केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सत्ता में बदलाव: दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनीं आतिशी– एक शिक्षाविद से मुख्यमंत्री तक का सफर– डिजायर न्यूज़
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सत्ता में बदलाव: दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनीं आतिशी– एक शिक्षाविद से मुख्यमंत्री तक का सफर– डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली–दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर 2024 को अपने इस्तीफे की घोषणा की। इसके बाद, 17 सितंबर को आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से आतिशी मार्लेना को दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। इस निर्णय के साथ, दिल्ली की राजनीतिक संरचना में बड़ा बदलाव हुआ है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। यह निर्णय अरविंद केजरीवाल द्वारा लिया गया था और पार्टी के सभी विधायकों ने इसे स्वीकार किया।सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला सीएम बनी हैं।

आतिशी का जन्म दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के परिवार में हुआ। उनके माता-पिता, विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल में हुई और उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से चिवनिंग और रोड्स स्कॉलरशिप के तहत मास्टर की डिग्री हासिल की। इस सम्मानित शैक्षिक पृष्ठभूमि ने आतिशी को एक शिक्षाविद के रूप में पहचाना, और यही वजह थी कि उन्हें दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
आतिशी ने 2013 में AAP के गठन के समय से ही पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। वह पार्टी की नीति निर्माण समिति की महत्वपूर्ण सदस्य रहीं और पार्टी की रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पूर्वी दिल्ली सीट से बीजेपी के गौतम गंभीर के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कालकाजी से चुनाव जीतकर फिर से राजनीति में मजबूती से वापसी की।
आतिशी को अरविंद केजरीवाल का भरोसेमंद मित्र माना जाता है और वह उनके काफी करीबी है। अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने अन्ना आंदोलन से ही सहयोग किया है। उन्होंने अपनी काबिलियत से महज पांच साल में विधायक से मंत्री बनने का लक्ष्य हासिल किया है। 2020 में, आतिशी पहली बार कालकाजी से विधायक बनीं। 2023 में वह अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री बनीं और 2024 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। यही कारण है कि उनका राजनीतिक सफर बहुत विचित्र रहा है।
2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद, आतिशी को शिक्षा, वित्त, लोक निर्माण विभाग (PWD) जैसे प्रमुख विभागों का कार्यभार सौंपा गया। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार के कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे दिल्ली का शिक्षा मॉडल देशभर में सराहा गया। उन्होंने स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, शिक्षकों के अभ्यास और छात्रों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई नीतियां लागू कीं। खंडवा जलसत्याग्रह के दौरान 2015 में आम आदमी पार्टी के नेता आलोक अग्रवाल ने लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी, जिसमें आतिशी ने ही उनकी मदद की थी. धीरे-धीरे आतिशी दिल्ली में आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा बन गई. उन्होंने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सलाहकार के रूप में भी काम किया है.

अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखकर यह साबित किया कि उन्हें पार्टी और राज्य की जनता के प्रति आतिशी की निष्ठा और नेतृत्व क्षमता पर पूरा विश्वास है। 15 सितंबर 2024 को केजरीवाल ने अपने इस्तीफे की घोषणा की, जिससे दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई। दो दिन बाद, AAP के विधायकों की बैठक में आतिशी के नाम को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।
AAP के नेता गोपाल राय ने इस मौके पर कहा, “आतिशी को इस कठिन समय में यह जिम्मेदारी दी जा रही है, जब AAP पर राजनीतिक हमले हो रहे हैं और सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि आतिशी इन चुनौतियों का सामना कर सकेंगी और दिल्ली की जनता के लिए काम करेंगी।”
आतिशी के मुख्यमंत्री बनने का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले वर्ष फरवरी में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस स्थिति में उनकी सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखना और आगामी चुनावों में पार्टी की सफलता सुनिश्चित करना होगा। इसके साथ ही, उन्हें बीजेपी की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा, जो पिछले कुछ समय से दिल्ली की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। जबकि आप पार्टी ने नेता अरविन्द केजरीवाल ये अपनी मीटिंग मैं कहा है कि वो चाहते है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी महाराष्ट्र के साथ यानी नवंबर 2024 को ही चुनाव आयोग करवाए।

