योगी सरकार का ऑन दा स्पॉट ठोको और बुलडोज़र क्यों पसंद आ रहा लोगो को – डिजायर न्यूज़
योगी सरकार का ऑन दा स्पॉट ठोको और बुलडोज़र क्यों पसंद आ रहा लोगो को – डिजायर न्यूज़
डिजायर न्यूज़ नई दिल्ली – योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद बड़े से बड़े अपराधियों को सजा होने लगी। योगी जानते हैं कि जनता को खुश कैसे करना है। जनता चाहते हुए भी इसका विरोध इस लिए नहीं कर पा रही की हमारे जुडिशल सिस्टम में कितनी खामियां है और सजा मिलने से ज्यादा सज़ा दिलाने वाले को क्या क्या सहना पड़ता है ये किसी से छुप्पा नहीं है। पुलिस एनकाउंटर के समर्थन में लोगों का मौन दरअसल जूडिशियल सिस्टम के खिलाफ यह आम लोगों का गुस्सा है। जूडिशियल सिस्टम में अपराध के लिए सजा लंबी प्रक्रिया के बाद मिलती है। इसका फायदा समाज के अराजक तत्व उठाते हैं। सालो लग जाते है किसी मुजरिम को सजा दिलाने में और फिर भी सजा मिलेगी या नहीं ये भी नहीं पता।
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार महिलाओ की सुरक्षा को लेकर सजग है , उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्य नाथ योगी ने साफ़ कर रखा है कि अगर लड़कियों या महिलाओ के साथ कोई दुर्वव्हार होता है तो बदमाश एक चौक से दूसरे चौक भी नहीं पहुंच पाएंगे और उनकी पुलिस वही इन्साफ कर देगी। दिल्ली-एनसीआर में 27 अक्टूबर 2023 को दो युवतियां बदमाशों का निशाना बनी। एक युवती को तो स्नैचर के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। पुलिस ने दोनों मामले में आरोपियों की तलाश की। दो एनकाउंटर हुए। लड़की की जान लेने वाले एक स्नैचर की एनकाउंटर में मौत हो गई। वहीं अपार्टमेंट में रेप की कोशिश करने वाले आरोपी के पैर में गोली लगी। योगी आदित्यनाथ के राज में एनकाउंटर के इस रिवाज पर राजनीतिक दल सवाल तो उठाते हैं, मगर आम जनता पुलिस के फैसला ऑन द स्पॉट के खिलाफ खुले तौर पर विरोध नहीं कर रही है। कानून के राज में इस त्वरित न्याय को आम लोगों की मौन सहमति क्यों मिल रही है? एक्सपर्ट मानते हैं कि न्यायिक प्रकिया की कमियों के कारण आम लोग योगी सरकार की ठोको नीति का विरोध नहीं कर रहे हैं।
फोन छीनने के लिए कीर्ती को ऑटो से गिराया था
दिल्ली की सीमा से सटे एनसीआर के गाजियाबाद और नोएडा में स्नैचर्स का आतंक है। बस, ऑटो और ई-रिक्शे में बैठे लोगों के अलावा राह चलते राहगीर भी स्नैचर्स का शिकार बनते हैं। चेन और मोबाइल फोन की छिनैती एनसीआर में आम है। 27 अक्टूबर की शाम गाजियाबाद के एनएच-9 पर बीटेक स्टूडेंट कीर्ती भी ऐसे ही स्नैचर का शिकार बनी थी। लूट के विरोध करने पर बदमाशों ने कीर्ती को ऑटो से खींचकर गिरा दिया था। वह सिर के बल रोड पर गिरी। 48 घंटे मौत से जूझने के बाद रविवार रात इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। बेटी की मौत पर उसके पिता रवींद्र ने सिर्फ इतना ही कहा कि कीर्ती नहीं रही। कीर्ती को ऑटो से खींचने वाले जितेंद्र पर 12 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। उसके खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा भी दर्ज था। जितेंद्र का नाम यूपी के माफिया की लिस्ट में नहीं था, मगर उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लग चुका था। पुलिस का कहना है कि सोमवार सुबह मसूरी के नहर पटरी पर जितेंद्र के साथ मुठभेड़ हुई और वह मारा गया। जितेंद्र की मौत की खबर के बाद किसी ने एनकाउंटर पर सवाल नहीं उठाया। दूसरा पहलू यह है कि कई लोगों ने आम चर्चा में इसे कीर्ती का इंसाफ बताया।
