मनीष सिसोदिया की भूमिका नहीं तो आरोपी क्यों? मनी ट्रेल पर सुप्रीम कोर्ट का प्रवर्तन निदेशालय से बड़ा सवाल – डिजायर न्यूज़
मनीष सिसोदिया की भूमिका नहीं तो आरोपी क्यों? मनी ट्रेल पर सुप्रीम कोर्ट का प्रवर्तन निदेशालय से बड़ा सवाल – डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – हर इंसान को एक आशा होती है कि सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत मिल सकती है, पर कई दफा एक की राहत औरो के लिए मुशीबत भी बन जाती है। शराब घोटाला केस में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन सुनवाई में ईडी से पूछा था कि आखिर आप को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है. इसपर ईडी कानूनी एक्सपर्ट की राय ले रही है. इसके बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी की भी जांच हो सकती है. अगर आप पार्टी को आरोपी बनाया जाता है तो आने वाले समय मे सभी पार्टी जो भी चंदा लेती है वो इस दायरे में आ सकती है और उनके पदाधिकारी भी आरोपी बन सकते है। बड़ी बड़ी पार्टियों में तो करोडो रुपये चंदा आता ही है। सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना ने ये भी क्लियर किया है कि कोर्ट ने सवाल पूछा है अटॉर्नी जरनल से , उन्होने आप को पार्टी बनाने के लिए नहीं कहा है। उन्होंने ये भी कहा की मीडिया में अगर कोई अफ़वा है भी तो कोर्ट को उस से कोई फरक नहीं पड़ता।
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय से मनी लॉन्ड्रिंग केस के आधार से जुड़ा सवाल किया। अदालत ने कहा कि ईडी का पूरा मामला यह है कि रकम एक राजनीतिक दल को गई। SC ने पूछा कि ‘इसके बावजूद आपने उस राजनीतिक दल को आरोपी नहीं बनाया है। इसका जवाब क्या देंगे? वह (सिसोदिया) लाभार्थी नहीं हैं, राजनीतिक दल लाभार्थी है।’ ईडी की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वे गुरुवार को जवाब देंगे। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, अभी मनीष सिसोदिया की बैल मैटर पेंडिंग है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से बड़ा सवाल पूछा कि, अगर मनी ट्रेल में मनीष सिसोदिया की भूमिका नहीं है तो मनी लॉन्ड्रिंग में सिसोदिया आरोपियों में शामिल क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, मनी लॉन्ड्रिंग अलग से कानून है. आपको साबित करना होगा कि सिसोदिया केस प्रापर्टी में शामिल रहे हैं. सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, सीबीआई चार्जशीट में आप कहते हैं कि 100 करोड़ दिए गए. ED ने इसे 33 करोड़ रुपये बताया है. यह रुपये कहां और किस तरीके से दिए गए? यह चेन साबित करनी होगी. आपके पास दिनेश अरोड़ा के बयानों के अलावा शायद ही कुछ है. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, पैसा किसी और को मिला, उसका इस्तेमाल भी किसी दूसरे ने किया, सिसोदिया के पास कभी पैसा नहीं आया. ED की ओर से ASG राजू ने कहा कि, वे पॉलिसी बनाने में शामिल थे, इसलिए वे इस केस में आरोपी हैं.
