बदलापुर का बदला यूपी की तर्ज़ पर , मुंबई हाई कोर्ट में सवालों की बौछार , मुठभेड़ का दावा संदिग्ध ? – डिजायर न्यूज़
बदलापुर का बदला यूपी की तर्ज़ पर , मुंबई हाई कोर्ट में सवालों की बौछार , मुठभेड़ का दावा संदिग्ध ? अक्षय शिंदे को दफनाने के लिए सुरक्षित जमीन खोजने का निर्देश पुलिस को – डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली- अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर में दो स्कूली बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटना सामने आई थी। यौन उत्पीड़न के आरोप में स्कूल के सफाईकर्मी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया गया था, जिसकी सोमवार को पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। अक्षय के परिजन ने एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए और अदालत का दरवाजा खटखटाया। जनता के आक्रोश के कारण सरकार को कड़े क़दम उठा कर आरोपी को गिरफ्तार करना पड़ा। एनकाउंटर पुलिस के लिए कोई नई बात नै है उत्तरप्रदेश एनकाउंटर में नंबर एक पर है सूत्रों के हवाले से। जनता महिलाओ और बच्चो के यौनशोषण के मामलों में फ़ासी की सजा की मांग करती आई है।
महाराष्ट्र का बदलापुर कांड इन दिनों फिर चर्चा में है। बदलापुर कांड के आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर पर मुंबई उच्च न्यायालय ने पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। अक्षय सोमवार को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। बीते अगस्त में एक स्कूल में बच्चियों का यौन शोषण करने का मामला सामने आया था। इस घिनौनी करतूत में स्कूल का सफाईकर्मी अक्षय शिंदे आरोपी था। लेकिन इनकाउंटर को गलत ठहराते हुए अक्षय के पिता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था , हाई कोर्ट ने तीखे सवालो से पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
अक्षय पर स्कूल बच्चियों का यौन शोषण के साथ ही अपनी पूर्व पत्नी के भी यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज था। पूर्व पत्नी के यौन उत्पीड़न के मामले में ही पुलिस उसे जांच के लिए तलोजा जेल से बदलापुर लेकर गई थी। सरकार का कहना है कि सोमवार को जांच के बाद जेल लौटते समय अक्षय ने एक पुलिस अधिकारी की रिवॉल्वर छीनकर पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर तीन गोलियां चलाईं। जिनमें से एक गोली असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर संजय शिंदे की जांघ में लगी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अक्षय के सिर में गोली लगी और उसकी मौत हो गई। यही से हाई कोर्ट ने सवालो की जड़ी लगा दी जबकि पुलिस की गाडी में कई पुलिस वाले थे पीछे की सीट पर भी पुलिस क सिपाही बैठे थे , फिर कैसे इतने लोगो में अक्षय ने रिवाल्वर छीन कर गोली चला दी।
आरोपी अक्षय के परिजन ने पुलिस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए और अदालत का दरवाजा खटखटाया। अक्षय के पिता ने मुठभेड़ की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। बुधवार 25 सितंबर 2024 को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने अक्षय के पिता की याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान मुंबई उच्च न्यायालय ने अक्षय शिंदे की मौत के लिए महाराष्ट्र पुलिस से कड़े सवाल दागे। अदालत ने पुलिस के इस दावे पर सवाल उठाया कि आरोपी ने एक पुलिसकर्मी का हथियार छीन लिया था, जिसके कारण पुलिसकर्मियों ने उस पर गोली चला दी। अदालत ने सरकारी वकील से कहा कि सामान्यतः ऐसी परिस्थितियों में आरोपी को घुटने के नीचे गोली मार दी जानी चाहिए। अदालत ने पुलिस से सवाल किया, ‘हम कैसे मान लें कि फायरिंग में प्रशिक्षित पुलिस आरोपी को काबू नहीं कर सके ?’
