इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक- सुप्रीम कोर्ट ने फंडिंग पर सरकार को दिया बड़ा झटका , सभी जानकारी इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट -डिजायर न्यूज़

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम असंवैधानिक- सुप्रीम कोर्ट ने फंडिंग पर सरकार को दिया बड़ा झटका , सभी जानकारी इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट -डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले एक ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है , चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच सालों के चंदे का हिसाब-किताब भी मांग लिया है। अब निर्वाचन को बताना होगा कि पिछले पांच साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करे। शीर्ष अदालत के इस फैसले को उद्योग जगत के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। 20 हज़ार तक कोई भी राशि पार्टी फण्ड में दी जा सकती है , इतनी कम राशि किसी भी पार्टी को इन्फुलेन्स नहीं कर सकती पर करोडो रूपये अगर कोई रूलिंग पार्टी या विपक्ष को देता है तो सिर्फ अपने फायदे के लिए देता है।

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RTI एक्ट का उल्लंघन करती है चुनावी बॉन्ड की योजना 2018 में लागु की गई थी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में गोपनीय का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत सूचना का अधिकार कानून का उल्लंघन करता है। अब शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पब्लिक को भी पता होगा कि किसने, किस पार्टी की फंडिंग की है। चार लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर चुनावी बॉन्ड स्कीम की वैधता को चुनौती दी थी। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है जिसका दूरगामी असर हो सकता है, खासकर लोकसभा चुनावों के मद्देनजर। 2018 में इस यह योजना मौजूदा सरकार लेकर आई थी।

रिश्वतखोरी को कानूनी जामा पहनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती- और भी तरीके से रोका जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने आशंका जताई कि राजनीतिक दलों की फंडिंग करने वालों की पहचान गुप्त रहेगी तो इसमें रिश्वतखोरी का मामला बन सकता है। पीठ में शामिल जज जस्टिस गवई ने कहा कि पिछले दरवाजे से रिश्वत को कानूनी जामा पहनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस स्कीम को सत्ताधारी दल को फंडिंग के बदले में अनुचित लाभ लेने का जरिया बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने मतदाताओं के अधिकार की भी बात की।

जैसे हर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी का पूरा ब्यौरा इलेक्शन कमीशन की वेब साइट पर होता है इसी तरह अब 13 मार्च तक सभी इलेक्ट्रोल बांड खरीदने वालो का डाटा भी चुनाव आयोग को अपनी वेब साइट पर डालना है , अगर ये डाटा वेबसाइट पर आ जाता है तो वो सब लोग उजागर होंगे जिन्होंने अपने फायदे के लिए पार्टी को चंदा दिया है। सब से ज्यादा चंदा अभी तक भारतीय जनता पार्टी को मिला है। जो बांड अभी इनकैश नहीं हुए है उन्हे पार्टी को वापस करना होगा और आज से स्टेट बैंक कोई भी बांड इशू नहीं कर पायेगा और ना ही इन कॅश कर पायेगा।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

 

 

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