आतिशी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनकी सादगी और काम के प्रति समर्पण है। जब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था, तब आतिशी ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली और मीडिया के सामने पार्टी का पक्ष रखा। उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में पार्टी की नीतियों का समर्थन किया और जनता के बीच AAP की छवि को बरकरार रखा। एक समय में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल , उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया , आप सांसद संजय सिंह , मंत्री सतिंदर जैन और कई विधायक जेल में थे तब सब से बड़ा चेहरा आतिश ही थी। उनके साथ सौरभ भारद्वाज , कैलाश गहलोत जैसे नेता साथ में थे।
आतिशी का काम दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए भी जाना जाता है। उनके नेतृत्व में, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधाएं प्रदान की गईं और शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाया गया। उनकी इस मेहनत की सराहना न केवल दिल्ली में, बल्कि पूरे देश में की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
आतिशी का मुख्यमंत्री बनना केवल AAP के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उन्होंने शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह यह साबित करती हैं कि वह इस पद के लिए योग्य हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि दिल्ली की जनता अब उन्हें एक नई दृष्टि से देख रही है। उनके पास न केवल चुनावी चुनौतियाँ हैं, बल्कि राज्य के प्रशासन को सही दिशा में ले जाने की भी जिम्मेदारी है।
दिल्ली की राजनीति में इस बदलाव के बाद अब सभी की निगाहें आतिशी पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह किस तरह से इस नई भूमिका में काम करती हैं और AAP को आगामी चुनावों में किस दिशा में ले जाती हैं। आतिशी ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहाँ है कि दिल्ली की चीफ मिनिस्टर की जिम्मेदारी भले ही उन्हे दी गई हो लेकिन जनता आज भी केजरीवाल को ही अपना मुख्यमंत्री मानती है , आतिश ने कहा की उन्हे कोई बधाई या माला नहीं पहनाये क्यों कि वो इस पद पर कार्य करने के लिए कुछ समय के लिए आई है और जनता के अधूरे कार्य पुरे करेगी।

आतिशी के नाम कि घोषणा होते ही बीजेपी हमलावर हो गई है बीजेपी का कहना है कि आतिशी के माता पिता ने अफ़ज़ल गुरु को फ़ासी ना दी जाये इसकी लड़ाई लड़ी थी। उधर आप की राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी इसे दिल्ली का दुर्भाग्य बताया और कहाँ कि आतिशी के माता पिता ने अफसल गुरु को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी। पलटवार में आप ने स्वाति मालीवाल से इस्तीफ़ा माँगा है और आरोप लगाया है कि वो बीजेपी के कहने पर ऐसा बयान दे रही है। स्वाति मालीवाल ने चीफ मिनिस्टर अरविन्द केजरीवाल के पी ए पर मारपीट के आरोप भी लगाए थे। स्वाति मालीवाल को आम आदमी पार्टी ने ही राज्य सभा सांसद बना कर संसद में भेजा था।
आज शाम अरविन्द केजरीवाल अपना इस्तीफा लेफ्टनेंट गवर्नर को सोपे कर विधायक दल के नेता आतिशी का भी पत्र सोपेगे। जल्द ही दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री आतिशी मार्लिना अपने पद की शपथ लेंगी और साथ साथ नए मंत्रिमंडल का गठन भी हो सकता है। अरिवंद केजरीवाल ने एक महिला को मुख्यमंत्री बना कर महिलाओ को चुनाव में आकर्षित करने का मास्टर स्टोक चला है। महिलाओ को हर महीने 1000 रूपये का जो वादा किया था वो अब पूरा करने की पूरी कोशिश आप पार्टी करेगी।

सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री चुनी गई हैं। एक खास बात यह भी है कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आतिशी देश में दूसरी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
अलीशा शाहिद
अस्सिस्टेंट सुब एडिटर