अदालत में इस बात पर जोर दिया गया कि पुलिसकर्मी अक्षय पर काबू पा सकते थे, इसलिए पुलिस का मुठभेड़ का दावा संदिग्ध लगता है। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘इसे मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता… यह मुठभेड़ नहीं है।’ उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस को यह पता लगाना होगा कि क्या शिंदे ने पहले कभी बंदूक का इस्तेमाल किया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान अक्षय के पिता के वकील ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और मामले से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने की मांग की। अदालत ने पुलिस से भी विस्तार से घटना की जानकारी ली। अदालत ने पूछा कि क्या घटनास्थल से छेड़छाड़ रोकने के लिए इसे सील कर दिया गया था? क्या हथियार पिस्तौल था या रिवॉल्वर?
मुंबई हाई कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया गया कि आरोपी अक्षय के बैरक से बाहर निकलने और फिर वैन में बैठते समय की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया कि जिस दिन अक्षय का परिवार उससे मिलने आया था, उस दिन की सीसीटीवी फुटेज भी सुरक्षित रखी जानी चाहिए। अदालत ने जांच सीआईडी को सौंपने में देरी के लिए पुलिस की भी खिंचाई की। अदालत ने कहा कि घटना से जुड़े सभी पांच व्यक्तियों, यानि चार पुलिसकर्मियों और आरोपी शिंदे के कॉल डेटा रिकॉर्ड भी जुटाए जाने चाहिए। पीठ ने कहा कि वह निष्पक्ष जांच चाहती है, भले ही इसमें पुलिस शामिल हो। अब मामले की अगली सुनवाई 3 अक्तूबर को होगी।
पिछले महीने बदलापुर पूर्व के एक नामी स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे इलाके में रोष व्याप्त कर दिया। बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप स्कूल टॉयलेट साफ करने वाले व्यक्ति अक्षय शिंदे पर लगा। चार और छह साल की बच्चियों के साथ यह घटना 12 और 13 अगस्त को घटी थी। दरअसल, आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त को टॉयलेट साफ करने के लिए अनुबंध के आधार पर स्कूल में भर्ती किया गया था। स्कूल ने लड़कियों के शौचालयों की सफाई के लिए कोई महिला कर्मचारी नियुक्त नहीं की थी। इसका फायदा उठाते हुए आरोपी ने 12 और 13 अगस्त की कक्षाओं के दौरान बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया। 14 अगस्त को एक बच्ची ने स्कूल से घर लौटने के बाद अपने माता-पिता से गुप्तांगों में दर्द की शिकायत की। बच्ची लगातार अपने माता-पिता से शिकायत करती रही तो माता-पिता को शक हुआ। उन्होंने लड़की से पूछताछ की तो घटना का पूरा सच पता चला। जब वह टॉयलेट गई तो पता चला कि अक्षय शिंदे नाम के 23 वर्षीय सफाईकर्मी ने उसके प्राइवेट पार्ट को छुआ था। चिंतित माता-पिता ने उसी कक्षा की एक अन्य लड़की के माता-पिता से संपर्क किया तो उन्होंने भी कहा कि उनकी बेटी कुछ दिनों से स्कूल जाने से डर रही है। दोनों बच्चियों की हालत संदिग्ध होने पर माता-पिता ने तुरंत स्थानीय डॉक्टर से जांच कराया। उसमें बाद पता चला कि आरोपी ने बच्चियों का यौन शोषण किया था।
इसके बाद दोनों के परिजन ने 16-17 अगस्त की आधी रात करीब 12:30 बजे स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गए। हालांकि, अभिभावकों का आरोप है कि तत्कालीन थाना प्रभारी शुभदा शितोले ने उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्हें कुछ घंटों तक बैठाए रखा और कहा कि वे सभी घटनाओं की जांच कर रहे हैं। इस बीच, जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने 17 अगस्त की सुबह पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया और सरकारी अस्पताल में लड़कियों की मेडिकल जांच कराई। कुछ ही देर में आरोपी की गिरफ्तारी कर ली गई।
