता के लिए दी गई थी बलि–डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली–उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। कक्षा 2 का छात्र, 11 वर्षीय कृतार्थ कुशवाहा, जिसे उसके माता-पिता ने बेहतर शिक्षा और भविष्य के लिए डीएल पब्लिक स्कूल, रसगांव के होस्टल में भेजा था, उसकी बलि काले जादू के नाम पर दे दी गई। इस घटना के बाद पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया है। पुलिस ने इस मामले में स्कूल के मालिक जसोधन सिंह, उनके बेटे दिनेश बघेल और तीन शिक्षकों को गिरफ्तार कर लिया है, जो इस घिनौने कृत्य में शामिल थे।
ये घटना इसी पिछले हफ़्ते हुई, जहां स्कूल हॉस्टल में रहने वाले कृतार्थ की मौत हो गई। उसकी लाश स्कूल प्रबंधन की कार में मिली, जो आगरा से करीब 35 किलोमीटर दूर, सादाबाद इलाके में खड़ी थी। बाद में पता चला कि कृतार्थ कई दिनों से गायब था और उसकी लाश मिलने के बाद जांच हुई। पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी गला दबाकर हत्या की गई थी, और उसकी गर्दन की हड्डियाँ टूटी हुई थीं, जिससे यह साफ हो गया कि उसकी मौत हत्या थी।
इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें स्कूल के मालिक जसोधन सिंह, उनके बेटे और स्कूल के निदेशक दिनेश बघेल, और तीन शिक्षक – रामप्रकाश सोलंकी, लक्ष्मण सिंह, और वीरपाल सिंह शामिल हैं। पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि जसोधन सिंह इस घटना का मुख्य साजिशकर्ता है। यह अनुष्ठान बलि के रूप में किया गया था, क्योंकि उनका मानना था कि इससे स्कूल को समृद्धि और सफलता मिलेगी।यह घिनौना कृत्य इसलिए किया गया क्योंकि स्कूल की आर्थिक स्थिति खराब चल रही थी, और मालिक ने तांत्रिक उपायों का सहारा लिया। इस घटना ने पूरे समाज को अंधविश्वास और तांत्रिक प्रथाओं के भयावह चेहरे से रूबरू करवाया।पुलिस के मुताबिक, आरोपी लड़के को स्कूल के बाहर एक ट्यूबवेल के पास मारना चाहते थे। लेकिन जब वे उसे हॉस्टल से बाहर ले जा रहे थे, तो वह चिल्लाने लगा, जिससे मजबूर होकर उन्होंने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी।
कृतार्थ की गुमशुदगी के बाद उनके पिता कृष्ण कुमार ने 23 सितंबर को एक गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने जांच शुरू की, जिसके बाद कृतार्थ का शव स्कूल के निदेशक की कार में मिला। स्कूल की गहन तलाशी के दौरान एक कमरे में रस्सी, धार्मिक वस्तुएं और अन्य सामान मिला, जिसे काले जादू के अनुष्ठान से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
छात्र के पिता, कृष्ण कुशवाहा द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, उन्हें सोमवार को स्कूल प्रशासन से फोन आया, जिसमें बताया गया कि उनका बेटा बीमार हो गया है।पुलिस के अनुसार, जब श्री कुशवाहा स्कूल पहुंचे, तो अधिकारियों ने उन्हें बताया कि स्कूल के निदेशक उनके बेटे को अपनी कार में अस्पताल ले गए हैं। बाद में, उन्होंने बघेल की कार से अपने बेटे का शव बरामद किया।
स्थानीय अधिकारियों, जिनका नेतृत्व सीओ हिमांशु माथुर कर रहे हैं, ने जनता को आश्वासन दिया है कि वे आरोपी के खिलाफ तेजी से कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि यह एक अकेली घटना है या स्कूल में पहले भी इसी तरह के अनुष्ठान किए गए हैं। दरअसल, ऐसी खबरें हैं कि इस समूह ने पहले भी एक अन्य लड़के की बलि देने की कोशिश की थी, लेकिन वह प्रयास असफल रहा।आरोपी ने इससे पहले 6 सितंबर को एक और 9 साल के छात्र की “बलि” देने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम रहे।
पुलिस ने तुरंत पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), धारा 364 (अपहरण) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। घटना की गहराई से जांच की जा रही है, और पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस काले जादू के पीछे और कौन लोग शामिल हो सकते हैं।
यह मामला साफ तौर पर अंधविश्वास और तांत्रिक प्रथाओं की ओर इशारा करता है। जसोधन सिंह और उनके साथियों ने मान लिया था कि अगर वे किसी मासूम की बलि देंगे, तो उनके स्कूल की स्थिति में सुधार होगा। इसी सोच के चलते उन्होंने कृतार्थ को चुना और उसकी हत्या कर दी।
काले जादू और तांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास रखने वाले यह सोचते हैं कि किसी निर्दोष की बलि देने से उन्हें विशेष शक्तियां प्राप्त होंगी, और उनके जीवन की समस्याएं दूर हो जाएंगी। इस घटना से यह भी स्पष्ट हुआ कि किस प्रकार तांत्रिक और अंधविश्वासी प्रथाएं समाज के कुछ हिस्सों में अब भी जड़ें जमाए हुए हैं।
इस घटना के बाद पूरे समाज में आक्रोश फैल गया है। बच्चों के माता-पिता और अभिभावक अब अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। शिक्षा का मंदिर माने जाने वाले स्कूल में इस प्रकार की घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कैसे एक मासूम बच्चे की जान तांत्रिक प्रथाओं के लिए ली जा सकती है।अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, और राज्य भर में लोग दोषियों के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग कर रहे हैं।
कृतार्थ की हत्या ने समाज को एक गहरी चोट दी है। यह घटना न केवल एक मासूम बच्चे की जान लेने वाली है, बल्कि यह हमारे समाज की गहरी जड़ें जमाए हुए अंधविश्वास और तांत्रिक प्रथाओं की ओर भी इशारा करती है। काले जादू के नाम पर इस प्रकार की घटनाएं मानवता के खिलाफ हैं और इन्हें जड़ से खत्म करने के लिए समाज को एकजुट होना होगा।
सरकार, समाज और शिक्षा संस्थानों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। कृतार्थ की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अब हमें अंधविश्वास और तांत्रिक प्रथाओं से मुक्त होने की जरूरत है, ताकि हम एक बेहतर और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकें।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
अलीशा शाहिद
अस्सिस्टेंट सब एडिटर