जेल क्यों नहीं है जुडीसरी के पास- हर जेल में हो एक जुडिशल ऑफिसर – डिजायर न्यूज़ , नई दिल्ली

जेल क्यों नहीं है जुडीसरी के पास- हर जेल में हो एक जुडिशल ऑफिसर

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट रूम में गोली मारकर हत्या के बाद ये चर्चा आम है कि अगर उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया जाता तो शायद यह वारदात नहीं होती।कुख्यात संजीव जीवा को गोलियों से भूनने वाले शूटर विजय यादव के तार नेपाल से जुड़ रहे हैं। वह कुछ दिन पहले नेपाल गया था। वहां एक बड़े माफिया के संपर्क में रहा। ये बात उसने पुलिस की बताई है। कहा है कि एक शख्स ने उसको जीवा की फोटो दिखाकर मारने की सुपारी दी। 20 लाख रुपये में डील हुई। हालांकि अभी सिर्फ पांच हजार व रिवॉल्वर दी थी। हेड कांस्टेबल सुनील दुबे, मो. खालिद, अनिल सिंह, सुनील श्रीवास्तव और कांस्टेबल निधि देवी व धर्मेंद्र को निलंबित कर दिया गया है । इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

एक बड़ा ही विचित्र  सा सवाल है या ये कहे की सालो से एक शब्द हम कानून में सुनते आ रहे है कि जब भी कोई मुल्ज़िम पकड़ा जाता है , तो पुलिस उसे गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश करती है, और अगर जरुरत हो तो उसकी पुलिस कस्टडी मांगती है कोर्ट कई दफा कस्टडी दे देती है और कई दफा सीधा मुल्ज़िम को जुडिशल कस्टडी में भेज देती है।  क्या कभी हमने सोचो है कि एक इंसान को गिरफ्तार पुलिस यानी एडमिनिस्ट्रेशन करता है और जुडिशल सिस्टम उसे फिर एडमिनिस्ट्रेशन के हाथो सौप देता है यानी जेल भेज देता है।  जेल को पूरी तरह एडमिनिस्ट्रेशन ही चलाता है और उसपर पूरा हक़ रहता है राजनीतिक यानी विधायिका का , हर राज्य में एक जेल मंत्री बना दिया जाता है जो वहाँ अपना इकतरफा राज चलाता है उसके अनेको उदाहरण है जैसे दिल्ली के जेल मंत्री सतेंदर जैन , उत्तर प्रदेश के राजा भैया , ये कभी जेल भी गए तो वहां सभी सुविधाएं इन्हे मिली या अपने रुतबे से हासिल की।  जेल का सारा स्टाफ इनके  इशारो पर काम करता है।

कार्यपालिका और  विधायिका ये दोनों ही एक तरह से पूरे सिस्टम पर कब्ज़ा किये हुए है। आज अगर किसी मुल्ज़िम को कोई भी सुविधा चाहिए या उसे जेल में किसी तरह  की सुविधा चाहिए या तो वो कोर्ट को अप्प्रोच करे या अगर उसे राजनीतिक संरक्षण है तो सभी सुविधाएं उसे जेल में ही मिल जाती है।  जुडिशल कस्टडी का मतलब अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है क्या ये सिर्फ कागज़ो में ही है , जब मुल्ज़िम को वापस कोर्ट के आदेश से  कार्यपालिका के पास भेज दिया तो  जुडिशल कस्टडी कहा रही ? शुरू में भी मुल्ज़िम पुलिस यानी  कार्यपालिका के  पास था और बाद में भी वो  कार्यपालिका के पास ही आ गया सिर्फ बीच में पेपर्स पर ही  हमारी न्यायपालिका का रोल रह जाता है ।

