वर्तमान में भारतीय राजनीति और प्रथम राष्ट्रीय दल  कांग्रेस के परिदृश्य की समीक्षा:- डिजायर न्यूज़ 

A review of the present scenario of Indian politics and the first national party, Congress

वर्तमान में भारतीय राजनीति और प्रथम राष्ट्रीय दल  कांग्रेस के परिदृश्य की समीक्षा:- डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली– भारतीय राजनीति के इतिहास को देखें तो इसके मंच पर न जाने क्या-क्या नज़ारे दिखाए गए हैं लेकिन उस मंच पर एक सफ़ल किरदार के रूप में वही उभरा है जिसने धैर्य और मेहनत के साथ बड़ी शिद्दत से वास्तविकता में किरदार निभाने का परिचय दिया है। वर्तमान राजनीति में भी काफ़ी बदलाव हुए और राजनीतिक आयाम भी बदले हैं। देश को स्वतंत्र कराने के लिए बनाई गई पहली राजनितिक दल कांग्रेस में सन 1885 से लेकर 2023 के 138 सालों के इतिहास में कई सारे आयामों को देश ने देखा है। वर्तमान में इसके स्थिति, इसमें हुए बदलाव और इसके प्रति लोगों के नज़रिए को लेकर एक सामान्य समीक्षा आपके सामने प्रस्तुत की गई है, जो बिन्दुवत है –
 राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द के रूप में दण्ड का प्रावधान व विवरण-
 गुजरात के पूर्व मन्त्री और पश्चिमी सूरत से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर मामला राहुल गांधी के एक चुनावी जनसभा से सम्बन्धित है।
  13 अप्रैल, 2019 को राहुल गान्धी द्वारा कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव रैली में एक टिप्पणी करते हुए कहा गया कि , “इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी-मोदी कैसे है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेन्द्र मोदी और अभी थोड़ा ढूण्ढेंगे तो और बहुत सारे मोदी निकलेंगे”।   दण्डादेश के पश्चात् राहुल गान्धी ने ट्विटर पर पोस्ट किया। और उन्होंने लिखा, “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  24 मार्च 2023 को गुजरात की अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने और उन्हें दो वर्ष कैद की सज़ा सुनाए जाने की वजह से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के तहत उनकी संसद की सदस्यता खत्म कर दी गई। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दिया। खैर, संविधान की समझ रखने वाले समझ सकते हैं कि देश की मुख्य न्यायपालिका ने अगर सदस्यता बहाल किया है तो तार्किक होगा। ये अलग विवाद का मुद्दा है कि मानहानि की ये याचिका इतने वर्ष पश्चात् क्यों?
Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra- Dzire News
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2. भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी –
राहुल गाँधी के प्रति भारतीय जनमानस के बीच एक ही मत था कि वो सोने की चमच्च लेकर पैदा हुआ है अर्थात एक बड़े राजघराने में जन्म लेने वाला इतनी लंबी यात्रा कर ही नहीं सकता और दो चार दिन में वापस दिल्ली लौट आएगा।सत्ता पक्ष ( बीजेपी ) ने  इसे बिलकुल गम्भीरता से नहीं लिया और धीरे- धीरे एक जन सैलाब बनता चला गया , लोग जुड़ते गए और पूरी यात्रा के दौरान राहुल गाँधी लोगों से मिलकर उनकी समस्यायों को सुनते गए। कभी कांग्रेस ने खुद भी नहीं सोचा होगा कि एक यात्रा इतनी बड़ी भारतीय जन सैलाब को समेटकर वर्तमान राजनीतिक आयाम को बदलकर रख देगी । भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक जन आंदोलन है, जिसे सफ़ल बनाने की शक्ति मात्र महात्मा गांधी में थी, जो भारतीय राजनीति के इतिहास के मंच पर एक सफ़ल नाटककार थे। इस भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना है। इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन  द्वारा 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी में लॉन्च किया गया था।  इसे मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, राजनीतिक केंद्रीकरण और विशेष रूप से “भय व कट्टरता की राजनीति और नफरत” के खिलाफ लड़ने के लिए बनाया गया था। राहुल गांधी पार्टी कैडर और जनता को भारत के दक्षिण से लेकर उत्तर अर्थात कन्याकुमारी से लेकर जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश तक चलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे, जो लगभग 136 दिनों में 4,080 किलोमीटर (2,540 मील) की यात्रा थी।
यात्रा पूरी करने के बाद राहुल गाँधी ने सीधा उन लोगो के करीब जाना शुरू कर दिया , जो वास्तव में देश की राजनीति को तय करते हैं और इस देश की बहुसंख्यक आबादी के रूप में देश के आधारशिला को सशक्त बनाते हैं अर्थात्  किसान, मजदूर , महिलाएं , जनजाति, ट्रक ड्राइवर , सब्जीमंडी , मोटर मैकेनिक ,डेलिवेरी बॉयज और आम नागरिक। वास्तविकता को जानने के लिए राहुल गाँधी ने महात्मा गाँधी का रास्ता चुना। जितना वो आम जनता के बीच गए उतना ही मीडिया और सोशल मीडिया पर उनकी सादगी लोगो को समझ आने लगी। जो छवि जनता के बीच पहले थी , उसे खुद जनता ने ही बदला।
Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra- Dzire News
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3. अहम् मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना –
 सत्ता पक्ष के तथाकथित बयान के अनुसार भ्रष्ट्राचार का मुख्य केंद्र  पहले नेहरू परिवार रहा है किंतु अपने एक स्थाई शासन के दौरान भी सत्ता पक्ष किसी भी भ्रष्ट्राचार के मुद्दे पर नेहरू परिवार के किसी भी सदस्य को न्यायालय के कटघरे के सामने लाने में असफल रहा। किंतु वहीं सत्ता पक्ष के  भ्रष्ट्राचार के मुद्दे को राहुल गाँधी ने अपने हाथ में लेकर सत्ता पक्ष को ही कटघरे में खड़ा कर दिया , फिर चाहे अडानी का मुद्दा हो , चाइना का भारत के जमीन पर कब्ज़ा का मामला हो , किसानो के हक़ का मुद्दा हो , राहुल ने सीधा सत्ता पक्ष पर आरोपों की झड़ी लगा दी। आज बड़े से बड़े विपक्षी दल जो 10 सालो से कांग्रेस से दूरी बना रहे थे , अब एक होकर बीजेपी के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। सब को एक ही उम्मीद नज़र आती है, वो है राहुल गाँधी।  ये मेरे अपने विचार हो सकते है कि राहुल गाँधी अब महात्मा गाँधी की राह पर चल पड़े है , वो प्रधानमंत्री बने या ना बने ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा, किंतु ये वर्तमान ने तय कर दिया है कि 21वीं सदी के भारतीय राजनीति का इतिहास जब लिखा जायेगा, उसमें लोगो के दिलो पर राहुल गांधी जैसी नेता का नाम महात्मा गांधी जैसे प्रवर्तकों के साथ लिया जायेगा। कहते है नेता पर ही ताने मारे जाते है  लेकिन अगर तानो को ढाल बना कर नेता जनता को तैरना सीखा देता है तो जनता कभी नहीं डूबेगी और ऐसा ही तानों का हथियार आज के दौर में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बनाने का प्रयास किया है।हाल ही में जातीय जनगणना और ओ.बी.सी. की लड़ाई में राहुल गाँधी का राजनीतिक गलियारों में कद बढ़ेगा ही।
Bharat Jodo Yatra rahul Gandhi- Dzire News
Bharat Jodo Yatra rahul Gandhi- Dzire News
भाजपा ने राहुल और प्रियंका गांधी के रिश्ते पर तंज कसते हुए एक वीडियो जारी किया है। इसके कैप्शन में लिखा- “राहुल गांधी और प्रियंका का रिश्ता एक आम भाई-बहन जैसा नहीं है। प्रियंका , राहुल से तेज हैं, पर राहुल के इशारे पर ही पार्टी में नाच रही हैं, सोनिया गांधी भी पूरी तरह राहुल के साथ हैं। घमंडिया गठबंधन की मीटिंग से प्रियंका का गायब होना यूं ही नहीं है। बहन का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए किया जा रहा है। पार्टी में प्रियंका गांधी का इस्तेमाल केवल चुनाव प्रचार के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कर्नाटक-हिमाचल में 28 से ज्यादा रैलियां कीं। इसके बावजूद जीत का श्रेय राहुल को दे दिया जाता है, जबकि वो कांग्रेस पार्टी को 39 बार हरवा चुके हैं।”
हालांकि बिना वास्तविकता के तंज कसना बेबुनियाद बात है।
Jawahar Lal Nehru Indira Gandhi Rajiv Gandhi Rahul Gandhi kherge -Dzire news
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4.खड़गे और राहुल गांधी के बीच का समीकरण
भले ही खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, राहुल गांधी स्पष्ट रूप से इसका जन चेहरा हैं, खासकर भारत जोड़ो यात्रा के बाद।  वास्तव में, दोनों के बीच का यह विभाजन कम से कम अभी तो कांग्रेस की छवि को बेहतर कर रहा है। राहुल गांधी पार्टी कैडर और आधार को सक्रिय करने के लिए काम करते दिख रहे हैं, जबकि खड़गे पार्टी चला रहे हैं और संकट का प्रबंधन करते हैं। खड़गे को एक प्रभावी वक्ता के रूप में जाना जाता है,  वह भी कई भाषाओं में जैसे कन्नड़, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू और मराठी का ज्ञान है। खड़गे ने उन लोगों को निशाने पर लिया था, जिन्होंने उन्हें केवल ‘दलित नेता’ कहकर बुलाया था। खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ कई ऐसी पार्टियों के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाना संभव हुआ है जिनका इतिहास कांग्रेस विरोधी रहा है। कांग्रेस के कई अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि खड़गे की बड़ी तस्वीर देखने और छोटी प्रतिद्वंद्विता को भूलने वाली क्षमता पार्टी के लिए एक बड़ी पूंजी है।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
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