गांव निठारी (Nithari Case)16 मर्डर 16 फ़ासी सीबीआई भी नाक़ाम , निठारी कांड के आरोपी बरी – डिजायर न्यूज़

निठारी केस की कुंडली

गांव निठारी (Nithari Case)16 मर्डर ,16 फ़ासी ,सीबीआई भी नाक़ाम , निठारी कांड के आरोपी बरी – डिजायर न्यूज़

डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – कुछ नंबर कई दफ़ा आप को चौका कर रख देते है साल 2004 भारत का सब से चौकाने वाला कैस  जिसने सब को हिल्ला कर रख दिया था ,आज फिर और कितने ही दम तोड़ते केसो की तरह बंद हो गया। दिल्ली से महज 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर डी 5 की कोठी के करीब नाले में करीब 19 बच्चो की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज़ कराई और पुलिस ने 19 एफ आई आर दर्ज़ की गई और नाले से जो शव बरामद किये , शुरू में 19 कंकाल बरामद किये गए। केस बड़ा होने और पब्लिक के रोष के बाद इस केस को सीबीआई को सोपा गया। सीबीआई ने फोरेंसिक रिपोर्ट के बाद 16 शव का पता चला। निठारी पुलिस से यह केस सीबीआई को सौपा गया। सीबीआई ने निठारी पुलिस की 19 एफ आई आर में से तीन को रद्द कोर्ट से करवा दिया और अब उसे सिर्फ 16 सके की ही तफ़्तीश करनी थी।

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सीबीआई ने अपनी इन्वेस्टीगेशन में बताया की ये जो डी- 5 की कोठी है ये मोनिंदर सिंह पंढेर की है जिसे वो सिर्फ अपनी अय्याशी के लिए इस्तेमाल करता था , वो विदेश मैं रहता था और जब भी इंडिया आता था तब इस कोठी में कॉल गर्ल बुला कर अय्याशी करता था। वो आस्ट्रिलिया से आते थे। यही पर उनके साथ उनका नौकर सुरेंदर कोहली रहा करता था। सुरेंद्र कोली उत्तराखंड का रहने वाला था। पंडेर बहुत कम यहाँ रहा करता था। पढेर की अय्याशी देखकर सुरेंद्र कोली के मन में भी वैसे ही भावना आने लगी। सुरेंद्र कोली दिन के समय स्कूल जाने वाले बच्चो को टॉफी या खाने की चीज़ देकर बुला लेता और फिर उनसे गलत काम करके उन्हे मार देता था और शव को साथ लगे नाले में फेक देता था। चार्ज शीट में ये भी बताया की सुरेंद्र कोली ने कुछ बच्चो को काट कर उन्हे कुकर में पका कर खाया भी।

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मोनिंदर सिंह पंढेर

इसके बाद यह मामला सीबीआई की अदालत ग़ाज़ियाबाद में गया अब कुल 16 एफआईआर की चार्ज शीट सीबीआई ने कोर्ट के सामने पेश की , क्यों की 16 बच्चों के माता पिता ने अलग अलग एफआईआर दर्ज़ करवाई थी। मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ सिर्फ 6 मामले थे , खुद सीबीआई की अदालत ने पढेर के खिलाफ 3 मामलों में बरी कर दिया और कहाँ की इसके कोई सबूत नहीं है अब पढेर के सिर्फ 3 मामले बचे जिसमें से एक केस में उसे फांसी की सजा सुना दी। पढेर इस फैसले की खिलाफ इलाहबाद हाई कोर्ट पंहुचा जहाँ हाई कोर्ट ने उसके इस मामले को रद्द कर दिया जो सीबीआई की लोअर कोर्ट ने फांसी की सज़ा दी थी। अब पढेर पर सिर्फ 2 मुक़दमे बाकी थे। इसके बाद बचे हुए दोनों केस में फिर एक बार सीबीआई की लोअर कोर्ट ने पढेर को मौत की सजा सुना दी। फिर इन दोनों केस में पढेर इलाहाबाद हाई कोर्ट पंहुचा। वही आज 16 अक्टूबर को इलाहबाद हाई कोर्ट ने पढेर को रिहा कर दिया , अब पढेर का कोई भी मुक़दमा पेंडिंग नहीं है वो 6 के 6 केसो में बरी हो चूका है और कभी भी जेल से बाहर आ सकता है। अब सीबीआई सुप्रीम कोर्ट अगर जाती भी है तो पढेर बाहर ही रहेगा जब तक कोई फैसला नहीं आ जाता। 3 केस में फ़ासी और तीनो में ही पढेर बरी हो चूका है , अब वो डासना जेल से कभी भी बाहर आ सकता है।

