महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार 19 सितंबर
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार 19 सितंबर को होगा. इसकी जानकारी बकिंघम पैलेस ने दी है. महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद आधिकारिक 10 दिन के शोक की अवधि समाप्त होगी. यह सुबह 11 बजे वेस्टमिंस्टर एब्बे में होगा. अंतिम संस्कार के दिन बैंक में अवकाश रहेगा. किंग चार्ल्स तृतीय ने सेंट जेम्स पैलेस में प्रिवी काउंसिल के साथ अपनी पहली बैठक के दौरान सार्वजनिक अवकाश की पुष्टि की है। बता दें कि ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 70 साल तक शासन करने के बाद बृहस्पतिवार (8 सितंबर) को स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया. उनकी उम्र 96 साल थीं. उनकी मृत्यु की सार्वजनिक घोषणा के लगभग 10 दिन बाद अंतिम संस्कार होगा.
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स नए किंग बन गए हैं। अब उन्हें किंग चार्ल्स-III के नाम से जाना जाएगा। नए किंग के रूप में उन्हें क्या कहा जाएगा, यही नए चार्ल्स-III का पहला फैसला है। परंपरा के मुताबिक वे अपने लिए चार नाम- चार्ल्स, फिलिप, अर्थर, जॉर्ज में से किसी एक नाम को चुन सकते थे। शुक्रवार को किंग चार्ल्स III और क्वीन कंसोर्ट कैमिला लंदन पहुंच गए। प्रधानमंत्री लिज ट्रस से मुलाकात करने के साथ ही शोकग्रस्त राष्ट्र को वे संबोधित करेंगे।
चार्ल्स-III को ताज कैसे सौंपा जाएगा
सेरेमोनियल बॉडी के बीच लंदन में होगा आधिकारिक ऐलान। महारानी के निधन के 24 घंटों के भीतर लंदन स्थित सेंट जेम्स पैलेस में एक सेरेमोनियल बॉडी (अक्सेशन काउंसिल) के बीच चार्ल्स को आधिकारिक तौर पर राजा घोषित किया जाएगा। इस काउंसिल में वरिष्ठ सांसद, सीनियर सिविल सर्वेंट्स, कॉमनवेल्थ हाई कमिश्नर और लंदन के लॉर्ड मेयर शामिल होंगे। सामान्य तौर पर 700 से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं, लेकिन इस बार इतनी संख्या की गुंजाइश नहीं दिख रही है, क्योंकि शॉर्ट नोटिस पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 1952 में जब एलिजाबेथ-II क्वीन बनीं थीं, तब करीब 200 लोग गवाह बने थे। पारंपरिक रूप से राजा इसमें शामिल नहीं होता है। तेज आवाज में महारानी एलिजाबेथ-II और नए किंग की खूबियां गिनाईं जाएंगी
इस कार्यक्रम में सबसे पहले प्रिवी काउंसिल के लॉर्ड प्रेसिडेंट पेनी मोर्डंट एलिजाबेथ-II के निधन की घोषणा करेंगे। यह घोषणा ऊंची आवाज में होगी। इसके बाद कई प्रेयर्स होंगी, महारानी की उपलब्धियों को भी बताया जाएगा। साथ ही नए किंग की खूबियों को भी गिनाया जाएगा। इस घोषणा पत्र पर प्रधानमंत्री, कैंटरबरी के आर्कबिशप और लॉर्ड चांसलर सहित कई सीनियर ऑफिसर साइन करेंगे। इसी कार्यक्रम में यह भी तय किया जाएगा कि नए किंग के सत्ता संभालने के बाद क्या कुछ बदलाव किए जाएंगे।
1952 के बाद पहली बार ‘गॉड सेव द किंग’ नेशनल एंथम गाया जाएगा