दिल्ली शराब घोटाला केस में ईडी की जांच अब राज्यसभा सांसद संजय सिंह के दरवाजे तक जा पहुंची है. बीते दिन एजेंसी ने घंटों उनसे पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. कल की सुनवाई में बेंच ने पूछा था कि आखिर आम आदमी पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है? इसपर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए जिम्मेदार एजेंसी ने कानूनी एक्सपर्ट की राय लेना शुरू कर दी है. जो भी हो, आप जवाब दीजिए। मैंने सिर्फ सवाल पूछा है। यह वो पॉइंट नहीं जो उन्होंने (अभिषेक मनु सिंघवी, सिसोदिया के वकील) सीधे तौर पर उठाया हो।’ जमानत याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
बुधवार को सिसोदिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, ED ने आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के परिसरों पर छापेमारी की। यह छापेमारी दिल्ली की पिछली आबकारी नीति के सिलसिले में थी। इसी मामले में सिसोदिया जेल में बंद हैं।
इससे पहले, सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को दोनों पक्षों के वकीलों के संयुक्त अनुरोध के बाद सुनवाई 4 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर थी। सिसोदिया फरवरी से जेल में हैं। अभी लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट से मनीष सिसोदिया को कोई राहत नहीं मिली है , अब सुप्रीम कोर्ट से उन्हे राहत की उम्मीद है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने आम आदमी पार्टी की मुश्कीले और बड़ा दी है। अगर आप को पार्टी बनाया जाता है तो उसके पदाधिकारियो पर भी आंच आएगी।
दिल्ली आबकारी नीति मामला: दो आरोपी बने अप्रूवर
इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे राघव मगुंटा और व्यवसायी दिनेश अरोड़ा को घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी। अरोड़ा और राघव मगुंटा दोनों को ईडी ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल जमानत पर हैं।
सीबीआई ने मामले में 15 लोगों और अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया। सीबीआई की FIR में शामिल आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं: मनीष सिसोदिया ,अरवा गोपी कृष्णा ,आनंद तिवारी पंकज भटनागर , विजय नायर , मनोज राय ,अमनदीप धल , समीर महेंद्रू ,अमित अरोड़ा , बडी रिटेल प्राइवेअ लिमिटेड , दिनेश अरोड़ा , महादेव लिकर्स , सनी मारवाह ,अरुण रामचंद्र पिल्लई ,अर्जुन पांडेय और अज्ञात सरकारी कर्मचारी और प्राइवेट पर्सन को अभी तक पार्टी बनाया गया है , जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है कुछ लोग और ई डी के दायरे में आ रहे है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ईडी से प्रतिशोध की कार्रवाई वाले आचरण की उम्मीद नहीं की जाती है. उसे अत्यधिक ईमानदार और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए. कोर्ट ने निर्देश दिया कि धनशोधन रोधी एजेंसी को अब से बिना किसी अपवाद के आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में प्रस्तुत करना होगा. दूरगामी प्रभाव वाले एक महत्वपूर्ण फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आर्थिक अपराध को रोकने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाली एक प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते ईडी की हर कार्रवाई के पारदर्शी और निष्पक्ष होने की उम्मीद की जाती है. ये टिपणी सुप्रीम कोर्ट ने ऍम 3 ऍम बिल्डर के केस में कही है जिसमे बसंत मित्तल और पकज मित्तल को तुरंत रिहा करने के भी आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना ने ये भी क्लियर किया है कि कोर्ट ने सवाल पूछा है अटॉर्नी जरनल से , उन्होने आप को पार्टी बनाने के लिए नहीं कहा है। उन्होंने ये भी कहा की मीडिया में अगर कोई अफ़वा है भी तो कोर्ट को उस से कोई फरक नहीं पड़ता।
एडिशनल सॉलिसिटिर जनरल एसवी राजू से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि लिकर ग्रुप की इस बातचीत में मनीष सिसोदिया को नहीं है? आप उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कैसे लाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया के पास सीधे पैसे नहीं आए। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अलग है। इसपर एसएसजी ने कहा कि सिसोदिया के पास 2.2 करोड़ आए। इस पर शीर्ष अदालत ने पूछा कि सबू कहां है? आपो घटनाक्रम साबित करना होगा। देखने पर तो लगता है कि मनीष सिसोदिया इसमें शामिल नहीं लगते। उनको तो पैसे मिले नहीं। सिसोदिया के पास पैसे कैसे आए? कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या पॉलिसी कॉपी या साझा करने का डेटा है?
जस्टिस संजीव खन्ना ने आगे कहा कि शराब समूह या नायर में से किसी ने भी दी हुई तारीख तक मनीष सिसोदिया से मुलाकात नहीं की। GoM दस्तावेज एक दिन पहले तैयार किया गया था। संजीव खन्ना ने आगे कहा कि कृपया IO से निर्देश लें कि क्या मंत्रिपरिषद के बीच प्रसारित दस्तावेज लैपटॉप जिनकी सॉफ्ट कॉपी कथित रूप से साझा की गई थीं में पाए गए दस्तावेज़ के समान ही था। इसपर ASG ने कहा कि पहले था कि 5% (शुल्क) न्यूनतम था और 12% अधिकतम था। कोई भी इसे 5 से अधिक नहीं रखेगा, इसलिए इसे सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने इसे कुछ को लाभ पहुंचाने के लिए 12% पर तय किया। इसके बाद एएसजी ने कुछ चैट्स भी दिखाईं।
सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