ईरान की जेल में बंद इस महिला को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, जानिए कौन हैं नरगिस मोहम्मदी- डिजायर न्यूज़

ईरान की जेल में बंद इस महिला को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, जानिए कौन हैं नरगिस मोहम्मदी- डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार (6 अक्टूबर 2023) को की गई. इस बार यह पुरस्कार ईरान की महिला पत्रकार और एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है. नोबेल की कमेटी ने माना है कि नरगिस मोहम्मदी ने महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाई है. उन्होंने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लंबे समय तक लड़ाई लड़ी है. दशकों को जेल में रहकर महिलाओ के हक़ की लड़ाई लड़ना , बच्चो से दूर रहना सिर्फ एक समाज की कुछ बुराइयों को खत्म करने के लिए , इस जज़ज्बे के लिए जितने पुरस्कार दिए जाए वो कम है।

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नोबेल पुरस्कारहर वर्ष रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस, द स्वीडिश एकेडमी, दकारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, एवं द नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी द्वारा उन लोगों और संस्थाओं को प्रदान की जाती है जिन्होंनेरसायनशास्त्र, भौतिकीशास्त्र, साहित्य, शांति, एवं औषधीविज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया हो. प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा, एक मोनेटरी एवार्ड प्रदान की जाती है. पुरस्कार Stockholm में 10 दिसंबर को आयोजित एक समारोह में प्रदान किया जाता है. 10 दिसंबर को ही अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था.वर्ष 2008 तक 789 लोगों और 20 संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है, इसमें 62 अर्थशास्त्र में पुरस्कार पाने वाले भी शामिल हैं।

कौन हैं ईरान की नरगिस मोहम्‍मदी ?

नरगिस मोहम्मदी का जन्म ईरान के जंजन शहर में 21 अप्रैल 1972 में हुआ था. फिजिक्स की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंजीनियर और तौर पर काम किया. वह लम्बे समय से महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रही हैं. 2003 में उन्होंने तेहरान के डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर में काम शुरू किया. वह डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उप प्रमुख हैं. यह एक गैर सरकारी संगठन है, जिसे शिरिन एबादी ने बनाया था. जिन्हें 2003 में नोबेल शांति पुरस्‍कार मिल चुका है. नरगिस मोहम्मदी को जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता करने का कोशिश करने के आरोप में पहली बार 2011 में जेल हुई थी. नोबेल प्राइज की वेबसाइट के मुताबिक, नरगिस मोहम्मदी ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (DHRC) की उपाध्यक्ष हैं.

ईरान में महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाने वाली नरगिस मोहम्मदी को बहादुरी भरे संघर्ष के लिए भारी व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़ी है. उन्हें अब तक ईरान में 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है, फिलहाल वह जेल में बंद हैं. उन्हें पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है और उन्हें 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई है. पढ़ाई पूरी करने के बाद नरगिस मोहम्‍मदी ने इंजीनियर के तौर पर काम किया. इसके साथ साथ वह कॉलमनिस्ट भी रहीं. उन्होंने कई अखबारों के लिए लिखने का काम किया.1990 के दशक से ही नरगिस महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रही थीं.

एक्टिविस्ट-नरगिस-मोहम्मदी-Dzire-News
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किताब के लिए मिल चुका है पुरस्कार

उन्होंने ईरान में सामाजिक सुधारों के लिए बहस करते हुए कई लेख लिखे हैं. नरगिस ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम व्हाइट टॉर्चर है. उनकी किताब ‘व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स’ ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के लिए एक पुरस्कार भी जीता. मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं और 2003 में शिरीन एबादी के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं. बता दें कि 122 साल के इतिहास में यह पांचवीं बार है , जब शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या फिर घर में नजरबंद है.

8 साल से अपने बच्चों से नहीं मिली नर्गेस

ईरान ने उनको सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. एक इंटरव्यू में नरगिस बता चुकी हैं कि वे लंबे समय से अपने परिवार के कई सदस्यों से नहीं मिली है. हैरान करने वाली बात ये है कि उन्होंने 8 साल से अपने बच्चों को देखा तक नहीं है. उन्होंने आखिरी बार अपनी जुड़वां बेटियों अली और कियाना की आवाज एक साल पहले सुनी थी. नरगिस दोनों बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं.

नर्गेस के पति भी हैं एक्टिविस्ट

नरगिस मोहम्मदी के पति तागी भी एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं. जिन्हें ईरान की सरकार ने 14 साल जेल की सजा दी थी. बताते चलें कि नरगिस मोहम्मदी ईरान में मृत्यु दंड को खत्म करने और कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वकील और पैरोकार भी रही हैं. नरगिस ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम व्हाइट टॉर्चर है। ईरानी हुकूमत की तमाम कोशिशों के बावजूद, मोहम्मदी की आवाज दबाई नहीं जा सकी। जेल में रहते हुए उन्होंने साथी कैदियों की तकलीफ को दर्ज करना शुरू किया। आखिरकार कैदियों से बातचीत के पूरे ब्योरे को उन्होंने व्हाइट टॉर्चर किताब में उतार दिया। 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के साहस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

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भारत से इन लोगों को मिला है नोबेल पुरस्कार
भारत के लोग अलग-अलग वर्ग में कुल 10 नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं. लिस्ट में सबसे पहले रविंद्र नाथ टौगोर को साहित्य के लिए यह पुरस्कार मिला था. आगे बताएं तो विज्ञान के लिए सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को भी यह पुरस्कार मिल चुका है. उसके बाद इलेक्ट्रॉन पर काम करने वाले हर गोबिंद खुराना को, मानव सेवा के लिए मदर टेरेसा, फिजिक्स के लिए सुब्रमण्यन चंद्रशेखर, अर्थशास्त्र के लिए अमर्त्य सेन, सर विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल, रसायन विज्ञान के लिए ​वेंकटरमण रामकृष्णन, ​मजदूरों के बच्चों को शिक्षा के लिए कैलाश सत्यार्थी को और गरीबी हटाने के लिए अभिजीत विनायक बनर्जी को यह पुरस्कार मिल चुका है.

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

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