साइबर ठगी एक कैंसर, बच्चो को बचाये – डिजायर न्यूज़

कैसे बचे साइबर ठगी से ?

साइबर ठगी एक कैंसर बच्चो को बचाये – डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – साइबर क्राइम ने अब अपने पाँव विदेशो से अपने देश में भी फैला लिए है। समय अब आ गया है कि अगर हमने खुद और अपने बच्चो को साइबर ठगी से नहीं बचाया तो आने वाले समय में ये कैंसर से भी अधिक घातक हो जायेगा। आज करोडो लोगो ऑनलाइन खरीदारी के साथ साथ पेमेंट भी मोबाइल से या कंप्यूटर से कर रहे है , एक छोटी से गलती हमारे बैंक ख़ाते को खाली कर सकती है। 21 वी सदी में शायद ही कोई ऐसा होगा जो इस शब्द से अपरिचित हो, “साइबर ठगी”| आए दिन हमे हमारी ज़िन्दगी में ठगों के बारे में सुनने को मिलता है, किन्तु कुछ वक़्त से ठगी के मामलों में भी इजाफा हुआ है| ठगी करने के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है| जैसा कि हम जानते है आज सब कुछ ऑनलाइन माध्यम से हो रहा, चाहे कोई भी कैसा भी काम हो घर बैठे ऑनलाइन हो जाता है| इसीलिए शायद ठगों ने भी इस राह को अपनाया है| आज हम जानेंगे साइबर ठगी के बारे में कुछ ख़ास बातें ,क्या होती है साइबर ठगी? किसी के अकाउंट को हैक कर लिया गया हो या किसी के अकाउंट से पैसो की हेरा फेरी चल रही हो यह सारी घटनाये साइबर ठगी के अंदर आती है| सरल शब्दों में कहा जाये तो आपके मोबाइल या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से डाटा या किसी अन्य व्यक्तिगत सुचना की हेरा-फेरी करना वो भी बिना यूजर को पता चले, उसे कहते है साइबर ठगी…

cyber crime like a cancer - Dzire News
cyber crime like a cancer – Dzire News

साइबर ठगी कैसे होती है?

हैकर्स साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए लिंक या ओटीपी का सहारा लेते है| बहुत सारे तरीको से साइबर ठगी को अंजाम दिया जा सकता है| आजकल जो तरिके सबसे ज्यादा अपनाए जा रहे है, वो यह है: कैसे करते है लिंक का उपयोग: हैकर्स द्वारा आपको एक लिंक भेजी जाती है, अगर आप उस अनजान लिंक को क्लिक करते है तो आपके डिवाइस (मोबाइल, लैपटॉप, पीसी, आदि) में मैलवेयर (एक तरह का डिजिटल वायरस) प्रवेश कर जायेगा, उसके बाद आपकी डिवाइस सिर्फ आपकी नहीं रहेगी बल्कि उसका एक एक्सेस (इस्तेमाल करने की ताकत) हैकर के पास भी चल जायेगा| उसके बाद वे चाहे तो आपके डिवाइस से आपके बैंक अकाउंट पर हाथ साफ़ कर सकते है, या आपकी व्यक्तिगत जानकारी पुरे विश्व के लोगो के साथ साझा कर सकते है| और जो भी व्यक्ति इसे देखेगा उसे लगेगा कि यह सब साझा करने वाले आप ही हो|

ओटीपी से कर रहे है अकाउंट पर हाथ साफ़

जाल साज फ़ोन कर अपने को किसी जानी-मानी कंपनी का एम्प्लोयी बता कर इनाम देने का लालच देते है, कहते है आपको लकी ड्रा पर कुछ लाख का इनाम निकला है इसलिए आपके फ़ोन नंबर को वेरीफाई करना है| आपके फ़ोन पर एक 6 या 4 डिजिट का नंबर (ओटीपी) आया होगा उसे बताए| जैसे ही आप वो ओटीपी कॉलर को बताएंगे आपको आपके अकाउंट पर हाथ साफ होता दिख जायेगा|

cyber crime like a cancer - Dzire News
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शादी का झांसा देके लूट रहे लाखों की रकम