फ्लैट में घुसकर की थी युवती से रेप की कोशिश
ग्रेटर नोएडा में 27 अक्टूबर की दोपहर ऑनलाइन कंपनी के डिलिवरी बॉय ने सोसायटी में युवती के साथ रेप की कोशिश की थी। ब्रेड दूध डिलिवरी करने वाले सुमित ने फ्लैट में युवती को अकेली देखकर घर में घुस गया। उसने युवती के साथ मारपीट भी की। यह उस सोसायटी का हाल है, जहां लोग सिक्युरिटी चौकी से एंट्री लेते हैं। युवती के शोर मचाने पर आरोपी भाग गया। रविवार को पुलिस ने बिसरख थाना क्षेत्र में आरोपी सुमित की घेराबंदी दी। दोनों तरफ से गोलियां चली और एक गोली आरोपी के पैर में लगी। आरोपी सुमित भी कोई बड़ा माफिया नहीं है, मगर उसके खिलाफ भी पहले केस दर्ज हैं। ऐसे बदमाश यूपी के हर गली-मुहल्ले में नजर आते हैं, जो पेशे से अपराधी तो हैं मगर कानून की नजर से छिपे हैं। जब भी आम लोगों का ऐसे बदमाशों से सामना होता है, वह मन मसोसकर रह जाते हैं। इन अपराधियों पर काबू पाना पुलिस के लिए आसान नहीं है। यूपी की राजनीतिक और सामाजिक तानेबाने पर नजर रखने वाले योगेश मिश्रा का कहना है कि जब लोगों को छुटभैये बदमाशों का एनकाउंटर की जानकारी मिलती है, तो वह अपने गुस्से के कारण इसका समर्थन करते हैं।
आम लोगों का गुस्सा है एनकाउंटर का मौन समर्थन
योगी आदित्यनाथ की सरकार के दौरान 2017 से मई 2023 के बीच 10 हजार से अधिक एनकाउंटर हुए। इन मुठभेड़ों में 183 बदमाशों को पुलिस ने मार गिराया और 5 हजार से अधिक अपराधी घायल हुए। पिछले छह महीने में यह आंकड़ा और बढ़ा है। संयोग यह है कि मुठभेड़ का आंकड़ा मेरठ और गाजियाबाद में सर्वाधिक है, जो एनसीआर के हिस्से में आता है। योगी सरकार की ठोको नीति का समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव विरोध करते रहे हैं, मगर इस मुद्दे पर उन्हें खुले तौर से जनसमर्थन नहीं मिला। यूपी का मिडिल क्लास तबका, जो बदमाशों से उलझने के बाद पुलिस थाने और कोर्ट के चक्कर नहीं काट सकता, वह इससे खुश है। अब तो लॉ एंड ऑर्डर का जरूरी हिस्सा बताया जा रहा है। भले ही योगीराज में एनकाउंटर का ट्रेंड पर कानूनी तौर पर सवाल उठ रहे हैं, मगर इसके प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए जूडिशयरी सिस्टम को चुस्त करना जरूरी है। कोर्ट से जल्द न्याय मिलेगा तो फैसला ऑन द स्पॉट की डिमांड करने वालो का नजरिया भी बदलेगा। नवभारत टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलास भी किया है।
आने वाले समय में भले ही योगी सरकार की इस ठोको पालिसी का विरोध हो लेकिन आज सब का मत है कि कैसे भी हो महिलाओ की सुरक्षा अहम् है , अगर जुडिशल सिस्टम में जल्द न्याय मिलेगा तो हो सकता है आन दा स्पॉट ठोको पुलिस की इस नीति का विरोध भी शुरू हो जाये।
संजीव शर्मा
एडिटर इन चीफ