देश में बुलडोज़र का नया कानून क्या है ? क्या सुप्रीमकोर्ट इस पर संज्ञान लेकर कोई कारवाही करेगा ? बूढ़े माँ बाप भी बेघर -डिजायर न्यूज़

देश में बुलडोज़र का नया कानून क्या है ? क्या सुप्रीमकोर्ट इस पर संज्ञान लेकर कोई कारवाही करेगा ? बूढ़े माँ बाप भी बेघर -डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – कभी उत्तरप्रदेश के मुख़्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बुलडोजर की कारवाही माफिया के अवैध कब्जे या बेनामी प्रॉपर्टी को लेकर शुरू की थी लेकिन अब हर राज्य इस मॉडल को अपना रहा है , घर में अगर एक बच्चा गलत काम में निकल जाता है या किसी अपराध में पकड़ा जाता है तो सरकार तुरंत बुलडोजर लेकर उस घर को गिरा देती है वो ये भी नहीं सोचती की उस घर में रह रहे माँ बाप इस उम्र में कहाँ जायेगे ? क्या उन्हे पता था कि उनकी औलाद उनकी जीवन भर की कमाई से बने घर को खत्म करके उन्हे सड़क पर रहने को मजबूर कर देगी। एक बाप बाप जिंदगी भर मेहनत करके मकान बनाते है और बेटे या बेटी की किसी आपराधिक गतिविधि के चलते उनका मकान एक ही दिन में सरकार जमीन में बुलडोजर से मिला देती है।

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ऑन दा स्पॉट अधिकारी लेते है निर्णय , फिर कोर्ट किस लिए

सरकार जब भी किसी अपराधी के मकान को गिराती है तो एक ही कारण बताती है कि मकान अवैध बना हुआ था , क्या कोई ये जनता है कि आज भी गांव और छोटे कस्बो में बने करोडो मकान बिना किसी मंजूरी के बने है ? ना वहां कोई एजेंसी है , ना वहाँ कोई नक्शा पास होता है लेकिन सरकार जब चाहें उसे अवैध घोषित कर सकती है ऐसा क्यों है ? पहले पैसा खाकर अधिकारी अवैध निर्माण करवाते है और फिर बिना कोर्ट के आदेश के गिरा देते है। क्या किसी के भी मकान को गिराने से पहले कोर्ट की परमिशन नहीं लेनी चाहिए ? और अगर मकानों के बारे में सरकार एक ही दिन में निर्णेय लेती है तो फिर जघन्य अपराधों की सजा सड़क पर ही क्यों नहीं देती है ? अगर रेप मर्डर जैसे मामलो में भी उन अपराधियों के ऊपर बुलडोजर चला कर उन्हे मोत की सज़ा क्यों नहीं देती ?

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सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट क्यों संज्ञान नहीं ले रहे

एक घर में 6 लोग है , माँ बाप ने अपनी मेहनत की कमाई से मकान बनाया है दो लड़कियाँ अभी कुवारी है शादी की उम्र हो चुकी है एक बेटा पढ़ाई कर रहा है दूसरा बेटा गलत संगत में पड़ गया , घर में किसी की नहीं सुनता , माँ बाप ने पुलिस में भी कई दफा शिकायत की लेकिन वहां भी कुछ हासिल नहीं हुआ , एक दिन वो लड़का गलत गतिविधियों में पकड़ा जाता है और सरकार धर्म और जाति से जोड़ कर , सीधा बुलडोजर चला कर मकान को तोड़ देती है , अब सब से बड़ा सवाल है कि उन पांच लोगो का क्या कसूर है जिन्हे सरकार ने सड़क पर ला कर बेघर कर दिया। आज भी 70 परसेंट से अधिक मकान बिना नक्शा पास के बने हुए है इसका मतलब वो सभी अवैध है ? और सरकार जिसे चाहे घर से बेघर कर सकती है ? सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट हर रोज अखबारों से ये पढ़ते है लेकिन कोई भी पहल नहीं कर रहा। जब एक मुल्ज़िम को 24 घंटे में जज के सामने पेश करने का कानून है तो फिर अगर किसी अपराधी का मकान बुलडोजर से गिराया जाता है तो उसकी परमिशन कोर्ट से क्यों नहीं ली जाती ?

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रेप , महिलाओ से जुड़े अपराध की हो ऑन दा स्पॉट सजा

अगर सरकार कोई नई पहल करना ही चाहती है तो फिर क्यों नहीं रेप जैसे जघन्य अपराधों की सजा 3 महीने में नहीं देती ? या अगर आन दा स्पॉट अपराधी पकड़ा गया है तो उसे वही सजा दे। लोग आज सड़को पर रहने को मजबूर है , उनके पास सर छुपाने के लिए छत नहीं है और सरकार बने हुए मकान को मलबे में तब्दील कर रही है क्यों नहीं सरकार ऐसे घरो को अपने कब्जे में लेकर उन्हे जरुरत मंद लोगो को ट्रांसफर करे। लाखो करोडो रूपये से बने मकान बुलडोजर से गिरा कर , सरकार देश का ही नुकशान कर रही है। ऐसी अवैध सम्पतियो का कब्ज़ा सरकार खुद लेकर उन्हे ऑक्शन करके पैसा कमा सकती है और उस कमाई से नए मकान बना कर गरीबो को दिए जा सकते है। अपराधियों को अगर जल्द सजा सरकार दिलाने में सक्षम हो जाये तो अपने आप अपराध कम हो जायेगे। मकान किसी का भी हो बनने में जिंदगी भर की कमाई लगती है और गिराने में चंद घंटे। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए।

बुलडोज़र की शुरुआत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कि थी लेकिन अब राजस्थान , उत्तराखंड , मध्यप्रदेश जैसे भारत के कई राज्य इस असेवधानिक योजना को अपना रहे है जितने सरकार गरीबो के लिए मकान बना रही है कही न कही सेकड़ो मकान बुलडोज़र से जमीन में मिला दिए गए है। अगर दोषी को सजा कानून अगर देता है तो उसकी प्रॉपर्टी को सरकार जप्त करके अपने कब्जे में लेकर उसका इस्तेमाल करे , सजा मिलने तक प्रॉपर्टी को सील भी किया जा सकता है। सरकार को इस पर सज्ञान लेना चाहिए। और अगर मकान अवैध बना है तो सरकारी कर्मचारी जो उस जगह पर था , उसपर कड़ी से कड़ी कारवाही होनी चाहिए।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

 

 

 

 

 

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