28 साल की शादी, चार बच्चों का साथ, फिर तलाक तक क्यों पहुंची राजा भैया ओर रानी भानवी की कहानी -डिजायर न्यूज़
राजाओं का राज चला गया पर शाहीपन अभी भी हैं , कुँवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया
राजा ,रानी और वो ?
राजाओं का राज चला गया पर शाहीपन अभी भी हैं , कुँवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – कुँवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया उत्तरप्रदेश के एक बाहुबली राजनेता है ,लेकिन आज अपनी पत्नी के लगाए आरोपों के कारण सुर्खियों में है। 31 अक्टूबर 1967 को राजपरिवार में जन्मे राजा भैया का पूरा जीवन सुर्खियों में ही रहा है। रघुराज प्रताप सिंह का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को प्रतापगढ़ विशेन क्षत्रिय के भदरी रियासत में पिता श्री उदय प्रताप सिंह और माता श्रीमती मंजुल राजे के यहाँ हुआ। इनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। राघुराज के पिता राजा उदय प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मानद पादाधिकारी रह चुके हैं। इनकी माता श्रीमती मंजुल राजे भी एक शाही परिवार की है। राजा भैया अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जिन्होंने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया।
रघुराज प्रताप सिंह सन 1993 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के विधान सभा क्षेत्र कुंडा से निर्दलीय विधायक निर्वाचित किए जाते हैं। विधानसभा चुनाव 2012 में भी भारी मतों से जीतकर विधानसभा सदस्य हैं। राजा भैया का बसपा सरकार में मुकदमे में मायावती ने जेल में भेज दिया था , कहते है प्रतापगढ़ में राजा भैया का एक महल है , जिसमें तालाब भी है और अगर किसी ने उनके खिलाफ बगावत की तो उस तालाब के हवाले कर दिया जाता था जिसमें राजा भैया ने मगरमछ तक पाले हुए है , सूत्रों के हवाले से ये भी बात सामने आई है कि किसी भी जिला अधिकारी की हीमत नहीं होती थी की बिना गेट पर जूते उतारे अंदर चला जाये , जब माया वती की सरकार आई तो ना सिर्फ राजा भैया को जेल में डाला , साथ साथ उनके घर में पिछड़े समाज के लोगो को उनके महल में घुसा कर दिखा दिया की अब राजा राजा नहीं रहे।
रघुराज प्रताप की प्राथमिक शिक्षा नारायणी आश्रम, इलाहाबाद के महाप्रभु बाल विद्यालय में हुआ। सन 1985 में भारत स्काउट एंड गाइड हाई स्कूल से दसवी तथा सन 1987 में इलाहाबाद के एक इंटरमीडिएट स्कूल से बारहवी की पढ़ाई की। लखनऊ विश्वविद्यालय से इन्होंने कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। घुड़सवारी और निशानेबाजी के शौकीन राजा भैया लखनऊ विश्वविद्यालय से मिलिट्री साइंस और भारतीय मध्यकालीन इतिहास में स्नातक हैं। राजा भैया के बारे में कहा जाता है कि वे साइकिल चलाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक का कारनामा करते हैं। अगर राजा भैया के ज्ञान की बात करे तो एक गज़ब की परछाई आप को देखने को मिलेगी शास्त्रों से लेकर समाज के किसी भी विषय पर घंटो बोल कर लोगो को प्रभावित कर देते है। सामाजिक कार्यो में एक मिसाल भी है हर वर्ष सैकड़ो लड़कियों की शादी कराना और लगातार लोगो के बीच रहना , हमेशा उन्हे राजनीत में ऊपर लेकर जाता रहा।
राजनैतिक करियर
रघुराज प्रताप सिंह कुंडा की सीट से, स्वतंत्र पूर्वक सन् 1993 में राज्य स्तरीय चुनाव में भाग लिया और विजयी होकर विधायक बने। तब वह सिर्फ 26 वर्ष के थे। सन् 1999 में इण्डियन जनरल इलेक्शन में इन्होंने राजकुमारी रत्ना सिंह के खिलाफ (जो कि इसी परिवार से ही सम्बंधित हैं), अपने चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को उतार दिया। राजा भैया कद्दावर राजनेता छवि के प्रभाव से उनके भाई भी उस चुनाव में जीत गए थे। राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था। तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं। उनसे पहले कुंडा सीट पर कांग्रेस के नियाज हसन का डंका बजता था। हसन 1962 से लेकर 1989 तक कुंडा से पांच बार विधायक चुने गए। राजा भैया 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी समर्थित, तो 2002 और 2007, 2012 के चुनाव में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और एसपी की मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री बने। राजा भैया को सन 1997 में भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह के मंत्रीमंडल में मंत्री, वर्ष 1999 व 2000 में राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के कैबिनेट में खेल कूद एंव युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। साल 2004 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की सरकार में रघुराज प्रताप खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने।