आमतौर पर एक दिन बाद असेशन काउंसिल की फिर से बैठक होती है। इसमें किंग भी शामिल होते हैं। इस दौरान कोई शाही शपथ ग्रहण कार्यक्रम नहीं होता है। हालांकि18 वीं शताब्दी से चली आ रही परंपरा के मुताबिक किंग चर्च ऑफ स्कॉटलैंड को संरक्षित (प्रिजर्व) करने की शपथ लेंगे। इसके बाद सेंट जेम्स पैलेस की बालकनी से एक सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। एक अधिकारी, जिसे गार्टर किंग ऑफ आर्म्स कहा जाता है, वो घोषणा करेगा- प्रिंस चार्ल्स-III ब्रिटेन के नए किंग हैं। इसके बाद ब्रिटेन का राष्ट्रगान गाया जाएगा। 1952 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब ब्रिटेन के राष्ट्रगान का शब्द होगा- ‘गॉड सेव द किंग’। इससे पहले गॉड सेव द क्वीन था। इसके बाद हाइड पार्क, लंदन टॉवर और नौसैनिक जहाजों से तोपों की सलामी दी जाएगी।
किंग बनने के बाद भी ताज के लिए करना पड़ेगा इंतजार
कोरोनेशन यानी ताजपोशी के लिए अभी चार्ल्स को इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि इसकी तैयारियों में वक्त लगेगा। इससे पहले क्वीन एलिजाबेथ को भी करीब 16 महीने इंतजार करना पड़ा था। फरवरी 1952 में उनके पिता का निधन हुआ, लेकिन जून 1953 में उनकी ताजपोशी हुई थी। बता दें कि यह सरकार का कार्यक्रम होता है और इसका खर्च भी सरकार को ही करना होता है।
2.23 किलो वजनी सोने का मुकुट पहनाया जाएगा
पिछले 900 सालों से कोरोनेशन वेस्टमिंस्टर एब्बे में किया जा रहा है। विलियम द कॉन्करर पहले सम्राट थे, जिन्हें वहां ताज पहनाया गया था। चार्ल्स 40वें सम्राट होंगे। इस दौरान कैंटरबरी के आर्कबिशप सेंट एडवर्ड्स के क्राउन को चार्ल्स के सिर पर रखेंगे, जो सोने का बना मुकुट होता है।इसका वजन करीब 2.23 किलो होता है। यह लंदन टॉवर में क्राउन ज्वेल्स का केंद्रबिंदु है। कोरोनेशन के वक्त ही इसे किंग को पहनाया जाता है।
महल में टीचर नहीं, स्कूल में जाकर पढ़ाई की
चार्ल्स का जन्म बकिंघम पैलेस में ही हुआ था। जब वे छोटे थे, तब क्वीन एलिजाबेथ और ड्यूक ने फैसला किया कि चार्ल्स को पढ़ाने के लिए महल में कोई टीचर नहीं आएगा। प्रिंस खुद स्कूल जाएंगे। चार्ल्स ने 7 नवंबर 1956 को वेस्ट लंदन के हिल हाउस स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की। इसके बाद चार्ल्स ने चिम प्रिपरेटरी स्कूल में एडमिशन लिया। इसी स्कूल में चार्ल्स के पिता भी पढ़ चुके थे। चार्ल्स ने अपनी स्कूलिंग स्कॉटलैंड के गोर्डोंसटाउन में पूरी की।
स्कूल के फाउंडर और प्रेसिडेंट स्टुवर्ट टाउनेंड ने उन्हें प्रिंस की तरह नहीं, बल्कि आम स्टूडेंट्स की तरह पढ़ाया। स्टुवर्ट ने क्वीन एलिजाबेथ को सलाह दी कि वो चार्ल्स को फुटबाल में ट्रेनिंग दिलवाएं। हिल हाउस के स्टूडेंट्स फुटबाल के मैदान पर सभी के साथ एक समान व्यवहार करते हैं। 2 अगस्त 1975 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से चार्ल्स को मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री मिली। चार्ल्स ने अपने पिता, दादा और परदादा के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए रॉयल एयरफोर्स को जॉइन किया। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने इसकी ट्रेनिंग ली थी।
चार्ल्स की शादी और तलाक