जी हां, अगर आप भी ढूंढ रहे है अपने लिए जीवन साथी तो सावधान रहिए मैट्रिमोनियल साइट्स (वो ऑनलाइन ऍप्लिकेशन्स या वेबसाइट जो आपके लिए जीवन साथी ढूंढती है) से आपको आजकल काफी लड़के या लड़कियों की फेक (नकली) प्रोफाइल भी मिल सकती है| जो आपसे दोस्ती करेंगे और फिर धीरे- धीरे आपके काफी करीब आ जायेंगे| इतना करीब कि आपको उनकी हर बात सही लगेगी| उसके बाद आपको अपने प्यार के जाल में फसा के वीडियो कॉल पर या मैसेज पर अश्लील बाते या फोटो, वीडियो रिकॉर्ड करके आपको ब्लैकमेल भी कर सकते है| ऐसा भी हो सकता है की आपको विदेशी लड़के-लड़कियों के नाम की फेक प्रोफाइल मिल जाए| जो देखने में तो बिलकुल असली लगेगी पर होगी नकली| वो भी आपको प्यार और शादी का झांसा देके आपके देश आ के शादी करने की बात कहेंगे|
फिर आपको कॉल कर कहेंगे की मैं अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हूँ, पर मुझे कस्टम पर रोक के रखा है मुझे यहाँ से आगे आने के लिए पैसो की जरूरत है, आप 2,00,000 रूपये (उदहारण के लिए लिया है) मेरे अकाउंट में भेज दो, मै आपको मिलते ही आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दूंगा/दूंगी| यदि आपने ऐसा करने की भूल करी तो आप साइबर ठगी के शिकार हो चुके होंगे| कई बार तो ऐसा होता है की आपका ऑनलाइन विदेशी दोस्त (फेक) कहता है कि उसने आपके लिए कोई सरप्राइज गिफ्ट भेजा है जो कि कस्टम पर से तभी आगे आएगा जब मैं उसका टैक्स चुकाऊंगा/चुकाऊँगी.
मैंने आपके लिए जो गिफ्ट भेजा है उसकी कीमत लाखो की है इसलिए उस गिफ्ट को जुटाने के बाद मेरे पास इतने पैसे नही है की मै टैक्स चुका पाऊं, इसलिए आप 2,00,000 रूपये (उदहारण के लिए लिखा गया है) फलाना बैंक अकाउंट में डाल दो मै आपको अगले महीने या जब मेरे पास पैसे आएंगे लौटा दूंगा/दूंगी| यदि आपने ऐसा करने की भूल करी तो आप साइबर ठगी के शिकार हो चुके होंगे| अक्सर लोगों को जब किसी कंपनी या किसी सर्विस के लिए किसी हेल्पलाइन की जरूरत पड़ती है तो वे गूगल सर्च का सहारा लेते हैं। वो उस कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट से या घर पर पड़े कंपनी के पेपर से हेल्पलाइन इस्तेमाल करने की जगह जल्दबाजी में गूगल सर्च से नंबर निकाल लेते हैं। ऐसे में उसी कंपनी जैसा दिखने वाला हेल्पलाइन मिल जाता है और लोग उस पर यकीन कर लेते हैं और धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं।

cyber crime like a cancer - Dzire News
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कैसे बचे साइबर ठगी से?

ऐसे बहुत सारे उपाय है जिन्हें अपना कर हम साइबर ठगी से बच सकते है किसी कंपनी या बैंक का नंबर गूगल पर सर्च न करें। इंटरनेट पर मिले नंबर जालसाजों द्वारा डाले गए भी हो सकते हैं और आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं। आजकल सोशल मीडिया के बिना ज़िन्दगी रह ही कहाँ गयी है, ऐसे इस्तेमाल करिए लेकिन सतर्कता के साथ| सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर पर पोस्ट डालकर कंपनी या बैंक का नंबर न मांगें। किसी बैंक या कंपनी का आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर, उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद रहता है। जरूरत पड़ने पर सीधे वहीं विजिट करें। आजकल हर बैंक/कंपनी का सोशल मीडिया हैंडल है। आप वहां पर डीएम (डायरेक्ट मैसेज) के जरिए शिकायत कर सकते हैं। आधिकारिक ईमेल आईडी पर भी शिकायत
की जा सकती है। आप अपना मोबाइल नंबर आधिकारिक वेबसाइट या ईमेल पर देने से भी बचे| यदि बैंक तक आपका मेल पहुंचा है तो बैंक आपको स्वयं कांटेक्ट करने की कोशिश करेगा| यदि आपने किसी बैंक/कंपनी में कोई शिकायत की है और उसके बाद फोन कॉल पर आपकी समस्या हल करने के लिए कोई खाते या कार्ड से जुड़ी डिटेल मांगे तो न दें। अगर आप इंटरनेट या टेक्नोलॉजी के साथ बहुत ज्यादा फ्रेंडली नहीं हैं तो सीधे बैंक या कंपनी में जाकर
अपनी समस्या बताना बेहतर रहेगा। आपको अपनी समस्या का हल भी मिल जायेगा और आप पूर्ण रूप से संतुष्ट भी रहेंगे| पेटीएम, गूगल पे, फोनपे जैसे पेमेंट ऐप्स पर हेल्प सेक्शन रहता है। आप संबंधित पेमेंट ऐप्स पर हो रही परेशानी या ट्रांजेक्शन से जुड़ी कोई शिकायत के लिए उसे एक्सेस कर सकते हैं। उस संबंधित एप्लीकेशन का हेल्पलाइन नंबर भी उसी ऍप पर मौजूद होगा| कुछ ऐसी बातें जो हम देखकर भी अनदेखा करते है किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं। अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में ना आएं। अच्छी तरह जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें।
फेसबुक, ट्विटर आईडी का पासवर्ड स्ट्रांग रखें, सरल पासवर्ड न रखें। यदि कभी आपको बिना मांगे ओटीपी आता है तो तुरंत पासवर्ड बदलें| डबल स्टेप वेरिफिकेशन (Double/2 Step Verification) हमेशा खुला रखें| कोई रुपयों की मांग करता है, तो पहले जांच लें या मैसेज करने वाले से फोन पर संपर्क करें।
बैंक कर्मचारी कभी भी फोन पर डिटेल्स नहीं मांगते हैं।

(यदि कभी भी आप साइबर ठगी का शिकार होते है तो तुरंत नीचे दी गई वेबसाइट पर जाके अपनी शिकायत दर्ज कराए
www.cybercrime.gov.in
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के नोडल अधिकारी और शिकायत अधिकारी के संपर्क विवरण तक पहुँचने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
https://www.cybercrime.gov.in/Webform/Crime_NodalGrivanceList.aspx )

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

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