खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं -महात्मा गांधी- डिजायर न्यूज़
खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं -महात्मा गांधी- डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – 2 अक्टूबर देश के लिए एक बड़ा ही शुभ दिन होता है इस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म दिन और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिन आता है। आज डिजायर न्यूज़ देश के दोनों कोहिनूर के कहे कुछ शब्द आप के सामने लेकर आया है , इन शब्दों से श्याद आने वाली हमारी पीढ़ी को एक नई दिशा मिले। महात्मा गांधी ने कहा है – एक विनम्र तरीके से आप दुनिया को हिला सकते हैं, खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो , आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी , शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है, यह एक अदम्य इच्छा शक्ति से आती है, जब भी आपका किसी विरोधी से सामना हो तो उसे प्यार से जीतने का प्रयास करें , पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हंसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे , उस स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं यदि उसमें आपको गलती करने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है , आप तब तक किसी का महत्व नहीं समझते जब तक आप उन्हें खो नहीं देते और आपको इंसानियत में विश्वास नहीं खोना चाहिए, मानवता सागर के समान है यदि सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता। अगर हम इन बातो पर ध्यान देते है बापू के बनाये रास्ते पर चलते तो दुनिया की कोई ताक़त आप की सफ़लता को रोक नहीं सकती।
लाल बहादुर शास्त्री
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं। 1927 में उनकी शादी हो गई। उनकी पत्नी ललिता देवी मिर्जापुर से थीं जो उनके अपने शहर के पास ही था। उनकी शादी सभी तरह से पारंपरिक थी। दहेज के नाम पर एक चरखा एवं हाथ से बुने हुए कुछ मीटर कपड़े थे। वे दहेज के रूप में इससे ज्यादा कुछ और नहीं चाहते थे। 1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ते हुए दांडी यात्रा की। इस प्रतीकात्मक सन्देश ने पूरे देश में एक तरह की क्रांति ला दी। लाल बहादुर शास्त्री विह्वल ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता के इस संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया एवं कुल सात वर्षों तक ब्रिटिश जेलों में रहे। आजादी के इस संघर्ष ने उन्हें पूर्णतः परिपक्व बना दिया।
विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। शास्त्री जी के प्रमुख नारा जय जवान जय किसान था। लाल बहादुर शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था, और उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को तबीयत के बिगड़ने पर हुई थी। शास्त्री जी ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत-पाक युद्ध का नेतृत्व किया था। शास्त्री का नेतृत्व मूल्यों और नैतिकता से परिपूर्ण था। शास्त्री जी ने श्वेत क्रांति और हरित क्रांति को बढ़ावा दिया। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था – “मेहनत प्रार्थना करने के समान है।” महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी
दक्षिण अफ्रीका में अपने सफल कार्यकाल के बाद, गांधीजी के लिए अपनी मातृभूमि, भारत में अपनी रणनीति का प्रयास करने का समय था। वह बड़े पैमाने पर आंदोलन के लिए जाने से पहले सत्याग्रह के साथ छोटे स्तर पर प्रयोग करने की कोशिश करना चहाते थे । उनके सभी प्रयोग एक बड़ी सफलता थे और इस तरह उन्होंने असहयोग आंदोलन की नींव रखी जिसने ब्रिटिश राज को हिला दिया।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का चंपारण सत्याग्रह – 1917
गांधी जी को राज कुमार शुक्ला ने बिहार के एक जिले चंपारण में इंडिगो बागान श्रमिकों की स्थितियों का अध्ययन करने के लिए राजी किया था, इंडिगो टेशन में प्रचलित प्रणाली टिंकथिया सिस्टम * थी। इस प्रणाली में, किसानों को अपनी भूमि जोतने के 3/20 वें हिस्से में अनिवार्य रूप से इंडिगो की खेती करने की
