राजनीत के अग्निवीर ,भजन लाल के परिवार के हर सदस्य को मिल रही पेंशन , करोडो रूपये अभी तक सरकार दे चुकी है -डिजायर न्यूज़

राजनीत के अग्निवीर ,भजन लाल के परिवार के हर सदस्य को मिल रही पेंशन , करोडो रूपये अभी तक सरकार दे चुकी है -डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – परिवारवाद और राजनीती का बड़ा गहरा नाता है , एक इंसान सत्ता में आ जाये फिर वो सब को ले आता है आज हम बात कर रहे है चौ भजन लाल की , हरियाणा के तीन दफा चीफ मिनिस्टर और केंद्र में मंत्री रह चुके भजन लाल से सब से पहले अपनी पत्नी जस्मा देवी को आदम पुर से चुनाव लड़वाया और जीता कर विधान सभा भेजा। उसके बाद तो 28 साल की उम्र में कालका सीट से अपने बड़े बेटे को चुनाव लड़वा कर विधानसभा भेजा और 30 साल में छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को विधायक बनवा कर विधान सभा भेजा , बेटे की बहु और अब पोता भवे बिश्नोई भी बीजेपी की टिकट पर विधायक है। भजन लाल की पेंशन उनकी पत्नी जस्मा देवी ले रही है और अपनी भी , दोनों बेटे और कुलदीप की धर्मपत्नी रेणुका बिश्नोई भी पेंशन ले रही है और अब पोते को भी पैंशन मिलेगी।

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भजन लाल बिश्नोई का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को ब्रिटिश भारत के बहावलपुर रियासत के कुरानवाली गांव में एक बिश्नोई परिवार में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा बहावलनगर में प्राप्त की। लाल कठिन परिस्थितियों में रहते थे और उन्हें आजीविका चलाने के लिए अपना सामान साइकिल पर बेचना पड़ता था।[1][2] उन्होंने जसमा देवी से शादी की, जिनसे उनके दो बेटे हुए – चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी, रोशनी।

विभाजन के बाद भजनलाल आदमपुर चले आये। 17 साल की उम्र में उन्होंने अपने गांव के बाजार में सामान खरीदना और बेचना शुरू किया, जल्द ही उन्होंने पोखर मल के साथ साझेदारी में एक दुकान शुरू की जो एक स्थानीय व्यापारी था। वे दोनों कमीशन एजेंट (फैनर और थोक व्यापारी के बीच मध्यस्थ) के रूप में काम करते थे, इस काम के कारण उन्हें स्थानीय पुलिस से परेशानी हुई। वह शुरू में खुद को पुलिस से बचाने के लिए राजनीति में शामिल हुए। पुलिस में उनके खिलाफ 12 आपराधिक मामले और आरोप थे, विधायक बनने के बाद सभी हटा दिए गए।

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पूर्व विधायकों के तौर पर पेंशन लेने में भजन लाल परिवार आगे, नवनिर्वाचित MLA भव्य पूरी पेंशन के हकदार

उनकी धर्मपत्नी जसमा देवी, बड़े पुत्र चंद्रमोहन और छोटी पुत्रवधू एवं कुलदीप बिश्नोई की धर्मपत्नी रेणुका बिश्नोई को प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य के तौर पर हरियाणा सरकार से पेंशन मिल रही है। जसमा देवी को इसके अतिरिक्त भजन लाल की धर्मपत्नी के तौर पर फैमिली पेंशन भी मिलती है। कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा ज्वाइन करने से पहले विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, इसलिए उन्हें पूर्व विधायक के तौर पर इस महीने से पेंशन मिलना शुरू हो जाएगी।
गौरतलब है कि आदमपुर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां से भजन लाल परिवार में जीत का जो सिलसिला 1968 में शुरू हुआ था वह लगातार 2019 तक जारी रहा है और इस सफर के दौरान स्वयं चौ. भजन लाल के अलावा उनकी धर्मपत्नी जसमा देवी, पुत्र कुलदीप बिश्नोई व पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई यहां से विधायक चुने जा चुके हैं।