कहने को हमारे सविधान के चार स्तम्ब है न्यायपालिका ,कार्यपालिका ,विधायिका और  मिडिया. अगर न्यायपालिका हर जेल में अपने एक जज को रोटेशन से हर एक  जेल में  हर महीने एक जुडिशल ऑफिसर को  लगा दे. तो मुलजिमो को छोटे छोटे मामलो में जेल से कोर्ट लाने ले जाने पर होने वाले लाखो रूपये के खर्च को कम  किया जा सकता है, और सुरक्षा का खतरा भी कम हो सकता है। साथ साथ कार्यपालिका और विधायिका की मनमानी भी किसी हद तक कम होने के आसार नज़र आएंगे।  टी आई पी के लिए भी जुडिशल ऑफिसर वैसे भी जेल में जाते है अगर एक रोटेशन में जुडिशल ऑफिसर अगर हर जेल में लगा दिया जाए तो सुकेश और सतिंदर जैन जैसे अनेको मामले सुधर सकते है।  साथ साथ जो मुल्ज़िम सजा काट चुके है उन्हे भी बाहर आसानी से निकाला जा सकता है।

डिजायर न्यूज़ भारत सरकार और भारत के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह करना चाहता है कि जेलों में बंद ऐसे मुल्ज़िम जिनकी सजा पूरी हो चुकी है उनपर सरकार क्यों करोडो रूपये  खर्च कर रही है।  उन्हे वहां सभी सुविधाएं मिली हुई है आखिर क्यों ? न्यायपालिका को इसपर आगे आकर काम करना चाहिए। जैलो की दशा को सुधारने के लिए सब से जरुरी है मुल्ज़िम को उसकी सजा पूरी होते है रिहा करना चाहिए और ये तभी संभव है कि कोर्ट मामले की सुनवाई जल्द से जल्द करे।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में समापन भाषण दिया। इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हम आज उस संविधान को अपनाने का स्मरण कर रहे हैं, जिसने न केवल दशकों से गणतंत्र की यात्रा को निर्देशित किया है, बल्कि कई अन्य राष्ट्रों को अपने संविधानों के प्रारूपण में भी प्रेरित किया है। राष्ट्रपति ने झारखंड के राज्यपाल के रूप में जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या की समस्याओं को दूर करने के अपने अनुभव के बारे में तत्काल टिप्पणी की। उन्होंने ओडिशा में राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि मुकदमेबाजी की अत्यधिक लागत न्याय प्रदान करने में एक बड़ी बाधा थी। न्याय के त्वरित वितरण के उदाहरणों की सराहना करते हुए, उन्होंने कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका से लोगों की दुर्दशा को कम करने के लिए एक प्रभावी विवाद समाधान तंत्र विकसित करने का आग्रह किया।

अगर देश की सभी जेल पर जुडिशल सिस्टम लागू होगा तो कर्रप्शन पर भी लगाम लगेगी आज के दौर में जिस तरह की जैलो से विडिओ बाहर आ रही है और मुल्ज़िम जिन सुविधाओं का फायदा उठा रहे है वो सुविधाएं एक आम नागरिक को भी नहीं है। बड़े बड़े गैंगस्टर सब अपना धंधा जैलो से ही चला रहे है। बाहर उन्हे अपनी सुरक्षा का खतरा है , और जेल में सुरक्षा से लेकर खाना पीना रहना सब फ्री है। सुकेश चंदरशेखर , राजा भैया , अतीक अहमद के मामलो  ने ये साबित कर दिया है कि भ्रस्ट्राचार जैलो में चरम पर है।

कोर्ट में मुल्ज़िम को बिना वजह पेश करना , सुरक्षा के लिहाज़ से आज के दौर में सब से बड़ी समशा बन गई है , बड़े मुल्ज़िमों को जेल से कोर्ट लाना आजकल आम लोगो के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। कोर्ट भी सुरक्षित नहीं है। जैलो  के अंदर खूनी खेल चल रहा है। छोटे अपराधियों को जिनकी सजा पूरी हो चुकी है जल्द से जल्द बाहर निकाल कर ,जैलो को खाली किया जाए। एक एक जेल में चार चार गुना से अधिक कैदी भरे पड़े है , वहाँ फ्री का खाना पीना रहना सब सुविधाएं उन्हे सरकार देती है। अगर हर जेल में एक जुडिशल ऑफिसर होगा तो जैलो में सुधार की संभावना अधिक होगी। अभी जैलो पर पूरा राजनीतिक लोगो का प्रभाव है , जिसे कम  करना जरुरी है।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
09-06-2023 02:01 PM
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