24 फरवरी, 1981 को ब्रिटिश शाही परिवार ने एक ऐलान किया। इसमें कहा गया कि उनके 32 साल के चार्ल्स ने सगाई कर ली है। लोगों के मन में सवाल था किससे? जवाब आया – खुद से 13 साल छोटी, एक 19 साल की लड़की डायना स्पेंसर से। चार्ल्स ने फरवरी 1981 में डायना के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और डायना ने एक्सेप्ट कर लिया। इसी दिन से लोगों ने डायना के बारे में जानना शुरू कर दिया। उस वक्त डायना के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई उनकी वर्जिनिटी को लेकर। चार्ल्स के कई प्रेम संबंध रहे थे, लेकिन उनकी होने वाली पत्नी का शादी के समय तक वर्जिन होना यानी कुंआरा होना गर्व की बात मानी गई। यही वर्जिनिटी ब्रिटिश शाही परिवार की बहू बनने, अगली महारानी की दावेदारी रखने के लिए डायना की सबसे कीमती एलिजिबिलिटी थी। 24 जुलाई 1981 को डायना और चार्ल्स पति-पत्नी बन गए।
के साथ शादी से पहले प्रिंस चार्ल्स का था कैमिला से अफेयर
चार्ल्स को कैमिला पार्कर बोल्ज नाम की एक महिला से प्यार था, दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन कैमिला पहले से शादीशुदा थीं। जिसकी वजह से ब्रिटिश रॉयल फैमिली इस शादी के खिलाफ थी। माना जाता है कि चार्ल्स ने मजबूरी में डायना को खोजा था। हालांकि डायना को शादी से पहले ही इस अफेयर के बारे में शक था। वो शादी तोड़ना भी चाहती थीं, लेकिन बात इतनी फैल चुकी थी कि डायना हिम्मत नहीं जुटा सकीं।
चार्ल्स और कैमिला की शादी
10 फरवरी 2005 को क्लेरेंस हाउस में चार्ल्स और कैमिला पार्कर-बोल्स की सगाई होने की घोषणा की गई। इस मौके पर प्रिंस चार्ल्स ने कैमिला को जो अंगूठी पहनाई, वह उनकी दादी की अंगूठी थी। 2 मार्च को हुई प्रिवी काउंसिल की बैठक में शादी के लिए क्वीन की सहमति को दर्ज किया गया। कैमिला ने अपने पति एंड्रयू को 1995 में तलाक दे दिया। इसके एक साल बाद ही साल 1996 में प्रिंस चार्ल्स और डायना का भी तलाक हो गया। तलाक के बाद अब प्रिंस चार्ल्स और कैमिला बिना शादी के पति-पत्नी की तरह साथ रहने लगे। कैमिला और चार्ल्स दोनों एक साथ 1999 में लोगों के सामने आए। दोनों ने 9 अप्रैल, 2005 को विंडसर में शादी की।
लव अफेयर्स से भी बटोरीं सुर्खियां
यंग लाइफ में चार्ल्स का नाम कई महिलाओं से जुड़ा। जैसे- स्पेन के ब्रिटिश राजदूत की बेटी जोर्जियाना रशेल, अर्थर वेलेस्ले, ड्यूक ऑफ वेलिंगटन की बेटी लेडी जेन वेलेस्ले, डेविना शेफिल्ड, मॉडल फियोना वॉटसन, सुसान जॉर्ज, लेडी सारा स्पेन्शर, लक्जेमबर्ग की प्रिसेंस मारिया एस्ट्रीड, डेल, बेरोनेस टायरोन, जेनेट जेनकिंस और जेन वार्ड। चार्ल्स की एक चैरिटी है- प्रिंस ऑफ वेल्स चैरिटेबल फंड। उनके ऑर्गेनाइजेशन पर आरोप है कि वो पैसा लेकर सम्मान दिलाने के गोरखधंधे में शामिल है। यह मामला पिछले साल चर्चा में आया। ब्रिटेन के दो अखबारों ‘द संडे टाइम्स’ और ‘द डेली मेल’ ने खुलासा किया कि प्रिंस चार्ल्स की संस्था दूसरे देशों के अमीरों से पैसे लेकर उन्हें नाइटहुड और सिटिजनशिप यानी नागरिकता दिलाने में शामिल है। सबूत के तौर पर सऊदी अरब के एक नागरिक के दस्तावेज पेश किए गए। इन्हीं आरोपों के चलते प्रिंस की संस्था के एक बड़े ओहदेदार को इस्तीफा देना पड़ा था। चार्ल्स पर यह भी आरोप है कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन के परिवार से 2013 में दान स्वीकार किया था। प्रिंस चार्ल्स ने अल कायदा संस्थापक के सौतेले भाई शेख बकर और शफीक बिन लादेन से लंदन में मुलाकात की थी और 10 लाख पाउंड लिया था। पैराडाइज पेपर्स के डॉक्यूमेंट में यह बात सामने आई थी कि चार्ल्स ने अपने पैसे सीक्रेट तौर पर ऑफशोर कंपनी में लगाए थे। यह कंपनी क्लाइमेट चेंज पर काम करती है। 