6 अक्तूबर 1930 को जन्मे चौ. भजन लाल पहली बार 38 साल की उम्र में 1968 में विधायक चुने गए थे और उन्होंने 9 बार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके अलावा जब 1987 में उनकी पत्नी जसमा देवी यहां से विधानसभा चुनाव जीत कर पहली बार विधायक बनी तो उस समय उनकी उम्र भी 41 वर्ष थी। भजन लाल बेटे कुलदीप बिश्नोई ने 1998 में पहली बार आदमपुर सीट पर हुए उपचुनाव में जब जीत दर्ज की थी तो वे महज 30 वर्ष के थे, जबकि कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी उन्हीं की तरह 2011 में 38 वर्ष की उम्र में आदमपुर में उपचुनाव जीत कर विधायक निर्वाचित हुईं थी। इस प्रकार प्रदेश के इस बड़े सियासी घराने के 5वें सदस्य के रूप में आदमपुर से अपनी किस्मत आजमा रहे 29 वर्षीय भव्य बिश्नोई परिवार में सबसे छोटी उम्र के सदस्य हैं जो आदमपुर से विधायक बनने का सपना संजोए हुए हैं और यदि वे इस उपचुनाव में जीतते हैं तो आदमपुर सीट से विधायक बनने वाले अपने परिवार के सबसे छोटी उम्र के सदस्य होंगे।

परिवार में छोटी उम्र में विधायक बनने का चंद्रमोहन के नाम है रिकार्ड

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. भजन लाल परिवार के सियासी इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो चौ. भजन लाल के बड़े बेटे एवं प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन बिश्नोई ने भले ही आदमपुर से कभी चुनाव नहीं लड़ा मगर वे भी छोटी उम्र में ही चुनावी सियासत में सक्रिय हो गए थे और वे पहली बार 1993 में कालका सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत कर विधायक बने थे। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 28 साल थी। इस प्रकार परिवार में सबसे छोटी उम्र में विधायक बनने का रिकार्ड चंद्रमोहन के नाम दर्ज है। चंद्रमोहन ने अपनी चुनावी सियासत कालका से शुरू करते हुए पहला चुनाव 1993 में जीता और उसके बाद वे लगातार 3 चुनाव जीते और 2005 में चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे। इस परिवार के मुखिया चौ. भजन लाल केंद्रीय मंत्री रहने के साथ साथ 3 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे और उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई 4 बार विधायक रहने के साथ साथ 2 बार हिसार व भिवानी से सांसद भी निर्वाचित हुए।

भजन लाल परिवार के 5 में से 4 सदस्य उपचुनाव में बने हैं विधायक
खास बात यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल परिवार के जिन 5 सदस्यों को अब तक विधानसभा में पहुंचने का अवसर मिला है, उनमें से 4 सदस्य उपचुनाव जीत कर विधायक बने हैं । इनमें स्वयं भजनलाल, उनके दोनों पुत्र चंद्रमोहन बिश्नोई व कुलदीप बिश्नोई तथा पुत्रवधु रेणुका बिश्नोई शामिल हैं । भजन लाल 2008 में आदमपुर में हुए उपचुनाव में हजकां टिकट पर विजयी हुए थे और उनके ब?े बेटे चंद्रमोहन 1993 में कालका सीट से कांग्रेस टिकट पर तो उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई 1998 में कांग्रेस टिकट पर आदमपुर से उपचुनाव जीते थे ।

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आज कितने ही राजनीतिक घराने है जो लाखो रूपये सरकार से पेंशन ले रहे है और विधायक के साथ अगर सांसद बन गए तो उसकी पेंशन केंद्र सरकार से ले रहे है। सत्ता में बने रहने के लिए पार्टी बदल बदल कर सत्ता मैं बने रहते है। देश के अग्निवीर को देश के लिए चार साल देने क बाद भी पैंशन तो छोड़ो नौकरी पर भी नहीं रखा जाता। क्या राजनीत मैं भी एक इंसान एक पेंशन नहीं होनी चाहिए ?

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

 

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