42 साल बाद सब से बड़ा रेल हादसा -बालासोर-ओड़िशा डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली

42 साल बाद सब से बड़ा रेल हादसा -बालासोर-ओड़िशा

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली- ये सवाल सबके जेहन में जरूर होगा है कि आखिर तीन रेलगाड़ियां एक-दूसरे से कैसे टकरा गईं ? क्या इस भीषण हादसे को रोका जा सकता था? इसके पीछे किसी की लापरवाही है या नहीं। अब तस्वीर कुछ साफ हो रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ओडिशा के बालासोर के पास हुए ट्रेन हादसे का कारण पता चल गया है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में आई गड़बड़ी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने की वजह से हुए हादसे में अब तक 233 लोगों की जान जाने की खबर है। वहीं, करीब 900 लोग घायल हैं। इस घटना के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से लेकर सुरक्षाबलों के कई जवानों को भी राहत-बचाव कार्यों में लगा दिया गया है। प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक, शनिवार सुबह भी घटनास्थल से शवों को निकालने का काम जारी रहा। इस हादसे को लेकर ओडिशा सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को ही ओडिशा में घटनास्थल का दौरा कर उन्होंने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए उनके साथ रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी भी घटना स्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य का निरीक्षण किया ,और फिर वो घायलों को देखने अस्पताल भी गए और लोगो से बात की. उन्हे नई वन्दे भारत ट्रैन को हरी झंडी दिखानी थी पर उस कार्यकर्म को रद्द कर दिया गया। 42 साल बाद से सब से बड़ा रेल हादसा है। हर बड़े रेल हादसे के बाद कुछ समय तक हमे याद रहता है फिर हम भूल जाते है। इस हादसे के कई घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक कई लोगों को यह साफ नहीं है कि आखिर तीन ट्रेनें आपस में टकराईं कैसे? हादसे में घायल कई लोगों ने दुर्घटना को लेकर अलग-अलग वर्जन भी दिए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस ट्रेन दुर्घटना का पूरा घटनाक्रम क्या रहा.

कैसे हुई ट्रेन दुर्घटना

दुर्घटना से पहले शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई की ओर जा रही थी। यह ट्रेन ट्रैक से उतरकर दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरियों पर ही पलट गए। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस बगल वाले ट्रैक से हावड़ा की ओर जा रही थी। इसी दौरान उसकी टक्कर ट्रैक पर पलटे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से हो गई। इस टकराव के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे भी पटरी से उतर गए। बताया जाता है कि यह हादसा बालासोर जिले के बहंगा बाजार स्टेशन पर हुआ, जो कि कोलकाता से दक्षिण में 250 किलोमीटर और भुवनेश्वर से उत्तर में 170 किलोमीटर पर स्थित है। अधिकारियों के मुताबिक, कोरोमंडल के डिब्बे शाम करीब 6.55 बजे पटरी से उतर गए, वहीं दूसरी ओर से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के डिब्बे 7 बजे पटरी से उतर गए। हादसा इतना भीषण था कि चारो और कोहराम मच गया स्थानीय लोग बचाव में लग गए और मौतों का तो जैसे अंबार लग गया हो। सभी हॉस्पिटल के अंदर इमर्जेन्सी की सुचना दी गई।  मंज़र इतना भयानक था की लाशों को ट्रेक्टर और टैम्पो में डाल कर हॉस्पिटल ले जाया गया और भयानक इस लिए भी था कि उन्हे कफ़न तक नहीं मिले।

1947 की आजादी के बाद से अब तक के बड़े रेल दुर्घटनाओं
छह जून, 1981 को देश में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना हुई थी। इस तारीख को बिहार में पुल पार करते समय एक ट्रेन बागमती नदी में गिर गई थी, जिसमें 750 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। 20 अगस्त, 1995 को फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस घटना में 305 लोगों की मौत हुई थी।26 नवंबर, 1998 को जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब के खन्ना में फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकरा गई थी, जिसमें 212 लोगों की मौत हो गई थी।दो अगस्त, 1999 को गैसल ट्रेन दुर्घटना हुई थी, इस हादसे में ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस दुर्घटना में 285 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हो गए। पीड़ितों में सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान शामिल थे।20 नवंबर, 2016 को पुखरायां ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 152 लोगों की मौत हो गई थी और 260 घायल हो गए थे। 9 सितंबर, 2002 को रफीगंज ट्रेन हादसा- हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस रफीगंज में धावे नदी पर एक पुल के ऊपर पटरी से उतर गई थी, जिसमें 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई।23 दिसंबर, 1964 को पंबन-धनुस्कोडि पैसेंजर ट्रेन रामेश्वरम चक्रवात का शिकार हो गई थी, जिससे ट्रेन मे सवार 126 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई।28 मई, 2010 को जनेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी। मुंबई जाने वाली ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और फिर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे 148 यात्रियों की मौत हो गई थी।

ओडिशा ट्रेन हादसे के मुख्‍य कारण आये सामने

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने ट्रेन हादसे की जांच पूरी कर ली है। मूल कारण की पहचान कर ली गई है। उन्‍होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह दुर्घटना हुई है। रेल मंत्री ने कहा कि जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है। वैष्णव शनिवार से ही दुर्घटनास्‍थल पर मौजूद हैं। उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी बालासोर में डटे हुए हैं। डिजायर न्यूज़ के सूत्रों के हवाले से जल्द ही पटरियों को ठीक करके  दोबरा आवाजाही सुरु हो जायगी।

स्टाफ की कमी साल 2020 में नेशनल ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तौर पर कवच टेक्नोलॉजी की चर्चा शुरू हुई थी. इस कवच सिस्टम को RDSO के द्वारा तैयार किया गया था. साल 2022 से रेलवे में इसका औपचारिक तौर पर प्रयोग शुरू कर दिया गया था. इस सिस्टम के आने के बाद ट्रेन रूट पर इसे भारत का कवच कहा जाता था. केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी. केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के द्वारा यह बताया गया था की यह कवच टेक्नोलॉजी एक SIL -4 प्रमाणित टेक्नोलॉजी है. यह एक सेफ्टी का बेहद उच्च स्तरीय का टेक्नोलॉजी वाला सिस्टम है. साथ साथ अभी भी लाखो रिक्तियां रेलवे में सालो से पड़ी हुई है एक चालक से 12 घण्टे से अधिक काम लिया जाता है। सभी मरने वालो के परिवार को आर्थिक धन राशि की घोषणा भी सरकार ने की है और घायलों को सही उपचार मिले इस की भी पूरी कोशिश की जा रही है।  स्थानीय लोगो ने मदद के साथ साथ रक्तदान भी किया है ताकि उपचार में कोई कमी ना आये।

डिजायर न्यूज़ जिन लोगो ने अपनी जान गवा दी उनके परिवारों को सवेंदना प्रकट करता है और घायल जल जल्द सवस्थ होकर अपने परिवार के पास जाये इसकी कामना करता है। सदी का ये भयानक हादसा फिर कभी ना हो इस के लिए सरकार जल्दी से जल्दी सुरक्षा के कड़े कदम उठाए ऐसी आशा करता है।

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ
04-06-2023 03:31 PM
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