घटना को लेकर 20 अगस्त को बदलापुर में बंद का आह्वान किया गया और हजारों अभिभावकों, राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्कूल के सामने और बदलापुर रेलवे स्टेशन में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोपी को फांसी देने की मांग को लेकर पूरे दिन प्रदर्शन किया। स्थिति जब काबू नहीं हुई तो प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई जिसमें दोनों पक्षों से कई लोग घायल हो गए। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और स्थिति संभाली।
घटना सामने आने के बाद 20 अगस्त को राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने घटना की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का आदेश दिया। इसकी कमान पुलिस महानिरीक्षक स्तर की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह को सौंपी गई। इसी दिन सरकार ने यौन शोषण मामले में एफआईआर दर्ज करने से इनकार करने वाले पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया। बाद में तीन पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया। वहीं अगले दिन यानी 21 अगस्त को बदलापुर स्कूल के प्रिंसिपल और दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया।
22 अगस्त को उच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया। इस दौरान अदालत ने सवाल पूछा कि स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इसी दिन एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की। और 23 अगस्त 2024 को एसआईटी ने अपराध की जानकारी न करने पर स्कूल प्रिंसिपल, सचिव और चेयरमैन के खिलाफ पोक्सो की धाराएं जोड़ीं। 16 सितंबर को एसआईटी ने एक बच्ची की शिकायत के आधार पर मामले में अपना पहला आरोपपत्र दाखिल किया। वहीं दो दिन बाद 19 सितंबर दूसरी लड़की की शिकायत के आधार पर मामले में दूसरा आरोपपत्र दाखिल किया गया। 23 सितंबर को बदलापुर कांड उस वक्त चर्चा में आ गया जब आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई।
एनकाउंटर पुलिस के लिए कोई नई बात नहीं है उत्तरप्रदेश पुलिस अभी तक सैकड़ो अपराधियों के एनकाउंटर कर चुकी है और पुलिस की कार्यशैली पर कई दफा विपक्ष सवाल भी उठाता आया है और कई केस में तो राज्य का हाई कोर्ट और देश का सर्वोच्य न्यायालय खुद संज्ञान लेकर कारवाही करता आया है। कई एनकाउंटर असली भी होते है क्यों की अपराधियों के पास लेटेस्ट हथियार होते है। लेकिन कानून कभी भी किसी भी अधिकारी को ये अधिकार नहीं देता की वो कोई गलत काम करे। पुलिस को भी पता होता है की ऐसे जघन्य आपराधियो को सजा दिलाने में सालों लग जाते है।
मुंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड के आरोपी रहे अक्षय शिंदे को दफनाने के लिए सुरक्षित जमीन खोजने का निर्देश पुलिस को दिया है। शिंदे की तीन दिन पहले पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। उसके पिता ने अदालत में गुहार लगाई थी कि उनके निवास के आसपास का कोई कब्रिस्तान उसे दफनाने की अनुमति नहीं दे रहा है। शिंदे के वकील कटरनवारे का कहना था कि शिंदे का परिवार हिंदू होने के बावजूद अपने बेटे के शव को इसलिए दफनाना चाहता है, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर शव कोदोबारा निकाला जा सके। अभियोजन पक्ष ने यह कहकर इस याचिका पर ऐतराज जताया कि शिंदे के परिवार में शवों को दफनाने की कोई परंपरा नहीं है, लेकिन याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे एवं न्यायमूर्ति एमएम सथाये की पीठ ने कहा कि किसी को भी फैसला लेने का अधिकार नहीं है। यह माता-पिता तय करेंगे कि उन्हें अपने बेटे के शव को दफनाना है या दाह संस्कार करना है। मुंबई हाई कोर्ट ने परिवार की सुरक्षा के भी आदेश दिए है
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