दस हज़ार भी क़ीमत नहीं इंसान की जिंदगी की , स्वास्थ्य विभाग का डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह : गंगा नदी में डूबने की दर्दनाक दास्तां–डिजायर न्यूज़

दस हज़ार भी क़ीमत नहीं इंसान की जिंदगी की , स्वास्थ्य विभाग का डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह : गंगा नदी में डूबने की दर्दनाक दास्तां–डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली–कानपुर जिले के नानामऊ गंगा घाट पर एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह गंगा नदी में डूब गए, और तीन दिनों के कड़े रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गहरी चिंता का विषय बन गई है। आदित्य वर्धन सिंह का परिवार आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत समृद्ध है। उनके पिता एक रिटायर्ड सरकारी अफसर हैं, उनकी पत्नी जज हैं, उनके चचेरे भाई एक IAS अधिकारी हैं और उनकी बहन ऑस्ट्रेलिया में रहती हैं। इसके बावजूद, उनकी जान की कीमत महज 10 हजार रुपये मानी गई, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

समृद्ध परिवार का बेटा और स्वास्थ्य विभाग का डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह: गंगा नदी में डूबने की दर्दनाक दास्तां–डिजायर न्यूज़
समृद्ध परिवार का बेटा और स्वास्थ्य विभाग का डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह: गंगा नदी में डूबने की दर्दनाक दास्तां–डिजायर न्यूज़

आदित्य वर्धन सिंह कानपुर में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वह एक सम्मानित और आदरणीय परिवार से आते हैं। उनके पिता एक रिटायर्ड अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा सरकारी सेवा में बिताया। उनकी पत्नी कानूनी क्षेत्र में कार्यरत हैं और जज के पद पर काम करती हैं। आदित्य के भाई एक IAS अधिकारी हैं, जो वर्तमान में एक महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत हैं। आदित्य के इस आदरणीय परिवार के बावजूद, उनके जीवन में आई इस अचानक घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है।
यह घटना 31 अगस्त 2024 शनिवार सुबह को उस समय घटी जब आदित्य वर्धन सिंह अपने कुछ दोस्तों के साथ कानपुर के नानामऊ गंगा घाट पर पहुंचे थे। यह एक सामान्य दिन था, और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए वे गंगा नदी में स्नान करने का फैसला किया। गंगा नदी के तेज़ बहाव और अनजान खतरों से बेखबर, आदित्य नदी में उतर गए। पुलिस के मुताबिक,अर्घ्य देते वक्त आदित्य वर्धन सिंह ने फोटो क्लिक करवाने की इच्छा जताई। वे एक अच्छे तैराक थे, इसीलिए वे सुरक्षा के निशान को पार कर और गहरे पानी में चले गए।स्नान के दौरान अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिससे वह नदी के तेज़ बहाव में बहने लगे। आदित्य के दोस्त, जो उस समय उनके साथ थे, इस घटना से घबरा गए और तुरंत मदद के लिए चिल्लाने लगे।
नानामऊ गंगा घाट, जहां यह घटना घटी, गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख घाट है। हालांकि, इस घाट के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर नदी का बहाव बहुत तेज़ होता है, जो तैराकी के लिए सुरक्षित नहीं है। घाट पर कोई उचित सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं है, जिससे ऐसी घटनाएं होने का खतरा हमेशा बना रहता है। आदित्य वर्धन सिंह को तैराकी का विशेष अनुभव नहीं था, और यह माना जा रहा है कि नदी के तेज़ बहाव ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया।
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। गोताखोरों और अन्य रेस्क्यू टीमों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। अब तक तीन दिनों से लगातार प्रयास जारी हैं, लेकिन आदित्य का कोई पता नहीं चल सका है। रेस्क्यू ऑपरेशन में ड्रोन और सोनार उपकरणों का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि नदी के भीतर किसी भी प्रकार की हलचल का पता लगाया जा सके। प्रशासन का कहना है कि इस कठिन स्थिति में भी वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नदी का तेज़ प्रवाह और गहराई सर्च ऑपरेशन को कठिन बना रहे हैं।
इस दुखद घटना से आदित्य वर्धन सिंह का परिवार गहरे सदमे में है। उनके पिता, जो एक रिटायर्ड अधिकारी हैं, और उनकी पत्नी, जो एक जज हैं, इस घटना से पूरी तरह टूट चुके हैं। उनके भाई, जो एक IAS अधिकारी हैं, भी इस समय अत्यधिक परेशान हैं और लगातार प्रशासन से अपने भाई की खोज के लिए मांग कर रहे हैं। परिवार का यह कहना है कि वे उम्मीद नहीं छोड़ेंगे और रेस्क्यू टीमों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रयास करते रहेंगे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब आदित्य वर्धन सिंह के दोस्तों ने गोताखोरों से उन्हें बचाने की गुहार लगाई, तो गोताखोरों ने 10 हजार रुपये की मांग की। यह रकम उन्हें कैश में चाहिए थी। दोस्तों ने कहा कि उनके पास इतने रुपये नहीं हैं, लेकिन वे जल्द ही अरेंज कर लेंगे। इसके बावजूद, गोताखोर नहीं माने। अंत में, एक गोताखोर ने यह शर्त बदली और कहा कि वे नजदीकी परचून की दुकान पर ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर दें। दोस्तों ने तुरंत 10 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गोताखोरों ने गंगा में काफी खोजबीन की, लेकिन वे आदित्य वर्धन सिंह को ढूंढने में नाकाम रहे।
क्या बचाई जा सकती थी जान? इस सवाल ने हर किसी के दिल में जगह बना ली है। अगर गोताखोर समय पर रेस्क्यू करने के लिए तैयार हो जाते और पैसों की बात को बाद में करते, तो शायद आदित्य वर्धन सिंह की जान बचाई जा सकती थी। यह घटना सिस्टम की खामियों को भी उजागर करती है, जहां एक जान की कीमत इतनी कम आंकी जाती है।
आदित्य वर्धन सिंह की गंगा नदी में डूबने की खबर पूरे कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में फैल गई है। लोग उनके परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं और उनकी सलामती की दुआएं कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर गंगा नदी के घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर किया है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि गंगा जैसी महानदी में स्नान के दौरान सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। नानामऊ गंगा घाट पर, जहां आदित्य वर्धन सिंह की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, कोई सुरक्षा कर्मी नहीं था, और न ही वहां पर किसी प्रकार की चेतावनी दी गई थी। घाटों पर उचित सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। प्रशासन को भी इस दिशा में गंभीरता से सोचने और कदम उठाने की आवश्यकता है।
यह घटना समाज में हो रहे संवेदनहीनता और पैसों की बढ़ती लालच की ओर इशारा करती है। आदित्य वर्धन सिंह जैसे उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति की जान की कीमत मात्र 10 हजार रुपये लगाना, यह बताता है कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। इस घटना ने हर किसी के दिल को छू लिया है और यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर इंसान की जान की कीमत क्या होनी चाहिए।
अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ सख्त कदम उठाएगा या फिर यह घटना भी सिर्फ एक और आंकड़ा बनकर रह जाएगी। आदित्य वर्धन सिंह के परिवार और समाज को अब केवल एक ही उम्मीद है कि जल्द से जल्द उनके बारे में कुछ अच्छी खबर मिले।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
अलीशा शाहिद
अस्सिस्टेंट सब एडिटर

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