15 मार्च, 2012 को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य मंत्री बने, लेकिन 2 मार्च 2013 को कुंडा में तीहरे हत्याकांड मामले में डी. एस. पी. जिया उल हक के हत्या मामले राजा भैया का नाम आने पर इन्होने 4 मार्च, 2013 को मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा । हालांकि बाद में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के प्रारंभिक जाँच में राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिल गई। सी.बी. आई . की अंतरिम रिपोर्ट में राजा भैया को पूरी तरह क्लीन चिट मिल गयी और 11 अक्टूबर को उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्मान सहित पुनः कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया।
पत्नी के गंभीर आरोपों से छवि धूमिल
दिल्ली की एक अदालत में राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के तलाक़ का केस सामने आया है जिसमें भावनी सिंह ने राजा भैया पर गहन आरोप लगाए है , कुछ समय पहले सूत्रों के हावले से खबर थी की राजा भैया का अफेयर एक टीवी चैनल की एंकर के साथ चल रहा है ,और उनकी पत्नी को जब इसकी जानकारी मिली तो घर में लड़ाई का सिलसिला जारी हो गया।
मानवी सिंह ने उत्तर प्रदेश के चर्चित नेता और कुंडा से विधायक राज भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह को तलाक देने से इनकार कर दिया। उन्होंने अदालत ने पेश अपने जवाब में यह तर्क रखा है। राजा भैया ने पत्नी भानवी सिंह से तलाक लेने के लिए दिल्ली के साकेत कोर्ट में अर्जी दाखिल की हुई है। जिस पर सुनवाई भी चल रही है। राजा भैया से तलाक के मुद्दे पर पत्नी भानवी सिंह ने पहली बार अपने रिश्तों को लेकर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली की साकेत अदालत स्थित पारिवारिक न्यायालय की न्यायाधीश शुनाली गुप्ता की कोर्ट के समक्ष भानवी ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि वे राजा भैया की प्रताड़ना के चलते ही उनसे अलग रह रही हैं। उन्होंने जवाब में राजा भैया पर मारपीट का भी आरोप लगाया है। भानवीसिंह ने अपने जवाब में राजा भैया द्वारा तलाक के लिए लगाए गए आरोपों को नकार दिया है। उन्होंने कहा मात्र तलाक लेने के लिए झूठे आरोप लगाए गए है ओर वह तलाक का विरोध कर रही है।
अदालत ने हाल ही में उन्हें अपन पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 17 अक्टूबर तय कर रखी है। इससे पहले भानवी सिंह ने दावा किया था कि राजा भैया ने उनके साथ मारपीट की और धमकाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि सितंबर 2020 से ही राजा भैया ने उन्हें घर में आने से मनाकर रखा है। मानवी सिंह का ये भी कहना है कि ये उनके आपस की लड़ाई है ,राजा भैया उनके बच्चो के पिता भी है और उन्हे अपने बच्चो का भविषय भी देखना है , इस से ज्यादा वो मीडिया को कुछ नहीं कहना चाहती।
किसी ने सही कहाँ है कि आप को बड़ा बनाने में भी अपनों का हाथ होता है और गिराने में भी। आज उत्तरप्रदेश के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया परिवार की कलह के चलते अपनी छवि को नहीं बचा पा रहे है , जबकि एक समय ऐसा था जब कोई एक शब्द भी बोलने से सो दफ़ा सोचता था। अभी हॉल ही में अपनी फिल्म के परमोशन के लिए साउथ के सुपरस्टार रजनी कान्त उत्तर प्रदेश आये और राजा भैया से भी मिले। भले ही राजा भैया निर्दलीय चुनाव जीतते रहे पर जिस भी पार्टी की सरकार बनी राजा भैया उसमें मंत्री रहे है। ये रुतबा उनका आज भी क़ायम है। एक समय में मुलायम सिंह सरकार में अमर सिंह एक अहम् रोल रखते थे तब भी राजा भैया के रिश्ते अमर सिंह से पारिवारिक रहे थे। सोशल मीडिया के भी अगर बात करे उसमें भी राजा भैया के लाखो फोल्लोवेर्स है।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