सुरेंद्र कोली

अब अगर बात करे सुरेंद्र कोली की तो निठारी कांड में कुल 16 केस दर्ज़ हुए थे जिसमें सभी 16 केस में सुरेंद्र कोली मुख्य आरोपी था , 16 केस में से निचली अदालत ने अलग अलग समय में 3 मामलों में उसे फांसी की सजा सुनाई , जैसे ही उसे फांसी की सजा मिलती तो सीधा इलाहबाद हाई कोर्ट चला जाता। इन तीनो केस मैं हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। अब सुरेंद्र कोली पर 13 केस बच गए , अब एक केस आया रीपा हलदर का केस आया जिसमें सीबीआई की निचली अदालत ने उसे फिर फांसी की सज़ा सुना दी और इसके खिलाफ वो फिर हाई कोर्ट गया , लेकिन इस केस मैं उसकी फांसी की सजा को हाई कोर्ट ने बरकार रखा , इसके बाद कोहली इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट पंहुचा लेकिन वहाँ केस की सुनवाई में समय लगा , उसने 2 बार सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दे पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों बार उसे खारिज कर दिया। सुरेंद्र कोली के पास और भी विकल्प थे पर वो फिर चालाकी से इलाहबाद हाई कोर्ट पंहुचा। और हाई कोर्ट को बताया की उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से वो हर रोज मर रहा है और इलाहबाद ने अपनी ही फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। कोहली ने फिर चालाकी करके वो दोबारा उम्र कैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। आज की तारीख में भी वो केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। 3 में पहले ही बरी हो चूका था , और एक केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। अब 12 मामले ही बचे थे। अब इन 12 केस में भी सीबीआई की निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी , जिसे लेकर सुरेंद्र कोली हाई कोर्ट गया था। पिछले सितम्बर को सभी केस की सुनवाई पूरी हो गई थी पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब अपने फैसले में इलाहबाद हाई कोर्ट ने उसे 12 के 12 केस में बरी कर दिया। अब सिर्फ एक केस बचा है रीपा हलदर केस। पढेर की तरह अभी सुरेंद्र कोली अभी बाहर नहीं आ सकता। अभी एक केस उम्र कैद का केस अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

फांसी से कुछ घंटे पहले कैसे बचा सुरेंद्र कोली

7 सितम्बर 2014 को रात को अचानक डासना मसूरी की जेल से सुरेंदर कोहली को निकाल कर मेरठ की जेल ले जाया गया , वहाँ जाकर डरे सहमे सुरेंद्र कोली को जेलर ने बताया की उन्हे फांसी देने के लिए यहाँ लाया गया है। बात सोशल मीडिया पर बुरी तरह फैल गई। सब तैयारी पूरी कर ली गई थी , जल्लाद को भी बुला लिया गया था। 7 सितम्बर को संडे था और उन्हे सुबह 6 बजे फ़ासी दी जानी थी। 8 सितबर को सुबह 6 बजे सुरेंदर कोहली को फ़ासी दे जानी थी। जैसे ही ये खबर ह्यूमन राइट की वकील इंद्रा जय सिंह तक पहुंची तो उन्होंने संडे के दिन ही रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया , शेफ जस्टिस ने इस केस को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज को घर पर सुनने के लिए कहाँ काफ़ी सुनने के बाद आखिर सुप्रीम कोर्ट ने देर रात सजा पर रोक लगा दी। करीब 4 बजे के लगभग मेरठ के जेलर को फैक्स किया गया , और दस्ती आर्डर को लेकर जाया गया , तब कही 2 घंटे पहले फ़ासी रुकी।

सब से बड़ी बात ये सामने आती है कि अगर पढेर और सुरेंद्र कोली दोषी नहीं है को जो 16 शव मिले उनका दोषी कौन है ? क्या सीबीआई के टीम आरुषि केस को जैसे सॉल्व नहीं कर पाई , ऐसे ही इस केस में भी वो नाकाम रही है। क्या होगा उन 16 परिवारों का जिन्होंने 2004 से कोर्ट के चक्कर लगा लगा कर अपने बच्चो के इन्साफ की लड़ाई लड़ी है ? क्या ये हमारे देश का दुर्भाग्य नहीं है ? बीस साल के बाद आज निठारी केस फिर से ज़ीरो हो गया और अब सुप्रीम कोर्ट में कितनी सदी में क्या फैसला आएगा ये किसी को नहीं पता। लेकिन इस केस में नंबर 6 का बड़ा रोल रहा है फिर चाहे फैसले की तारीख हो या फ़ासी का नंबर हो ?

संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ

 

 

 

 

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