सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना मामले में अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी के लिए महाराष्ट्र स्पीकर की आलोचना की – डिजायर न्यूज़

महाराष्ट्र का अगला चीफ मिनिस्टर कौन ?

सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना मामले में अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी के लिए महाराष्ट्र स्पीकर की आलोचना की – डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली- आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सविधान पीठ के 11 मई को दिए गए आदेश का पालन ना होने पर , और स्पीकर के लगातार मामले में निर्णय न लेने पर खेद जताया है और 2 सप्ताह में फिर से सूचीबद्व करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट से लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार आज जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा वो हम विस्तार से जानते है। महाराष्ट्र की सियासत में एक दम उबाल आ गया है। एक नाथ शिंदे अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या नहीं ये भी अब स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है।

आने वाले समय में अगर एक नाथ शिंदे को पद छोड़ना पड़ता है तो क्या लम्बे समय से बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंदर फरडनवीस या शरद पवार को छोड़ कर आये अजित पवार को मौका मिल सकता है महाराष्ट्र का चीफ मिनिस्टर बनने का ? पिछले काफ़ी समय से महाराष्ट्र की राजनीती में कई बार उत्तार चढ़ाव आये है। कई राज्य में चुनाव के साथ साथ कुछ ही समय में देश में लोक सभा के भी चुनाव होने है। अगर महाराष्ट्र मैं फिर कोई बबाल होता है तो बीजेपी के लिए इस से फ़ायदा काम नुकशान ज्यादा हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 सितंबर) को उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे समूहों के बीच शिवसेना पार्टी के भीतर दरार से उत्पन्न अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर द्वारा की गई देरी पर अस्वीकृति व्यक्त की।कोर्ट ने कहा कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चित काल तक विलंबित नहीं कर सकते और कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पीकर का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “मिस्टर एसजी, उन्हें निर्णय लेना है। वह ऐसा नहीं कर सकते ।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस साल संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए पूछा, कोर्ट के 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया?, जिसमें स्पीकर को “उचित अवधि” के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया गया था। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी सेना विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि छप्पन विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर कुल चौंतीस याचिकाएं लंबित हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाओं को एक सप्ताह की अवधि के भीतर स्पीकर के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिस पर स्पीकर को रिकॉर्ड पूरा करने और सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने के लिए प्रक्रियात्मक निर्देश जारी करना होगा।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर को कई अभ्यावेदन भेजे गए थे। चूंकि कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वर्तमान रिट याचिका 4 जुलाई को दायर की गई और 14 जुलाई को नोटिस जारी किया गया। सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने उसके बाद भी कुछ नहीं किया। जब याचिका को 18 सितंबर को सूचीबद्ध करने के लिए दिखाया गया तो स्पीकर ने मामले को 14 सितंबर को सूचीबद्ध किया, जिस तारीख पर उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एनेक्चर दाखिल नहीं किए हैं।

सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने बिना कोई विशेष तारीख बताए मामले को “उचित समय” पर सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि शिंदे गुट के विधायकों ने सैकड़ों पन्नों का जवाब दाखिल किया है। सिब्बल ने पूरी प्रक्रिया को “तमाशा” करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट से स्पीकर को विशिष्ट निर्देश जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत किसी मामले का निर्णय करते समय एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता है और सुप्रीम कोर्ट एक न्यायाधिकरण को परमादेश जारी कर सकता है। उन्होंने इसका भी जिक्र किया जस्टिस आरएफ नरीमन द्वारा लिखित निर्णय, जिसमें दसवीं अनुसूची के तहत मामले पर निर्णय लेने के लिए स्पीकर के लिए तीन महीने की समयसीमा निर्धारित की गई थी।

एसजी तुषार मेहता ने सिब्बल की दलीलों पर यह कहकर आपत्ति जताई कि वह एक संवैधानिक प्राधिकार का “उपहास” कर रहे हैं। एसजी ने कहा, आइए एक बात न भूलें- स्पीकर एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं हम अन्य संवैधानिक निकाय के सामने उनका उपहास नहीं उड़ा सकते। हो सकता है कि हम उन्हें पसंद न करें लेकिन हम इससे इस तरह नहीं निपटते हैं। लाइव लॉ इसकी रिपोर्टिंग सुप्रीम कोर्ट से कर रहा था।

सीजेआई ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ भी नहीं हुआ है। सीजेआई ने कहा, आप यह नहीं कह सकते कि मैं इसे उचित समय पर सुनूंगा। आपको तारीखें देते रहना होगा।” एसजी ने तब पूछा कि क्या कोई स्पीकर अपने दिन-प्रतिदिन के कामकाज का विवरण अदालत को सौंप सकता है। जवाब में सीजेआई ने कहा, “वह दसवीं अनुसूची के तहत एक न्यायाधिकरण है। एक न्यायाधिकरण के रूप में वह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र के तहत उत्तरदायी है स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पालन करना होगा। 11 मई से कितने महीने बीत गए और केवल नोटिस जारी कर दिया गया है।

शिंदे पक्ष की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल और महेश जेठमलानी ने देरी के लिए उद्धव समूह को दोषी ठहराया क्योंकि वे समय पर दस्तावेज दाखिल करने में विफल रहे। सिब्बल ने कहा कि प्रक्रिया के नियमों के अनुसार एनेक्चर उपलब्ध कराना स्पीकर का काम है। उन्होंने तर्क दिया कि शिंदे पक्ष ने अपने जवाबों में कभी भी इस बात पर आपत्ति नहीं जताई कि एनेक्चर की आपूर्ति कभी नहीं की गई। अंततः, पीठ ने कार्यवाही के समापन के लिए एक निश्चित समयसीमा की मांग करते हुए मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। सीजेआई ने कहा, “हम इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे। हमें बताएं कि मामला कैसे आगे बढ़ रहा है। यह मामला अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता।”

निर्णय लेन में चाहे सरकार हो या हमारी जुडीसरी हो , कितना समय लगेगा ये कोई नहीं बता सकता है। एक आम नागरिक को इन्साफ सही समय पर मिलना , मानो उसे भगवान के दर्शन मिल गए हो। न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है। आज एक आम नागरिक की पहुंच से दूर है सुप्रीम कोर्ट , न्याय व्य्वस्था महंगी और दुर्लभ है।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

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