भारत किस का और इंडिया किस का ?- डिजायर न्यूज़

भारत और इंडिया का मैच संसद में -डिजायर न्यूज़

भारत किस का और इंडिया किस का ?- डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली– आज का दिन सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में एक अहम् चर्चा का विषय रहा है। कई दफ़ा सत्ता पक्ष विपक्ष को ऐसा काम दे देता है की वो अपना मूल काम छोड़ कर उसपर ही अपना पूरा फोकस लगा देती है , लेकिन इस बार विपक्ष ने सत्ता पार्टी को एक ऐसा काम दे दिया जिसकी चर्चा आज पूरे देश में हो रही है। जब से विपक्ष एक जुट होकर एक नए नाम के साथ आया और अपने दल का नाम इंडिया रखा , बस तब से एक चिंगारी सब जगह दिखाई देती है , साइंस से लेकर वेदो पुराणों तक तो व्हाटअप अप यूनिवर्सिटी के सभी लोग सोशल मीडिया पर आ गए , देश में इस वक्त देश का ही नाम बदलने की चर्चा सबसे तेज है. इस चर्चा को हवा दी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पत्र ने. जी-20 समिट के लिए 9 सितंबर को होने वाले रात्रि भोज के लिए जो निमंत्रण पत्र राष्ट्रपति भवन की तरफ से देश के नेताओं को भेजे गए हैं, उनमें आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ शब्द को बदला गया है. इस बार के निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का इस्तेमाल किया गया है. अब पूरा विवाद इस पर ही सुरु हो गया है और विपक्ष को भी मौका मिल गया।

आप के सामने कुछ साक्ष्य हम रखते है , अगर नाम चेंज होता है तो इसके फायदे और नुकशान कितने है जानने की कोशिश करते है। सरकार अगर संविधान में संशोधन कर ‘इंडिया दैट इज भारत शैल बी यूनियन ऑफ स्टेट्स’ को बदल कर सिर्फ भारत करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद 1 और 52 में प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया, वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया जैसे पदनाम उनके ऑफिस को इंगित करते हैं. हालांकि संविधान के आधिकारिक हिंदी अनुवाद में इन पदनाम का जिक्र भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश आदि के तौर पर ही किया गया है. और अगर हम बात करे इंग्लिश वर्ड की तो हमे लगता है कि इतनी लम्बी लाइन है जिसे चेंज करते करते सदिया बीत जाएगी , और करोडो रूपये का खर्च आएगा , जैसे रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया , आज देश के सभी नोटों पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया लिखा है अगर नोट चेंज करते है तो आप को पता है फिर क्या होगा।

यानी संविधान को अगर हिंदी भाषा में पढ़ेंगे तो उसमें इंडिया का जिक्र नहीं है सिर्फ भारत ही है. अगर सरकार इसमें सिर्फ भारत को ही
को ही मान्यता देना चाहती है तो तय प्रक्रिया के मुताबिक संविधान में बदलाव कर घोषणा करनी होगी INDIA को भारत के नाम से बुलाया जाएगा.
अनुच्छेद 3 और 239AA जैसे कई अनुच्छेद हैं, जिनमें बदलाव के लिए राज्यों की सम्मति आवश्यक नहीं है. लेकिन संविधान में उन अनुच्छेदों का स्पष्ट जिक्र है जिन जिनमें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों से अलग-अलग दो तिहाई बहुमत से पारित होना आवश्यक है. बहुमत के लिए सदन की कुल संख्या का स्पष्ट बहुमत यानी आधे से ज्यादा यानी कुल राज्यों में से पचास फीसद से एक ज्यादा राज्यों की सम्मति आवश्यक होती है. सूत्रों की माने तो अभी आने वाले सत्र में इंडिया नाम की जगह भारत इस्तेमाल करने पर मोहर भी लग सकती है , क्यों की सत्ता पक्ष के पास बहुमत है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है, ‘इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा.’ अनुच्छेद 1 को लेकर पहले संविधान सभा में चर्चा की गई है और 2012 और 2014 में निजी सदस्य बिल भी पेश किए गए हैं. संविधान सभा ने तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर व्यापक रूप से बहस की थी. बता दें कि संविधान सभा ने तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर व्यापक रूप से बहस की थी. बता दें कि संविधान सभा के सदस्य एच. वी. कामथ ने 18 सितंबर 1949 को बहस शुरू की और बता दें कि संविधान सभा के सदस्य एच. वी. कामथ ने 18 सितंबर 1949 को बहस शुरू की और अनुच्छेद 1 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें भारत या वैकल्पिक रूप से हिंद को देश के प्राथमिक नाम के रूप में रखा गया और अंग्रेजी भाषा में इंडिया को नाम के रूप में प्रस्तावित किया गया.

सब से बड़ी बात अब ये है कि लोग बेरोजगारी , महगाई सब को भूल कर अब यही सोचने को मजबूर हो जायगे अभी से मीडिया ने टैग लाइन चला दी की इंडिया का नाम क्या होना चाहिए , बेतुके लोग अब डिबेट में आकर गला फाड़ फाड़ कर अपना काम कर के वापस चले जाएगे। महीनो के लिए एक काम मिल गया मीडिया को। कुछ क्रिकेटर जो अग्रेजो के दिए गेम से नाम कमा कर आज कह रहे है हमे अंग्रेजी वाला इंडिया नहीं भारत चाहिए। क्या कभी किसी ने पुछा है इंडिया या भारत को नागरिको से क्या चाहिए ? पाकिस्तान अगर अपना नाम बदले ले तो क्या वो खुशहाल देश बन सकता है ?

कितनी ही ऐसी चीज़ है अगर उनको हम बदलने बैठ जायेगे तो वकील की ड्रेस , जज की ड्रेस , कानून , पार्लिमेंट , वेस्टर्न ड्रेस सब कुछ अगर बदले देते है तो हम पाषाण युग में ही चले जाएगे। आज एक दूसरे देश से हेल्प लेकर या उनकी सभ्यता अपना कर पूरा विश्व तरक़ी कर रहा है। कहते है काम ऐसा करो की नाम हो जाये , या नाम ऐसा करो की काम हो जाये। आज दुनियाभर में में भारत का डंका बज रहा है , जी 20 हम होस्ट कर रहे है और मीडिया सिर्फ भारत नाम हो या इंडिया इस पर ही चर्चा कर रहा है , वो जो लोग बाहर से आ रहे है वो क्या सोच रहे होंगे की अभी तक देश विकसित हो गया लेकिन लोगो की मानसिकता अभी भी विकसित नहीं हुई है। कई नेताओ ने तो अपने विजिटिंग कार्ड पर गोवेरमेंट ऑफ इंडिया की जगह गवर्नमेंट आफ भारत करवा भी लिया , कौन सा जेब से पैसा जाना है नई विजिटिंग कार्ड का , जायगा तो जनता का ही पैसा। अगर कल को विपक्ष अपने गटबंधन का नाम भारत रख लेता है तो क्या सरकार फिर से इंडिया रखगे ?

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

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