80 के दशक में पद्मिनी का नाम प्रिंस चार्ल्स के साथ जोड़ा गया। 1980 में प्रिंस चार्ल्स भारत दौरे पर थे। एक इवेंट के दौरान पद्मिनी को प्रिंस चार्ल्स को फूलों की माला पहनानी थी। पद्मिनी ने प्रिंस का वेलकम किया और साथ ही बिना परवाह किए उन्हें किस भी कर लिया था। उस समय पद्मिनी सिर्फ 15 साल की थीं। प्रिंस उनसे दोगुनी उम्र के थे। जब पद्मिनी ने ऐसा किया तो प्रिंस भी हैरानी में पड़ गए। आज भी ये किस का किस्सा विवादित माना जाता है।
क्यों नहीं रहना चाहते शाही महल में चार्ल्स
हाल ही में द संडे टाइम्स’ ने शाही परिवार के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा है कि वेल्स के प्रिंस किंग बनने पर लंदन के ऐतिहासिक शाही घर को छोड़ देना चाहते हैं। दरअसल, उन्हें 775 कमरों के इस महल में रहना आधुनिक जीवन के हिसाब से ठीक नहीं लग रहा है। बकिंघम पैलेस सन् 1837 से ही ब्रिटिश राजघराने का आधिकारिक घर है। पहली बार क्वीन विक्टोरिया यहां रहने आईं थीं। इसका असली नाम बकिंघम हाउस था और इसे 1703 ई. में बनवाया गया था। 1761 ई. में किंग जॉर्ज तृतीय ने इस पर अधिकार बना लिया था।
कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर को अक्सर दुनिया के सबसे कीमती हीरे के रूप में जाना जाता है, जिसका वजन 105.6 कैरेट है. हीरा भारत में 14वीं सदी में मिला था. जहां तक कोहिनूर हीरे के इतिहास की बात है यह कीमती हीरा आंध्र प्रदेश के गुंटूर में काकतीय राजवंश के शासनकाल में मिला था. वारंगल में एक हिंदू मंदिर में इसे देवता की एक आंख के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद मलिक काफूर (अलाउद्दीन खिलजी का जनरल) ने इसे लूट लिया था. मुगल साम्राज्य के कई शासकों को सौंपे जाने के बाद, सिख महाराजा रणजीत सिंह लाहौर में इसे अपने अधिकार में ले लिया और पंजाब आ गए. महाराज रणजीत सिंह के बेटे दिलीप सिंह के शासन के दौरान पंजाब के कब्जे के बाद 1849 में महारानी विक्टोरिया को हीरा दिया गया था. कोहिनूर वर्तमान में ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में स्थापित है, जो टॉवर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में संग्रहीत है और जनता इसे देख सकती है। क्या कभी भारत को उसका ये कोहिनूर वापस मिलेगा ? ये सवाल करोडो भारतीयो के दिलो में है।
प्रधानमंत्री नरदेर मोदी ने किया दुख व्यक्त
भारत में 11 सितंबर को राजकीय शोक घोषित किया गया है. इससे पहले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर शोक जताया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें हमारे समय की दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने अपने देश और लोगों को प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया. उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया है. “महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा… उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया. उनके निधन से आहत हूं. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं.”
एडिटर इन चीफ