सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया को सही करार दिया है, जल्द चुनाव हो – डिजायर न्यूज़
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया को सही करार दिया है, जल्द चुनाव हो – डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – 5 जजों की संविधान पीठ ने तीन फैसले दिए हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस बेंच के मुखिया थे। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी रहे। सीजेआई, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने एक फैसला दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसके कौल ने अलग फैसला लिखा। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। इस दौरान अपने फैसले में पीठ की अध्यक्षता कर रहे देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के सभी राज्यों के पास विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। संविधान का अनुच्छेद 370 अलग-अलग राज्यों को विशेष दर्जा देने का उदाहरण है। यह साफ तौर पर असममित संघवाद का उदाहरण है। जम्मू कश्मीर की भी अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया को सही करार दिया है। सोमवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। SC ने कहा कि संविधान सभा की सिफारिशें राष्ट्रपति पर बाध्य नहीं थीं। अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। फैसले में कहा गया कि यह अदालत राष्ट्रपति के फैसले पर अपील पर विचार नहीं कर सकती कि अनुच्छेद 370 के तहत विशेष परिस्थितियां मौजूद हैं या नहीं। 5 जजों की संविधान पीठ ने तीन फैसले दिए हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस बेंच के मुखिया थे। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी रहे। सीजेआई, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने एक फैसला दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसके कौल ने अलग फैसला लिखा। पढ़िए, अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की बड़ी बातें।
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया। SC ने कहा कि इसे याचिकाकर्ता द्वारा विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी। सीजेआई ने कहा, जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं। अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति के प्रयोग की उचित वजह होनी चाहिए।सीजेआई ने कहा, संवैधानिक व्यवस्था ने यह संकेत नहीं दिया कि जम्मू-कश्मीर ने संप्रभुता बरकरार रखी है। जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है: सीजेआई CJI ने कहा- अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी करने की शक्ति कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के विघटन के बाद भी कायम रहती है।हमें यह निर्धारित करना आवश्यक नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर का UT में पुनर्गठन वैध है या नहीं। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है क्योंकि अनुच्छेद 3 राज्य के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है: सीजेआईसीजेआई ने अपने आदेश में कहा, यह सवाल खुला है कि क्या संसद किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकती है।
हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएं। राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा: सीजेआई 367 का उपयोग करके अनुच्छेद 370 में संशोधन के संबंध में, मैंने कहा है कि जब कोई प्रक्रिया निर्धारित की जाती है, तो उसका पालन करना होगा। पिछले दरवाजे से संशोधन की अनुमति नहीं है: जस्टिस एसके कौल।
सुप्रीम कोर्ट में 16 दिन चली थी सुनवाई
पांच जजों की बेंच ने 16 दिन तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 20 से ज्यादा याचिकाओं के जरिए आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई थी। 5 अगस्त, 2019 को सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। यह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया। सीजेआई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत पीठ में थे।
आर्टिकल 370: सुप्रीम कोर्ट ने इन वकीलों की सुनी थीं दलीलें
अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई नामी-गिरामी वकीलों की दलीलें सुनीं। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सीनियर एडवोकेट्स- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य ने दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य सीनियर एडवोकेट्स ने जिरह की।
आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ये फैसला दिया है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि जल्द से जल्द स्टेटहुड वापस किया जाए. इसके अलावा सीजेआई ने लद्दाख को UT बनाने का फैसला बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक तरफ सरकार की जीत साफ़ नज़र आ रही है , सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपनी सुप्रीम मोहर भी लगा दी है और साथ साथ जल्दी चुनाव करवाने के लिए भी कहाँ है। 16 दिन और 20 याचिकाओं का निपटारा सुप्रीम कोर्ट ने किया है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह के बेटे और पूर्व सांसद कर्ण सिंह ने अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है. हमदर्द होने के नाते बताना चाहता हूं कि मैं भी जम्मू कश्मीर का ही रहने वाला हूं. उन्होंने कहाँ की कुछ अच्छा लगेगा कुछ को बुरा , पर यह जम्मू और कश्मीर के लिए बहुत अच्छा फैसला है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद किया
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