आवश्यकता थी। गांधीजी ने अपना शोध किया। उसी समय, सरकार ने पूरे मामले में जाने के लिए एक जाँच आयोग नियुक्त किया और गांधीजी को इसके एक सदस्य के रूप में नामित कर किया। कहने की जरूरत नहीं है कि इसने प्लांटर्स को शोषण का दोषी पाया। एक समझौता किया गया था और प्लांटर्स को आदेश दिया गया था कि वे अवैध रूप से ली गई राशि का 25% वापस करें।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का अहमदाबाद सत्याग्रह
इस बार गांधीजी कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार कर रहे थे। प्लेग के कारण, मिल मालिकों ने श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए वेतन को 75% तक बढ़ा दिया था। हालांकि, एक बार प्लेग की स्थिति कम हो जाने के बाद, मिल मालिक 20% तक वेतन में कमी लाना चाहते थे। श्रमिक इस कमी से सहमत नहीं थे और चाहते थे कि भुगतान का 50% हिस्सा बना रहे। उन्होंने तर्क दिया कि WW1 ने कीमतों में वृद्धि की थी। गांधीजी नहीं चाहते थे कि उद्योगपति वर्ग का हित आहत हो। उन्होंने अम्बालाल साराभाई को मनाने की बहुत कोशिश की जो उनके दोस्त थे लेकिन असफल रहे। बिना किसी विकल्प के साथ, उन्होंने श्रमिकों को हड़ताल पर जाने के लिए कहा। जब गांधीजी ने हड़ताल को कम होते देखा, तो वे उपवास पर चले गए। इसने उन मिल मालिकों पर दबाव डाला जो 35% वेतन वृद्धि के लिए सहमत थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का खेड़ा सत्याग्रह
यहीं पर गांधीजी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ मिलकर किसानों के हित में मदद की। किसान अत्यधिक संकट में थे क्योंकि उनकी फसल का उत्पादन मूल का 1/4 था। राजस्व संहिता के अनुसार, वे पूर्ण रियायत के हकदार थे। हालाँकि, सरकार अपने राजस्व को जाने नहीं देना चाहता था और किसानों पर दबाव डालता रहा।गांधीजी ने सभी किसानों से अंग्रेजों के इस अन्याय के खिलाफ मौत से लड़ने का आग्रह किया। उन्होंने अमीर किसानों से अपील की कि वे क्षमता होने के बावजूद राजस्व न देकर गरीब किसानों का समर्थन करें। बाद में अंग्रेजों ने एक नीति बनाई जिसमें अमीर किसानों को स्वेच्छा से भुगतान करने के लिए कहा गया। (जो किसी भी अमीर किसान के रूप में नहीं चाहता था कि वह राजस्व का भुगतान करना चाहता था)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का रौलट सत्याग्रह
अंग्रेजों ने आतंकवादी हिंसा पर अंकुश लगाने के नाम पर एक ऐसा विधेयक पेश किया था, जिसने भारतीयों की स्वतंत्रता पर गंभीर अंकुश लगाया था। इसमें बिना वारंट के गिरफ्तारी और 2 साल तक हिरासत में रखने का प्रावधान था। गांधीजी ने उपवास और प्रार्थना के साथ-साथ राष्ट्रव्यापी हरताल का आह्वान किया। आंदोलन एक अलग दिशा में चला गया, जो अपेक्षित था। हिंसक प्रकोप की घटनाएँ हुईं, जिनसे सरकार को डर था। 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियावाला बाग हत्याकांड के कारण 18 अप्रैल 1919 को रौलट सत्याग्रह वापस ले लिया गया था।
आज पूरा विश्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की शांति और अहिंसा को अपना रहा है सभी का मानना है कि प्रेम की शक्ति दंड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। जब तक आप को गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। काम की अधिकता नहीं, अनियमितता व्यक्ति को मार डालती है। ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। आज अगर भारत की तरफ दुनिया की निगाहे अगर टिकी है तो उसमें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की शांति और अहिंसा का लोहा विश्व मान रहा है। और भारत को इस पर गर्व भी है। महात्मा गांधी का आदर्श ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ था। गांधी जी कभी किसी को जात-पात से तोलकर नहीं देखते थे, उनके लिए हर व्यक्ति बराबर था।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